Thursday 17 September 2015

बाइबिल के प्रथम वाक्य आकाश (Heaven) को ईश्वर द्वाराबनाया गया, लिखा है और फिर आठवें वाक्य में दोबारा Heaven (आकाश) का सृजन हुआ। आकाश दो बारक्यों रचना पड़ा? पहले जो आकाश बनाया गया था, उसमें क्या दोष था? आश्चर्य है कि बहुत पठित लोगभी इस भूल-भुलैयाँ को ईश्वरीय ज्ञान मानते हैं।
 बाइबिल की 26वीं आयत में आता है, ÒLet us make man in our own image.Ó अर्थात्परमात्मा ने अपनी आकृति पर मनुष्यको बनाने का मन बनाया। परन्तु अपने देह को कब और कैसे बनाया- यहबाइबिल में इस से पहले कहीं बतायाही नहीं गया।उत्पत्ति 2-7 में पुनः Godformed man of the dust of the ground.. लिखा मिलता है अर्थात् धरती की धूलि मट्टी से मनुष्य को बनाया गया। प्रश्न उठताहै कि जब ईश्वर के सृदश ही मनुष्यको बनाया तो क्या फिर परमात्मा कीदेह भी धूलि मट्टी से निर्मित होगी। इस शंका का समाधान कैसे हो?
श्री विशाल का प्रश्नः
-दिल्ली केश्री विशाल धर्मनिष्ठ व लगनशील युवक हैं। अभी अनुभवहीन हैं। आपने एक मुसलमान का यह आक्षेप सुनकर उसका उत्तर माँगा है कि अथर्ववेद के एक मन्त्र में, ‘‘हमारे शत्रुओं को मारने की प्रार्थना है।’’ मैं समझगया कि किसी मियाँ ने जेहाद की वकालत में उसकी पुष्टि में वेद केमन्त्र का प्रमाण दे दिया। इससे इतना तो पता चल गया कि जेहाद को कुरान से तो न्याय संगत सिद्ध नहीं किया जा सका। जेहाद की पुष्टि में मियाँ लोग वेद को घसीटलाते हैं। कुरान का जेहाद विशुद्धमजहबी लड़ाई व रक्तपात है। वेद में किसी भी मजहब की चर्चा नहीं, अतः वेद में मजहबी लड़ाई (Crusade) की गंध तक नहीं। तब मत पंथ थे ही नहीं। वेद में भले व बुरे, सज्जन व दुर्जन का तो भेद है। अन्यायी दुर्जन से लड़ाई में विजय की प्रार्थनायें हैं।कुरान व बाइबिल दोनों हमारी इस मान्यता की पुष्टि करते हैं। 
कुरान की सूरते बकर की आयत संया 213 का प्रामाणिक अनुवाद है “Mankind was [of]one religion [before their deviation], then Allah sent the prophetes as………” अर्थात् धरती के वासियों की एक ही भाषा और एक ही वाणी थी। वह वाणी कौनसी थी? वेदवाणी ही सृष्टि के आरभ में मनुष्य धर्म था। इसी को शद प्रमाणमाना जाता था। बाइबिल का घोष विश्व को सुनाना समझाना होगा, Inthe beginning was theWord, and theWordwas with God, and theWordwas God. कितने स्पष्ट शदों में घोषणा की गई है कि आदि में शब्द (शब्द प्रमाण-वेद) था,शब्द ईश्वर के पास था और शब्द (ज्ञान) परमात्मा था। मित्रो! मतभूलिये बाइबिल में तीन बार आने वाले इस शब्दWordकाWअक्षरCapitalबड़ा है। व्यक्तिवाचक जातिवाचक संज्ञाओं में धर्म ग्रन्थों का पहला अक्षर सदैव कैपिटल ही होता है। यहाँWordसंज्ञा होने सेWकैपिटल है। निर्विवाद रूप से यहाँशब्दWordवेद के लिये प्रयुक्त हुआ है। आयत का सीधा सा भाव सृष्टि के आदि में अनादि वेद का आविर्भाव हुआ। गुण-गुणी के साथही रहता है, सो ईश्वर का वेद ज्ञान ईश्वर के साथ था। ईश्वर ज्ञान स्वरूप माना जाता है, सो शदज्ञान वेद का परमात्मा ब्रह्म कहाजाता है। हिन्दू समाज घर-घर में बाइबिल के इस घोष को गुञ्जा कर मार्गभ्रष्ट जाति बन्धुओं का उद्धार करे।मैंने विशाल से कहा, अरे भाई विधर्मी से वार्ता करते हुए सदा अपना पक्ष वैज्ञानिक ढंग से रखो। प्रभु निर्मित किसी वस्तु व नियम में कुछ भी दोष आज तक नहीं पाया गया। सूर्य चाँद नये नहीं बने। मनुष्य, पशु-पक्षियों की निर्माण विधि(Design)विधि पुरानाहै। अग्नि, जल, वायु और सृष्टि केसब वैज्ञानिक नियम (Laws)न घटे, न घिसे और न बढ़े, फिर ईश्वरीय ज्ञान, मानव धर्म नया (इलहाम) कैसे आ गया। यह मान्यता हठ, दुराग्रह व अन्धविश्वास है।नन्दकिशोर जी के अनुरोध को शिरोधार्य करके मैं नये सिरे से एक ऐसी पुस्तक अवश्य लिखूँगा। मुसलमानों व ईसाइयों के साहित्य में जो वेदानुकूल नई-नई शिक्षायेंव मान्यतायें मिलती है, सूझबूझ सेआर्य युवकों को उनको संग्रहीत करके प्रचारित करना चाहिये।
प्रत्येक आर्य को श्री हरिकृष्ण जी की पूना से प्रकाशित पुस्तक पढ़नी व पढ़ानी चाहिये।

No comments:

Post a Comment