Sunday 20 September 2015

चिकन और मटन बन कर ही बडे हो गए, लेकिन अब मटर और पनीर हो....

एक आदमी को चिकन - मटन खाने का बहुत शौंक था और वो हर शुक्रवार को चिकन और मटन बनाता था लेकिन जिस मोहल्ले में वो रहता था
वहां उसके सभी पडोसी कठोर किस्म के कैथोलिक थे और उन्हे उनके धर्म गुरु ने शुक्रवार के दिन चिकन और मटन खाने के लिए मना किया था।
लेकिन अपने पडोसी के घर से आने वाली चिकन और मटनकी खुशबू उन को बहुत विचलित करती थी।
इसलिए उन्होने आखिर अपने धर्म गुरु से इस बारे में बात की।
धर्म गुरु उस आदमी से मिलने के लिए उसके घर आया और उसने उसे भी धर्म परिवर्तन करने की सलाह दी।
उस धर्मगुरु के और अपने पडोसियों के बहुत मनाने और समझाने बुझाने के बाद आदमी रविवार को चर्च में उनकी प्रार्थना सुनने चला गया।
फिर अचानक उस धर्म गुरु ने आदमी के शरीर पर पवित्र पानी छिडका और कहा, ''तुम जनम से जो थे और जो भी बन कर बडे हुए उसे भूल जाओ, अब तुम कैथोलिक हो।"
उस आदमी के सभी पडोसी बहुत खुश थे - लेकिन सिर्फ अगला शुक्रवार आने तक ही।
अगले शुक्रवार की रात फिर से आदमी के घर से चिकन और मटन कबाब की खुशबू सारे मोहल्ले में फैल गई।
पडोसियों ने तुरंत धर्म गुरु को बुलाया। धर्म गुरु जब आदमी के घर के पिछवाडे से उसके घर में दाखिल हुए और उसे डांटने के लिए तैयार ही थे,
तब वे अचानक रुक गए और आश्चर्य से आदमी की तरफ देखने लगे।
वो आदमी छोटी सी पानी की बोतल पकडकर खडा था। उसने वह पानी चिकन और मटन पर छिड़का और बोला, "तुम जनम से चाहे चिकन और मटन थे,
और चिकन और मटन बन कर ही बडे हो गए, लेकिन अब मटर और पनीर हो।"

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