Saturday 26 September 2015

"गणपति बाप्पा मोरया"

बहुत से लोगों को आज भी यह पता नहीं है कि "गणपति बाप्पा मोरया" में इस मोरया शब्द का क्या अर्थ है? असल में चौदहवीं शताब्दी में श्री मोरया गोसावी नामक एक संत हुए थे, जो गणेश जी के परम भक्त थे. इनका जन्म कर्नाटक के बीदर जिले का बताया जाता है, गणेश भक्ति के कारण चिढ़कर उनके पिता ने उन्हें बचपन में घर से निकाल दिया, वे पैदल-पैदल महाराष्ट्र के मोरगांव चले आए और यहाँ भी मोरेश्वर नामक गणेश मंदिर की स्थापना की. मोरगांव में भी कतिपय कठिनाईयों के कारण वे पुणे के पास स्थित चिंचवाड़ चले गए, और वहीं पर उन्होंने अंत में "जीवंत समाधि" ग्रहण की. मोरया गोसावी को ही प्रसिद्ध "अष्टविनायक" यात्रा आरम्भ करने का श्रेय भी दिया जाता है.
संक्षेप में तात्पर्य यह है कि ईश्वर भक्ति में स्वयं को इतना लीन कर देना कि भगवान और भक्त का सिर्फ सम्बन्ध ही नहीं उनका नाम भी आपस में "एकाकार" हो जाए, इसका सशक्त उदाहरण हैं "संत मोरया गोसावी". कभी-कभी तो गणेश जी से पहले (मोरया-मोरया गणपति बाप्पा मोरया कहकर) उनका नाम लिया जाता है, और सदा लिया जाता रहेगा...
======================
तो बोलो... मोरया रे बप्पा मोरया रे...

No comments:

Post a Comment