ब्रसेल्स स्थित थिंक टैंक, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) ने एक चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन किया है ! रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के तटीय शहर कराची इन दिनों भारत विरोधी जिहादी समूहों और अपराधियों का केंद्र बना हुआ है, जिसे पाकिस्तानी सेना का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त है। हाफिज सईद द्वारा संचालित दोनों संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा तथा मौलाना मसूद अजहर के नेतृत्व में चलने वाले जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों के अतिरिक्त प्रमुख शिया विरोधी संगठन लश्कर-ए-झांगवी भी कराची के बड़े मदरसों मदरसों के माध्यम से घातक भारत विरोधी जिहादी गुर्गों को तैयार कर रहे हैं ।
अगर यह कहा जाए कि पाकिस्तान के इन खतरनाक समूहों ने कराची को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले लिया है, तो गलत नहीं होगा । सचाई तो यह है कि इन संगठनों द्वारा संचालित मदरसों को पाकिस्तानी कानून प्रवर्तन अधिकारियों की मदद से ही दान मिलता हैं। इसके अलावा, पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी भी इन संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं। इनका एक ही लक्ष्य है कि आतंकवादी समूहों द्वारा प्रशिक्षित जिहादी गुर्गों के माध्यम से भारत के हिंदुओं और अन्य गैर-मुस्लिमों को धर्मान्तरित कर या नष्ट कर गजवा-ए-हिंद के सपने को साकार करना और भारत पर कब्जा जमाना ।
मदरसा, आतंकवादी, सेना कनेक्शन
कराची पर आईसीजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिनोरी टाउन में जामिया उलूम इस्लामिया द्वारा संचालित मदरसे देवबंदी उग्रवाद की जड़ जैश-ए-मोहम्मद के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं; इसी प्रकार कोरंगी के जामिया दारुल उलूम मदरसे, को संचालित करने वाले उस्मानी भाइयों के जिहादी संगठनों से सीधे संपर्क है। मई 2016 में, सिंध रेंजर्स 'के महानिदेशक ने कराची के अपने दौरे में प्रशासकों और बुद्धिजीवियों की एक बैठक ली, जिसमें उस्मानी भाइयों ने भी भाग लिया । एक अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जो कि कराची में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है, के अनुसार, "यह मदरसों की गतिविधियों को हरी झंडी दिखाना ही था, और समर्थन का स्पष्ट संदेश था। गजवा -ए-हिंद पाकिस्तानी मदरसों में शिक्षा का एक सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
तो इस प्रकार पाकिस्तानी सेना और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से मुस्लिम चरमपंथी गजवा-ए-हिंद के माध्यम से भारत का पूरी तरह इस्लामीकरण करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं ।
आखिर यह गजवा -ए-हिंद है क्या बला ?
गजवा-ए-हिंद, मुख्य रूप से पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर व्याप्त एक इस्लामी अवधारणा है, जिसके अनुसार हदीसों में पैगंबर मुहम्मद ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी परचम फहराने की भविष्यवाणी की है। इसे मानने वालों की धारणा है कि जिहाद के माध्यम से आज नहीं तो कल इस्लामी शरीयत कानून भारत में लागू किया जाएगा और सभी सामाजिक आर्थिक प्रक्रिया उन कानूनों के माध्यम से संचालित होगी । इस विश्वास के तहत, गजवा-ए-हिंद के पैरोकारों की स्पष्ट मान्यता है कि भारत में रहने वाले हिंदुओं और अन्य गैर-मुसलमानों के सामने दो ही विकल्प हैं - या तो इस्लाम कबूल करो या मरो ।
आईसीजी की रिपोर्ट का शीर्षक है - "पाकिस्तान: कराची में भड़कती आग" ! यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे पाकिस्तान का सबसे बड़ा और धनी शहर, जातीय, राजनीतिक और सांप्रदायिक उन्माद में एक जिहादी प्रेशर कुकर में तब्दील हो गया है । और इसका मूल कारण है पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा लश्कर-ए-तैयबा, जमात उद दावा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे जिहादी और आपराधिक गिरोहों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना ।
पाक में जिहादी भूकंप का केंद्र कराची -
आईसीजी की रिपोर्ट में सिंध में सत्तारूढ़ पीपीपी (पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) के एक वरिष्ठ सदस्य के हवाले से कहा गया है कि "कराची में तालिबान' के लिए सुपर हाईवे तैयार है” । रिपोर्ट में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों, वरिष्ठ अधिकारियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि कई जिहादी मास्टरमाइंड जो सितंबर 2013 के बाद कराची से चले गए थे, अब रेंजरों द्वारा कार्रवाई की कमी से उनका हौसला बढ़ गया है, तथा वे लौट आए हैं । रिपोर्ट में पाकिस्तान के एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रांतीय अधिकारी को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के तनाव ग्रस्त संबंधों के बीच इन समूहों को देश के एक भाग में अपना दोस्त और दूसरे भाग में अपना शत्रु नहीं समझा जा सकता ।
रिपोर्ट कहती है कि कराची के जिहादी संगठन मुख्य रूप से ऐसे बेरोजगार युवाओं को अपना मोहरा बनाते है, जिनके पास जीविका का कोई अन्य कोई साधन ही नहीं है । सचाई तो यह है कि कई लोगों के लिए, जिहाद एक रोजगार है ।
उल्लेखनीय है कि यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जबकि पाकिस्तान में अब तक का सबसे बुरा आतंकवादी हमला हुआ, जिसने समूची मानवता को झकझोर कर रख दिया है । कराची से कराची से 200KM उत्तर पूर्व में दक्षिणी सिंध प्रांत के सहवान में लाल शाहबाज कलंदर दरगाह पर हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 100 लोग मारे गए । कहा जा सकता है आतंक की दुधारी तलवार ने उसे चलाने वाले पाकिस्तान को ही गहरा जख्म दे दिया है, साथ ही शिया और सुन्नी के वर्ग संघर्ष को भी हवा दी है !
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