महाभारत और रामायण के युग में भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का अस्तित्व था?
महाभारत और रामायण हिन्दुओं के सबसे प्रमुख काव्य ग्रंथ है. दोनों ही भारत के सबसे धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथों के रूप में पहचाने जाते हैं. विश्व के सबसे लंबे साहित्यिक ग्रंथ महाभारत और श्रीराम की ज़िन्दगी पर आधारित रामायण, आज भी दुनिया के विभिन्न समाजों के लिए प्रासंगिक बने हुए हैं और सबसे ख़ास फ़िलोसोफिकल स्रोत के तौर पर मौजूद है.
लेकिन महाभारत और रामायण के दौर में आखिर बाकी सभ्यताएं किस तरह मौजूद थी? क्या सभ्यताओं का निर्माण शुरु हो गया था? आधुनिक ज़माने के सबसे महत्वपूर्ण देश, आखिर उस समय में किस अवस्था में मौजूद थे? Quora पर सामने आए इस प्रश्न पर कई लोगों ने काफ़ी दिलचस्प दावे किए हैं.
नेपाल में हुआ था सीता का जन्म
इस शख्स के मुताबिक रामायण के दौर में अमेरिका को खोजा तक नहीं गया था और महाभारत का युग जीसस क्राइस्ट के पैदा होने के 1000-1500 साल पहले आया था. महाभारत के समय पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को भारत कहा गया था. ये भारत, आधुनिक भारत से कहीं ज़्यादा बड़े क्षेत्र में शामिल था. उस ज़माने में भारतीय महाद्वीप पर अलग-अलग शासकों का राज था.एक और Quora thread में सामने आया कि कई ऐसे उदाहरण भी हैं जो साबित करते हैं कि महाभारत और रामायण के साम्राज्य भारत के बाहर मौजूद थे. मसलन, सीता का जन्म मिथिला में हुआ था, जो मौजूदा दौर में नेपाल में स्थित है. कैकेयी का साम्राज्य यानि माद्रा साम्राज्य आज के पाकिस्तान में मौजूद है. गांधार साम्राज्य वर्तमान समय में अफ़गानिस्तान में स्थित है. वहीं कंबोजास साम्राज्य को ईरान और पाराम कंबोजास आज के ज़माने के हिसाब से तज़ाकिस्तान में मौजूद हैअगर दुनिया के बाकी हिस्सों की बात की जाए, तो वहां पर भी मानव अस्तित्व की मौजूदगी के अंश मिलते हैं. पुरातात्विक और पौराणिक सबूतों का विश्लेषण करने पर सामने आया कि ये सभ्यताएं भारतीय सभ्यता जितनी विकसित नहीं थी. साफ़ है कि आधुनिक पश्चिमी सभ्यता केवल 300 से 500 साल ही पुरानी है.
पांडवों के अस्त्र-शस्त्र रखने की जगह थी ऑस्ट्रेलिया ?
Quora पर अपने जवाब में एक महिला ने दावा किया कि, महाभारत और 18 मुख्य पुराण वेद-व्यास द्वारा लिखे गए थे, जिन्होंने वेदों को कई भागों में बांटा था. विष्णुपुराण के अाधार पर उन्होंने ये जानकारी साझा की है.
पुराणों के मुताबिक, अमेरिका क्रौंच द्वीप में स्थित था. ये क्रौंचद्वीप ग्रुथा समुद्रम में स्थित है. इस द्वीप के पार, शीर समुद्र भी मौजूद है.अमेरिका क्रौंचद्वीप में था. क्रौंचद्वीप में सात पहाड़ थे, जो इस द्वीप की सीमा के रूप में मौजूद थे. इन पहाड़ों से सात नदियां बहा करती थी.कुरुवर्षम जम्बूद्वीप की उत्तरी सीमा में स्थित था.आधुनिक ज़माने का शक्तिशाली देश रूस कुरुवर्षम में ही मौजूद था और इसका प्राचीन नाम किरीस्थहन था.अर्जुन ने उत्थारा कुरु भूमि पर अपना अधिकार जमा लिया था. वहीं तुषाराराज्यम, तुर्कमेनिस्तान बन गया और कंभोजराज्यम बाद में चलकर तज़ाकिस्तान कहलाया.क्रौंचाद्वीपम में एक जंगल मौजूद था, जिसे कपिलारान्य कहा जाता था. यही जंगल आज कैलिफॉर्निया के नाम से जाना जाता है.अस्त्रआलयम जहां पांडव अपने अस्त्र-शस्त्र और हथियारों को रखा करते थे, उसे आज ऑस्ट्रेलिया कहा जाता है.
प्रियवर्था जो स्वायमभुव मनु के पहले बेटे थे, ने पृथ्वी पर 60 सालों तक राज किया था. उसने अपने सात बेटों के लिए पृथ्वी को सात भागों में बांट दिया था. पृथ्वी स्वयमभुव मनु के बेटों के पैदा होने के बाद सात द्वीपों में बंट गई थी. इन द्वीपों के नाम थे, जम्बूद्वीपम्, क्रौंचद्वीपम, प्लाक्शा द्वीपम, शालमली द्वीपम, शुकद्वीपम, शाकद्वीपम और पुष्करद्वीपम थे.
चीनी महाभारत के समय भी थे मौजूद
सन 1500 से लेकर सन 1750 तक आधुनिक पश्चिमी सभ्यता का बोल-बाला रहा और बदलते समय के साथ-साथ अलग-अलग सभ्यताओं ने अपना रुतबा कायम रखा. इस हिसाब से देखा जाए. तो भारतीय उपमहाद्वीप दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता रही दुनियाभर में 300 ज़्यादा रामायण के प्रचलित संस्करण हैं. उनमें वाल्मीकि रामायण, कंबन रामायण और रामचरित मानस, अद्भुत रामायण, आध्यात्म रामायण और आनंद रामायण की चर्चा ज़्यादा होती है. उक्त रामायण का अध्ययन करने पर हमें रामकथा से जुड़े कई नए तथ्यों की जानकारी मिलती है.
पुस्तकें और ग्रंथ : नेपाल, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, बाली, जावा, सुमात्रा और थाईलैंड आदि देशों की लोक-संस्कृति व ग्रंथों में आज भी राम ज़िन्दा हैं. दुनियाभर में बिखरे शिलालेख, भित्तिचित्र, सिक्के, रामसेतु, अन्य पुरातात्विक अवशेष, प्राचीन भाषाओं के ग्रंथ आदि से राम के होने की पुष्टि होती है.
संस्कृत की महान गाथा महाभारत में कई ऐसे कई तत्व भी मौजूद है, जो चीन के अस्तित्व की पुष्टि करती है. महाभारत में, चीनियों के साथ असम के राजा भागादत्ता की अपनी सेना थी. वही राजा सभापर्वण जैसी जगह में भी चीनियों से घिरा रहता था. उस दौर में सिंधु घाटी सभ्यता और कांस्टेंटिनोपल (इस्तानबुल) के बीच व्यापार का एक रूट हुआ करता था.
प्राचीन जगहों के बदले नाम
कुरुक्षेत्र के पास एक जगह मौजूद है, अमीन. ये इससे पहले तक अभिमन्युपुर के नाम से जानी जाती थी.
जयंता, कुरुक्षेत्र के पास ही स्थित एक गांव का नाम था. आधिकारिक तौर पर अब इस जगह को जींद कहा जाता है, जो हरियाणा में अब एक जिला बन चुका है.
पानीप्रस्थ को अब लोग पानीपत के नाम से जानते है, वहीं सोनीप्रस्थ अब सोनीपत और व्याग्रपत अब बागपत बन गया है.,खंडावप्रस्थ जो कि एक जंगल था, को पहले इंद्रप्रस्थ जैसे शहर के तौर पर स्थापित किया गया और अब आधुनिक समय में इसी जगह को दिल्ली कहा जाता है.
हस्तिनापुर (जिसका नाम राजा हस्तिन था) और मथुरा ऐसी दो जगहें जिनके नामों में अब तक कोई बदलाव नहीं आया है और आखिर में, गुरूग्राम है, जिसे मॉर्डन समय में गुड़गांव कहा गया. लेकिन अब ये एक बार फिर अपने प्राचीन नाम गुरुग्राम में जाना जाने लगा है.कांधार को उस समय गांधार कहा जाता था. गांधार के राजा शकुनि, महाभारत में एक अहम किरदार के तौर पर जाने जाते हैं. गांधार इसी नाम के साथ ईरान में स्थित है. वहीं कुरुस ने एनाटॉलियंस को यावानास का नाम दिया. कंबोजा, उत्तर कुरु(उज्बेकिस्तान), फ़रस (सिस्तान) का नाम भी महाभारत में कुछ जगह मौजूद है.
जेएनयू प्रोफे़सर की इस मामले में ये है राय
स्त्राद्रु दास ने इस मामले में जेएनयू प्रोफेसर रोमिला थापर की राय पर प्रकाश डाला. प्रोफ़ेसर रोमिला थापर के मुताबिक, महाभारत की कहानी 1200 BC से और रामायण की 1300 BC से शुरु होती है. ये दोनो ही गाथाएं कई सदियों तक श्लोकों के रुप में बयान की जाती रही. 400 AD में इनके बारे में लिखना शुरु किया गया. इससे पहले भी कुछ ऐसे लेख थे, जो महत्वपूर्ण होने के बावजूद ज़्यादा चर्चा नहीं बटोर सके.ये 1500 सालों का विकास था, जिसने महाभारत और रामायण को आज इस मुकाम पर लाकर खड़ा किया है. दोनों ही ग्रंथ अपने आप में बेहद जटिल है. दुनिया भर में इन्हें लेकर कई धारणाएं, परिभाषाएं और व्याख्याएं मौजूद है. दुनिया का विभिन्न समाज इसे जटिल और रहस्यमयी होने के चलते, अलग-अलग तरीकों से व्याख्या करता रहा हैं.
खास बात ये है कि इन्हें लंबे समय तक नहीं लिखा गया और इन महागाथाओं को केवल एक सीमित समय में ख़त्म कर दिया गया था. इससे ये अपने आस-पास होने वाली सामाजिक, राजनीतिक, वैचारिक परिस्थितियों से वंचित रहे जिसकी वजह से आने वाली सभ्यताएं इन्हें विभिन्न परिदृश्यों में कैद करने में कामयाब रही.
2500 साल पहले तक ग्रीक सभ्यता अपने शुरुआती चरण में थी और रोमन सभ्यता में अब भी मछुआरे और चरवाहे काफ़ी संख्या में थे. Mesopotamian सभ्यता अपने ढलान पर थी, तो मिस्त्र की सभ्यता चरम पर. चीन की सभ्यता भी उस समय काफ़ी फल फूल रही थी और सिंधु घाटी सभ्यता पूरी तरह से ख़त्म होने की कगार पर थी क्योंकि लोगों ने दक्षिण की तरफ़ मुड़ना शुरु कर दिया था.
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