Thursday, 9 February 2017

वैज्ञानिकों की खोज से पहले हनुमान चालीसा में दर्ज हो चुकी थी सूरज से धरती की दूरी...

सदियों से विभिन्न धार्मिक ग्रंथ विज्ञान को चुनौती देते आ रहे हैं. ग्रंथों में लिखे तथ्य आज भी लोगों को चौंका देते हैं। ऐसा ही एक तथ्य आपका विश्वास हमारे धार्मिक ग्रंथों की ओर और मजबूत कर देगा।

हनुमान चालीसा में लिखी है धरती से सूरज के बीच की दूरी-

17वीं शताब्दी में वैज्ञानिक Giovanni Cassini और Jean Richer ने सूरज और धरती के बीच की दूरी का आंकलन किया था। ये दूरी है 149.6 मिलियन किलोमीटर यानि 14,96,00,000 किलोमीटर।

हनुमान चालीसा 16वीं शताब्दी में तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में लिखी गई थी. इन चालीस चौपाइयों में बजरंग बली का पूर्ण वर्णन है। 18वीं चौपाई अगर आप पढ़ें, तो इसमें अपको धरती और सूरज के बीच की दूरी का वर्णन मिलेगा। 

जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

हिन्दू वैदिक साहित्य के हिसाब से 1 जुग यानि 12000, सहस्त्र यानि 1000, 1 योजन यानि 8 मील। इसे अगर गुणा किया जाए तो-
12000 x 1000 x 8 = 96,000,000 मील, 1 मील = 1.6 किलोमीटर
96,000,000 x 1.6 = 15,36,00,000 किलोमीटर 

इस चौपाई का अर्थ है, 96,000,000 मील की दूरी पर सूरज को मीठा फल समझ कर मारुति नंदन निगल गए थे।

इस चौपाई से मिली सूरज और धरती के बीच की दूरी काफी हद तक वैज्ञानिक आंकलन से मिलती है. ऐसे में एक बार फिर हमारा विश्वास धर्म की ओर और मजबूत होता है.

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