Monday 20 February 2017

आज भी जिंदा हैं बजरंग बली, श्रीलंका में  देखे जा चुके हैं कई बार ...

हमारी पौराणिक कहानियों के कई किरदार ऐसे हैं, जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है। इन्हीं अमर प्रतापियों में रामभक्त हनुमान का नाम सबसे ऊपर है, जो इंसान न होकर भी इंसानियत के प्रतीक हैं। भरोसे का नाम हैं। प्रतापी योद्धा हैं। भक्ति के अनमोल दूत हैं। प्रेम का दूसरा नाम है। हमारी पौराणिक कथाओं में महावीर हनुमान जी को सीता मैय्या ने अमरता का आशिर्वाद दिया था, जो लगता है सच भी है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि सहस्त्र वर्षों से जिस श्रीलंका से हमारे संबंध रहे हैं, उसी श्रीलंका को उलट-पुलट कर बर्बाद कर देने का प्रताप भी महावीर हनुमान के पास है और उसी श्रीलंका के निवासियों ने अब दावा किया है कि उन्होंने महावीर हनुमान को देखा है। अमेरिकी न्यूज वेबसाइट वॉशिंगटन पोस्ट में छपी एक खबर के मुताबिक श्रीलंका के आदिवासियों ने रामभक्त हनुमान के दर्शन किए। ये भले ही असंभव बात लगती हो, पर इन श्रीलंकाई आदिवासियों के दावों को झुठलाना भी आसान नहीं है।
दरअसल, ट्रिनिटी विश्वविद्यालय के 2 सदस्यीय शोधकर्ताओं के दल ने श्रीलंका का दौरा किया। यहां सेतु हनुमान नाम की एक संस्था है, जो महावीर हनुमान पर शोधकार्य कर रही है। उसी शोधकर्ताओं के दल ने दावा किया है कि महावीर हनुमान श्रीलंका के इन आदिवासियों को प्रत्येक 41 वर्षों में दर्शन देते हैं। वो भी जंगलों में। इन आदिवासियों का दावा है कि अमरता का वरदान पाए महावीर हनुमान प्रत्येक 41 वर्षों में जंगल में आकर सशरीर उन्हें दर्शन देते हैं।
सेतु हनुमान नाम के संगठन का कहना है कि ये आदिवासी आध्यात्मिक रूप से प्रत्येक 41 वर्षों में भक्तिभाव के चरम पर पहुंच जाते हैं, औऱ वो आत्म मंडल नाम का त्योहार हर्षोल्लास से मनाते हैं। इसी त्योहार के मौके पर रामभक्त हनुमान उन्हें दर्शन देते हैं। खास बात तो ये है कि वो लोगों ने बातचीत भी करते हैं और उनकी इच्छाओं को भी जानते हैं। ये सबकुछ एक रजिस्टर में दर्ज होता है। इस रजिस्टर में महावीर हनुमान से पूछे सवाल और उनके जवाब लिखे जाते हैं। 
यहां ‘सेतु हनुमान बोधि’ नाम का मठ है, जो पिदुरुथालगला की पहाड़ियों पर स्थित है। ट्रिनिटी विश्वविद्यालय की टीम यहीं ‘सेतु हनुमान बोधि’ मठ पर रुकी और 4 माह के शोध के पश्चात् वापस अमेरिका चली गई, इस बात से संतुष्ट होकर कि रामभक्त हनुमान प्रत्येक 41 वर्षों में इन आदिवासियों को दर्शन देते हैं और वो अमरता को प्राप्त हैं।

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