ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में शामिल होने देश के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा अपनी पूरी टीम के साथ रांची आये। सम्मेलन शुरू होने से पूर्व उनसे राज्य के विकास के मुद्दे पर बातचीत हुई। इस दौरान झारखंड के सपूत क्रिकेटर श्री महेंद्र सिंह धोनी भी साथ थे
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कल की चार्मिग प्रोफेशनल डिझाइनर NRI लडकी निशा संघवी ओर कहाँ आज की साध्वीजी संवेगरत्नाश्रीजी म.सा....
लाखो डोलर का पगार
अमेरिका छोडकर
भारत लोट आइ निशा ने जब जैन संयम मार्ग ग्रहण किया तो पूरी दूनिया देखती रह गइ.. दूनियाभर के अखबारो मे ये समाचार चमके...
अमेरिका छोडकर
भारत लोट आइ निशा ने जब जैन संयम मार्ग ग्रहण किया तो पूरी दूनिया देखती रह गइ.. दूनियाभर के अखबारो मे ये समाचार चमके...
दीक्षा ले के अपनी सारी संपति गरीबो को दान कर देने वाली निशा
आज धर्म आराधना मे लीन हे..
आज धर्म आराधना मे लीन हे..
यही हमारे देश की धर्म की महानता हे ज़िस पे गर्व होता हे
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'फूलन-देवी' "डाकू" होकर भी चुनाव जीत गई थी...
और 'किरण-बेदी' "पुलिस-ऑफिसर" होकर भी हार गई थी!!
और 'किरण-बेदी' "पुलिस-ऑफिसर" होकर भी हार गई थी!!
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मोदी जी ने ITBP के लियें सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया अबतक का सबसे बड़ा क़दम...
. जवानों में ख़ुशी की लहर...
पीएम मोदी जब भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठकें करते हैं वो सेना के आधुनिकीकरण और जवानों को सुविधाओं की बातें जरूर करते हैं।
मोदी सरकार ने पिछले दो सालों में देश की सुरक्षा करने वाले जवानों और देश का पेट भरने वाले किसानों के लिए ढेरों कदम उठाए हैं। पिछले और इस बार के भी बजट में जहां किसानों पर फोकस रहा है, वहीं सरकार ने पिछले दो-तीन महीनों में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की सैन्य डील की है जो कि सेना को ताकतवर बनाने और उसे संसाधनों से लैस करने के लिए ही है। पीएम मोदी जब भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठकें करते हैं उनका पूरा जोर सेना के आधुनिकीकरण पर रहता है, ताकि बेहद कठिन स्थितियों में रह कर देश की सेवा करने वाले, सुरक्षा करने वाले जवानों को कम से कम संसाधनों के स्तर पर तो परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।
देश के जवानों को बेहतर सुविधाएं दिए जाने के क्रम में ही भारत-चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी के जवानों के लिए विशेष स्नो स्कूटर खऱीदे गए हैं। भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी के जवान अब इन महंगे और बर्फ पर चलने वाले स्कूटरों से गश्त करेंगे जो खासतौर पर एडवेंचर प्रेमियों के लिए आमतौर पर बर्फीले पर्यटन स्थलों पर इस्तेमाल में लाये जाते हैं। अमेरिका की एक कंपनी से खरीदे गए ये पांच शक्तिशाली स्कूटर लद्दाख, उत्तराखंड और सिक्किम में उंचे स्थानों पर सीमा पर ले जाये गये हैं जहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) तैनात रहती है। इन स्कूटरों से आईटीबीपी के जवानों को काफी सुविधा मिलने की उम्मीद है, इनसे उनकी रफ्तार भी तेज होगी।
जानिये कितने ख़ास प्रकार से डिजाईन किये गये हैं आधुनिक स्कूटर
आखिर क्यों हैं ITBP में इन स्कूटर को लेके इतना उत्साह
एक करोड़ रुपये की कीमत वाले इन आधुनिक स्कूटरों पर राइफल और गोला-बारूद के साथ चालक और उसके पीछे एक जवान बैठ सकता है। ये स्नो स्कूटर पहाड़ी पर 45 डिग्री की ढलान पर चढ़ सकते हैं। इनमें 278 किलोग्राम वजनी मशीन लगी है जो चेनकेस बेल्टों के सहारे चलती है, जिससे ये बर्फ पर सुगमता से चलती है। आईटीबीपी को 3,488 किलोमीटर की सीमा की प्रभावी तरीके से निगरानी के लिए पिछले साल छह दर्जन से अधिक एसयूवी मिली थी जिन्हें गश्ती और परिवहन के लिए दूरदराज के सीमावर्ती इलाकों में भेजा गया था। अब इस बल की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्नो स्कूटर भेजे गए हैं जिनकी इन्हें बहुत जरूरत थी।
जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के उपरी इलाकों में पर्यटकों और रक्षा बलों द्वारा प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले इन स्कूटरों को भारतीय सुरक्षा बल में इस्तेमाल के उद्देश्य से पहली बार शामिल किया गया है। आईटीबीपी के प्रवक्ता डिप्टी कमांडेंट विवेक पांडेय के मुताबिक इन स्नो स्कूटरों को दुरुह इलाकों में ड्यूटी करने के लिए जवानों को बेहतर उपकरणों से लैस करने के लिए आधुनिकीकरण के तौर पर लाया गया है। कुछ महीनों तक इन स्कूटरों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाएगा और एक बार सही पाये जाने पर आईटीबीपी के लिए बर्फ में चलने वाले और अधिक वाहनों को खरीदा जाएगा। आईटीबीपी के 80 हजार जवान भारत-चीन सीमा की रक्षा में तैनात हैं। इसकी कुछ चौकियां 9000 फुट से 18000 फुट तक की ऊंचाई पर हैं जहां अक्सर तापमान शून्य से 20-30 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है। जाहिर है ये जवान बेहद मुश्किल हालात में काम करते हैं और उन्हें सुविधाएं मुहैया कराकर सरकार ने जय जवान-जय किसान की अपनी नीति पर एक कदम आगे बढ़ाया है।
पीएम मोदी जब भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठकें करते हैं वो सेना के आधुनिकीकरण और जवानों को सुविधाओं की बातें जरूर करते हैं।
मोदी सरकार ने पिछले दो सालों में देश की सुरक्षा करने वाले जवानों और देश का पेट भरने वाले किसानों के लिए ढेरों कदम उठाए हैं। पिछले और इस बार के भी बजट में जहां किसानों पर फोकस रहा है, वहीं सरकार ने पिछले दो-तीन महीनों में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की सैन्य डील की है जो कि सेना को ताकतवर बनाने और उसे संसाधनों से लैस करने के लिए ही है। पीएम मोदी जब भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठकें करते हैं उनका पूरा जोर सेना के आधुनिकीकरण पर रहता है, ताकि बेहद कठिन स्थितियों में रह कर देश की सेवा करने वाले, सुरक्षा करने वाले जवानों को कम से कम संसाधनों के स्तर पर तो परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।
देश के जवानों को बेहतर सुविधाएं दिए जाने के क्रम में ही भारत-चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी के जवानों के लिए विशेष स्नो स्कूटर खऱीदे गए हैं। भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी के जवान अब इन महंगे और बर्फ पर चलने वाले स्कूटरों से गश्त करेंगे जो खासतौर पर एडवेंचर प्रेमियों के लिए आमतौर पर बर्फीले पर्यटन स्थलों पर इस्तेमाल में लाये जाते हैं। अमेरिका की एक कंपनी से खरीदे गए ये पांच शक्तिशाली स्कूटर लद्दाख, उत्तराखंड और सिक्किम में उंचे स्थानों पर सीमा पर ले जाये गये हैं जहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) तैनात रहती है। इन स्कूटरों से आईटीबीपी के जवानों को काफी सुविधा मिलने की उम्मीद है, इनसे उनकी रफ्तार भी तेज होगी।
जानिये कितने ख़ास प्रकार से डिजाईन किये गये हैं आधुनिक स्कूटर
आखिर क्यों हैं ITBP में इन स्कूटर को लेके इतना उत्साह
एक करोड़ रुपये की कीमत वाले इन आधुनिक स्कूटरों पर राइफल और गोला-बारूद के साथ चालक और उसके पीछे एक जवान बैठ सकता है। ये स्नो स्कूटर पहाड़ी पर 45 डिग्री की ढलान पर चढ़ सकते हैं। इनमें 278 किलोग्राम वजनी मशीन लगी है जो चेनकेस बेल्टों के सहारे चलती है, जिससे ये बर्फ पर सुगमता से चलती है। आईटीबीपी को 3,488 किलोमीटर की सीमा की प्रभावी तरीके से निगरानी के लिए पिछले साल छह दर्जन से अधिक एसयूवी मिली थी जिन्हें गश्ती और परिवहन के लिए दूरदराज के सीमावर्ती इलाकों में भेजा गया था। अब इस बल की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्नो स्कूटर भेजे गए हैं जिनकी इन्हें बहुत जरूरत थी।
जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के उपरी इलाकों में पर्यटकों और रक्षा बलों द्वारा प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले इन स्कूटरों को भारतीय सुरक्षा बल में इस्तेमाल के उद्देश्य से पहली बार शामिल किया गया है। आईटीबीपी के प्रवक्ता डिप्टी कमांडेंट विवेक पांडेय के मुताबिक इन स्नो स्कूटरों को दुरुह इलाकों में ड्यूटी करने के लिए जवानों को बेहतर उपकरणों से लैस करने के लिए आधुनिकीकरण के तौर पर लाया गया है। कुछ महीनों तक इन स्कूटरों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाएगा और एक बार सही पाये जाने पर आईटीबीपी के लिए बर्फ में चलने वाले और अधिक वाहनों को खरीदा जाएगा। आईटीबीपी के 80 हजार जवान भारत-चीन सीमा की रक्षा में तैनात हैं। इसकी कुछ चौकियां 9000 फुट से 18000 फुट तक की ऊंचाई पर हैं जहां अक्सर तापमान शून्य से 20-30 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है। जाहिर है ये जवान बेहद मुश्किल हालात में काम करते हैं और उन्हें सुविधाएं मुहैया कराकर सरकार ने जय जवान-जय किसान की अपनी नीति पर एक कदम आगे बढ़ाया है।
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