कैसे समाप्त होगी पाकिस्तान परस्त सोच ?
ये वो सोच है जो कुरान की कुशिक्षाओं पर टिकी है । पाकिस्तान नाम का एक मात्र कोई देश ही नहीं बल्कि अरब देश की गुलामी से युक्त एक विचारधारा है । जिसे भारतीय भूखंड पर रहने वाला हर मुसलमान मानता है । अरबों की गुलामी तक करने को उतारू हर भारत का मुसलमान इसी जमीन पर पैदा होने के बावजूद भी इस जमीन से कटा हुआ है वो इस बात को मानने के लिये तैयार ही नहीं है कि जिन अरबों के जूते चाटते हुए वो भारत के अन्य धर्म के लोगों का रक्त तक बहाने को तैयार है और अरबी मानसिकता से पोषित वो जिहादी जुनून में पागल हुआ फिरता है वे अरबी ही उसे मुसलमान मानने तक को तैयार नहीं हैं । भारत से मुसलमानों का खून का रिश्ता है और अरब से पानी का । हम मानते हैं कि खून का रिश्ता पानी के रिश्ते से ज्यादा वजन रखता है ।
जो भी मनुष्य किसी विदेश में पनपे किसी मज़हब को मानता है वो वैसे ही भारतीयता से कट जाता है । उसकी वफादारी पहले उन देशों के प्रति होती है जिनसे उसके मज़हब का सम्बन्ध होता है । इसी कारण हर मुसलमान को भारतीयता से जोड़ने के लिये ये आवश्यक है कि उसके सबसे पहले अरबों से जुड़े तार काट दिए जाएँ । और ये तब संभव है जब शुद्धि यज्ञ चलाकर वैदिक धर्म से तुल्नात्मक दृष्टिकोण से इस्लाम की बुद्धिमतापूर्वक समीक्षा करना । आर्य समाज इसी शैली को मानता है क्योंकि विचारों का युद्ध विचारों से ही जीता जा सकता है ।
कुरान की विषैली और अमानवीय विचारधारा को केवल वैदिक विचारधारा ही समाप्त कर सकती है । क्योंकि वैदिक विचारधारा ही मनुष्यता की पोषक और सभी प्रकार के सुखों को देने वाली है ।
-- कुमार आर्य
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