बालीवुड और टीवी सीरियल के नजरिए से हिन्दू को कैसे देखा जाता है एक झलक:----
*ब्राह्मण* - ढोंगी पंडित, लुटेरा,
*राजपूत* - अक्खड़, मुच्छड़, क्रूर, बलात्कारी
*वैश्य या साहूकार* - लोभी, कंजूस,
*गरीब हिन्दू दलित* - कुछ पैसो या शराब की लालच में बेटी को बेच देने वाला चाचा ,या झूठी गवाही देने वाला
*सिक्ख*- जोकर आदि बनाकर मजाक उड़ाना
*जाट* खाप पंचायत का अड़ियल ,बेटी और बेटे के प्यार का विरोध करने वाला और महिलाओ पर अत्याचार करने वाला
*वैश्य या साहूकार* - लोभी, कंजूस,
*गरीब हिन्दू दलित* - कुछ पैसो या शराब की लालच में बेटी को बेच देने वाला चाचा ,या झूठी गवाही देने वाला
*सिक्ख*- जोकर आदि बनाकर मजाक उड़ाना
*जाट* खाप पंचायत का अड़ियल ,बेटी और बेटे के प्यार का विरोध करने वाला और महिलाओ पर अत्याचार करने वाला
और वही दूसरी और ...
*मुस्लिम* - *अल्लाह का नेक बन्दा, नमाजी, साहसी, वचनबद्ध, हीरो-हीरोइन की मदद करने वाला टिपिकल रहीम चाचा या पठान।*
*ईसाई* - *जीसस जैसा प्रेम, अपनत्व, हर बात पर क्रॉस बना कर प्रार्थना करते रहना।*
kuchh prasiddh udaharan...
*सलीम - जावेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मो को देखे, तो उसमे आपको अक्सर बहुत ही चालाकी से हिन्दू धर्म का मजाक तथा मुस्लिम / इसाई / साईं बाबा को महान दिखाया जाता मिलेगा. इनकी लगभग हर फिल्म में एक महान मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का मजाक तथा संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते है...जावेद ने तो स्वीकार भी कर लिया है कि अब शोले में मंदिर वाला दृश्य मुश्किल है क्योंकि हिन्दू असहिष्णु हो गया है
फिल्म "शोले" में धर्मेन्द्र भगवान् शिव की आड़ लेकर "हेमामालिनी" को प्रेमजाल में फंसाना चाहता है जो यह साबित करता है कि - *मंदिर में लोग लडकियां छेड़ने जाते है. इसी फिल्म में ए. के. हंगल इतना पक्का नमाजी है कि - बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढने चल देता है.कि- उसे और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए.*
"दीवार" का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान् का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, *लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला भी बार बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है.* "जंजीर" में भी अमिताभ नास्तिक है और जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती है *लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है.*
फिल्म 'शान" में अमिताभ बच्चन और शशिकपूर साधू के वेश में जनता को ठगते है लेकिन इसी फिल्म में *"अब्दुल" जैसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है.* फिल्म "क्रान्ति" में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और *करीमखान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है.*
अमर-अकबर-अन्थोनी में तीनो बच्चो का बाप किशनलाल एक खूनी स्मग्लर है लेकिन *उनके बच्चों अकबर और अन्थोनी को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई महान इंसान है.* साईं बाबा का महिमामंडन भी इसी फिल्म के बाद शुरू हुआ था. फिल्म "हाथ की सफाई" में चोरी - ठगी को महिमामंडित करने वाली प्रार्थना भी आपको याद ही होगी.
कुल मिलाकर आपको इनकी फिल्म में हिन्दू नास्तिक मिलेगा या धर्म का उपहास करता हुआ कोई कारनामा दिखेगा और इसके साथ साथ आपको शेरखान पठान, *DSP डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेबिड, आदि जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे.* हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो लेकिन अबकी बार ज़रा ध्यान से देखना.
*केवल सलीम / जावेद की ही नहीं बल्कि कादर खान, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट, आदि की फिल्मो का भी यही हाल है. फिल्म इंडस्ट्री पर दाउद जैसों का नियंत्रण रहा है. इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है और पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कामेडियन, आदि ही दिखाया जाता है.*
*"फरहान अख्तर" की फिल्म "भाग मिल्खा भाग" में "हवन करेंगे" का आखिर क्या मतलब था ? pk में भगवान् का रोंग नंबर बताने वाले आमिर खान क्या कभी अल्ला के रोंग नंबर 786 पर भी कोई फिल्म बनायेंगे ? मेरा मानना है कि - यह सब महज इत्तेफाक नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश है एक चाल है ...
ये बॉलीवुड इंडस्ट्री, सिर्फ हमारे धर्म, समाज और संस्कृति पर घात करने का सुनियोजित षड्यंत्र है और वह भी हमारे ही धन से । फिल्म इंडस्ट्री पर दुबई और अरब के काले पैसे का प्रभाव है ,जिसको यहां सरकार सहयोग ही देती रही है ...इस तिलिस्म को तोडने की कोशिश नही हुई... उपर से जावेद अख्तर जैसे कई हजार वामपंथीयो के बौद्धिक गुडयी चलती है। वामपंथीयो के हिन्दु विरोधी सोच को स्वीकार करो तब फिल्म इंडस्ट्री मे इन्टरी मिलती है,कलाकार का मानसिक और शारीरिक शोषण खुलकर किया जाता है। नही तो बहुत से कलाकारों का career खत्म कर दिया जाता है। कई कलाकारों की अस्वाद का शिकार होना और असमय मौत
हम हिन्दू और सिक्ख अव्वल दर्जे के CARTOON बन चुके हैं... ये कभी वीर हिन्दू पुत्रों महाराणा प्रताप ,गुरु गोविन्द सिंह गुरु तेग बहादुर चन्द्रगुप्त मौर्य ,अशोक, विक्रमादित्य, वीर शिवाजी संभाजी राणा साँगा, पृथ्वीराज की कहानी नही बता सकते.. फिर भी हम इन फिल्मो को 200 400 करोड़ों तक पंहुचा देते है आखिर क्यू ?
.दक्षिण भारतीय फिल्मो में भारतीयता और वैष्णवता की झलक मिलती है वे किसी अन्य धर्म के लिए नही कहते तो वैष्णव के लिए बी कुछ गलत प्रदर्शित नही करते ।कभी गहराई से विचार कीजियेगा…
हम हिन्दू और सिक्ख अव्वल दर्जे के CARTOON बन चुके हैं... ये कभी वीर हिन्दू पुत्रों महाराणा प्रताप ,गुरु गोविन्द सिंह गुरु तेग बहादुर चन्द्रगुप्त मौर्य ,अशोक, विक्रमादित्य, वीर शिवाजी संभाजी राणा साँगा, पृथ्वीराज की कहानी नही बता सकते.. फिर भी हम इन फिल्मो को 200 400 करोड़ों तक पंहुचा देते है आखिर क्यू ?
.दक्षिण भारतीय फिल्मो में भारतीयता और वैष्णवता की झलक मिलती है वे किसी अन्य धर्म के लिए नही कहते तो वैष्णव के लिए बी कुछ गलत प्रदर्शित नही करते ।कभी गहराई से विचार कीजियेगा…
---------box-----एक समय था जब मुसलमान एक्टर हिंदू नाम रख लेते थे क्योंकि उन्हें डर था कि अगर दर्शकों को उनके मुसलमान होने का पता लग गया तो उनकी फिल्म देखने कोई नहीं आएगा। ऐसे लोगों में सबसे मशहूर नाम युसूफ खान का है जिन्हें दशकों तक हम दिलीप कुमार समझते रहे। महजबीन अलीबख्श मीना कुमारी बन गई और मुमताज बेगम जहाँ देहलवी मधुबाला बनकर हिंदू ह्रदयों पर राज करतीं रहीं। बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी को हम जाॅनी वाकर समझते रहे और हामिद अली खान विलेन अजित बनकर काम करते रहे। हममें से कितने लोग जान पाए कि अपने समय की मशहूर अभिनेत्री रीना राॅय का असली नाम सायरा खान था।
जरा सोचिए कि पिछले 50 साल में ऐसा क्या हुआ है कि अब ये मुस्लिम कलाकार हिंदू नाम रखने की जरूरत नहीं समझते बल्कि उनका मुस्लिम नाम उनका ब्रांड बन गया है। यह उनकी मेहनत का परिणाम है या हम लोगों के अंदर से कुछ खत्म हो गया है?
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पूर्व सुचना और प्रसारण मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा मोदी सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी की हत्या कर रही है... मनीष तिवारी के नाम पर आप बिलकुल भी न जाइये, ये शख्स ईसाई है, और सालों पहले ही अपना धर्मांतरण भी कर चूका है
जरा सोचिए कि पिछले 50 साल में ऐसा क्या हुआ है कि अब ये मुस्लिम कलाकार हिंदू नाम रखने की जरूरत नहीं समझते बल्कि उनका मुस्लिम नाम उनका ब्रांड बन गया है। यह उनकी मेहनत का परिणाम है या हम लोगों के अंदर से कुछ खत्म हो गया है?
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"सेक्सी दुर्गा" पर रोक, भड़क गयी कांग्रेस...
गोवा फिल्म फेस्टिवल में मोदी सरकार ने "सेक्सी दुर्गा" पर रोक लगा दिया है, इस फिल्म से हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ किया गया है, इस फिल्म का नाम इसी मकसद से रखा गया है जिस से हिन्दुओ की भावनाओं को ठेस पहुंचेहिन्दुओ को फिल्मो के जरिये अपमानित करना, ये आजकल का नया फैशन सा हो गया है, और जब इन फिल्मो का विरोध होता है तो सरकार को क्रूर और हिन्दुओ को असहिष्णु बता दिया जाता है
गोवा फिल्म फेस्टिवल में मोदी सरकार ने "सेक्सी दुर्गा" पर रोक लगा दिया है, इस फिल्म से हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ किया गया है, इस फिल्म का नाम इसी मकसद से रखा गया है जिस से हिन्दुओ की भावनाओं को ठेस पहुंचेहिन्दुओ को फिल्मो के जरिये अपमानित करना, ये आजकल का नया फैशन सा हो गया है, और जब इन फिल्मो का विरोध होता है तो सरकार को क्रूर और हिन्दुओ को असहिष्णु बता दिया जाता है
पूर्व सुचना और प्रसारण मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा मोदी सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी की हत्या कर रही है... मनीष तिवारी के नाम पर आप बिलकुल भी न जाइये, ये शख्स ईसाई है, और सालों पहले ही अपना धर्मांतरण भी कर चूका है
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