देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती हैं ये 10 एजेंसियां...!
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1. रिसर्च ऐंड अनैलिसिस विंग (RAW)-
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1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत का इंटेलिजेंस ब्यूरो सही से काम नहीं कर पाया था। ऐसे में एक ऐसी एजेंसी की जरूरत महसूस हुई जो सूचनाएं एकत्रित करने और दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम हो। इसके नतीजे में 1968 में रॉ का गठन हुआ जिसका उस समय नाम फॉरन इंटेलिजेंस था। रॉ को दुनिया की बेहतरीन खुफिया एजेंसियों में एक माना जाता है। इसने बांग्लादेश के निर्माण, ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्ध और 71, 99 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
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2. इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)-
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इंटेलिजेंस ब्यूरो का गठन साल 1887 में सरकार के एग्जिक्युटिव ऑर्डर से हुआ और 1947 में इसका पुनर्गठन हुआ। आईबी देश की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है। आईबी देश में खुफिया ऑपरेशनों को संचालित करती है और विदेश नीति बनाने में सरकार की मदद की करती है। आईबी के सदस्यों को रूस की केजीबी ट्रेनिंग देती है।
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3. नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA)-
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नैशनल इन्वेसिटगेशन एजेंसी (एनआईए) का गठन 2008 के मुंबई हमलों के बाद हुआ। यह एजेंसी आतंकवाद से संबंधित मामलों को हैंडल करती है। तंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों का अन्वेषण के लिए एनआईए का गठन किया गया जबकि सीबीआई आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है।
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4. नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO)-
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साल 2004 में टेक्निकल इंटेलिजेंस एजेंसी का गठन हुआ था। यह अन्य एजेंसियों को खुफिया जानकारी मुहैया कराती है और देश-विदेश में खुफिया सूचनाएं एकत्रित करने में समन्वय करती है। 2014 में इसने आईसीजी को खुफिया जानकारी दी थी जिसकी मदद से 2014 में नए साल की पूर्व संध्या पर पाकिस्तानी जहाज को उड़ाने में मदद मिली थी। यह इसका एक अहम ऑपरेशन था।
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5. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)-
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एनसीबी का गठन 1986 में हुआ था। एनसीबी भारत में मादक पदार्थों की तस्करी और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए काम करती है। इसने ऑपरेशनों में बीएसएफ पंजाब बॉर्डर के साथ समन्वय, बीएसएफ/आर्मी भारत-म्यांमार सीमा पर ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाई।
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6. डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA)-
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इसका गठन 2002 में किया गया था। यह देश-विदेश में डिफेंस से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाने का काम करती है। यह सिविल इंटेलिजेंस एजेंसियों पर सशस्त्र बलों की निर्भरता को कम करती है। डायरेक्टोरेट ऑफ सिगनल्स इंटेलिजेंस, डिफेंस इमेज प्रोसेसिंग ऐंड अनैलिसिस सेंटर और डिफेंस इन्फर्मेशन वारफेयर इसके नियंत्रण में हैं।
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7. डायरेक्टोरेट ऑफ एयर इंटेलिजेंस (DAI)-
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यह वायु सेना से संबंधित इंटेलिजेंस एजेंसी है। इसने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। यह देश के आंतरिक और सीमा से सटे इलाकों की निगरानी करती है। एयरस्पेस एरिया पर नजर रखने के लिए यह इंटेलिजेंस एजेंसी अवाक्स और ड्रोन्स का इस्तेमाल करती है।
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8. डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल इंटेलिजेंस (DNI)-
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यह भारतीय नौसेना का खुफिया अंग है जो सामुद्रिक क्षेत्र में सूचनाएं एकत्रित करने का काम करती है। कराची बंदरगाह पर बमवारी में इसने अहम भूमिका निभाई थी।
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9. डायरेक्टोरेट ऑफ मिलिट्री इंटेलिजेंस (DMI)-
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यह भारतीय थल सेना की इंटेलिजेंस विंग है। इसका गठन 1941 में किया गया था। आजादी के बाद इसे सेना में भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार दिया गया। एजेंसी ने कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई।
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10. जॉइंट साइफर ब्यूरो (JCB)-
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इसका गठन 2002 में किया गया था। यह सिगनल अनैलिसिस और क्रिप्टअनैलिसिस को हैंडल करती है। यह संवेदनशील डेटा का इन्क्रिप्शन करती है। इसकी जिम्मेदारी साइबर क्राइम से संबंधित मामलों को हैंडल करने की है।
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1. रिसर्च ऐंड अनैलिसिस विंग (RAW)-
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1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत का इंटेलिजेंस ब्यूरो सही से काम नहीं कर पाया था। ऐसे में एक ऐसी एजेंसी की जरूरत महसूस हुई जो सूचनाएं एकत्रित करने और दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम हो। इसके नतीजे में 1968 में रॉ का गठन हुआ जिसका उस समय नाम फॉरन इंटेलिजेंस था। रॉ को दुनिया की बेहतरीन खुफिया एजेंसियों में एक माना जाता है। इसने बांग्लादेश के निर्माण, ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्ध और 71, 99 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
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2. इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)-
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इंटेलिजेंस ब्यूरो का गठन साल 1887 में सरकार के एग्जिक्युटिव ऑर्डर से हुआ और 1947 में इसका पुनर्गठन हुआ। आईबी देश की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है। आईबी देश में खुफिया ऑपरेशनों को संचालित करती है और विदेश नीति बनाने में सरकार की मदद की करती है। आईबी के सदस्यों को रूस की केजीबी ट्रेनिंग देती है।
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3. नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA)-
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नैशनल इन्वेसिटगेशन एजेंसी (एनआईए) का गठन 2008 के मुंबई हमलों के बाद हुआ। यह एजेंसी आतंकवाद से संबंधित मामलों को हैंडल करती है। तंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों का अन्वेषण के लिए एनआईए का गठन किया गया जबकि सीबीआई आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है।
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4. नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO)-
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साल 2004 में टेक्निकल इंटेलिजेंस एजेंसी का गठन हुआ था। यह अन्य एजेंसियों को खुफिया जानकारी मुहैया कराती है और देश-विदेश में खुफिया सूचनाएं एकत्रित करने में समन्वय करती है। 2014 में इसने आईसीजी को खुफिया जानकारी दी थी जिसकी मदद से 2014 में नए साल की पूर्व संध्या पर पाकिस्तानी जहाज को उड़ाने में मदद मिली थी। यह इसका एक अहम ऑपरेशन था।
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5. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)-
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एनसीबी का गठन 1986 में हुआ था। एनसीबी भारत में मादक पदार्थों की तस्करी और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए काम करती है। इसने ऑपरेशनों में बीएसएफ पंजाब बॉर्डर के साथ समन्वय, बीएसएफ/आर्मी भारत-म्यांमार सीमा पर ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाई।
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6. डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA)-
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इसका गठन 2002 में किया गया था। यह देश-विदेश में डिफेंस से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाने का काम करती है। यह सिविल इंटेलिजेंस एजेंसियों पर सशस्त्र बलों की निर्भरता को कम करती है। डायरेक्टोरेट ऑफ सिगनल्स इंटेलिजेंस, डिफेंस इमेज प्रोसेसिंग ऐंड अनैलिसिस सेंटर और डिफेंस इन्फर्मेशन वारफेयर इसके नियंत्रण में हैं।
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7. डायरेक्टोरेट ऑफ एयर इंटेलिजेंस (DAI)-
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यह वायु सेना से संबंधित इंटेलिजेंस एजेंसी है। इसने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। यह देश के आंतरिक और सीमा से सटे इलाकों की निगरानी करती है। एयरस्पेस एरिया पर नजर रखने के लिए यह इंटेलिजेंस एजेंसी अवाक्स और ड्रोन्स का इस्तेमाल करती है।
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8. डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल इंटेलिजेंस (DNI)-
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यह भारतीय नौसेना का खुफिया अंग है जो सामुद्रिक क्षेत्र में सूचनाएं एकत्रित करने का काम करती है। कराची बंदरगाह पर बमवारी में इसने अहम भूमिका निभाई थी।
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9. डायरेक्टोरेट ऑफ मिलिट्री इंटेलिजेंस (DMI)-
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यह भारतीय थल सेना की इंटेलिजेंस विंग है। इसका गठन 1941 में किया गया था। आजादी के बाद इसे सेना में भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार दिया गया। एजेंसी ने कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई।
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10. जॉइंट साइफर ब्यूरो (JCB)-
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इसका गठन 2002 में किया गया था। यह सिगनल अनैलिसिस और क्रिप्टअनैलिसिस को हैंडल करती है। यह संवेदनशील डेटा का इन्क्रिप्शन करती है। इसकी जिम्मेदारी साइबर क्राइम से संबंधित मामलों को हैंडल करने की है।
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