Friday, 3 November 2017

saskar-dec

जानिए सूरज के बारे में..
गर्म गैस का गोला हमारा सूरज
अंतरिक्ष में सूरज जैसे अरबों तारे हैं.  यदि सूरज न होता तो धरती पर जीवन संभव नहीं था..सूरज का विकास इंसान के अस्तित्व में आने से 4.6 अरब साल पहले गैस के बादलों से हुआ. और अंदाजा है कि वह कम से कम 5 अरब सालों तक चमकता रहेगा, जब तक उसकी ऊर्जा का भंडार खत्म न हो जाए. सूरज सैकड़ों सालों से रिसर्चरों को आकर्षित और रोमांचित कर रहा है. आइये जानें इसके बारे में कुछ खास तथ्य.

रिसर्चरों के लिए आदर्श
सूरज दरअसल एक बड़ा परमाणु रिएक्टर है. उसके सत्व में तापमान और दबाव इतना ज्यादा है कि हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम परमाणु बन जाते हैं. इस प्रक्रिया में बहुत सारी ऊर्जा पैदा होती है. सूरज के मैटीरियल की एक चुटकी इतनी ऊर्जा पैदा करती है जितना पाने के लिए हजारों मीट्रिक टन कोयला जलाना होगा.
पृथ्वी का सौ गुना
धरती से देखने पर सूरज बहुत बड़ा नहीं लगता. वह आकाश में चमकदार स्पॉट की तरह दिखता है. लेकिन असल में उसका घेरा 700,000 किलोमीटर और उसके गर्भ का तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस है. बाहर की आखिरी सतह पर भी उसका तापमान 5,500 डिग्री सेल्सियस रहता है.
 दूसरे सितारों की तुलना में सूरज मध्यम आकार का है. कुछ तारे उससे भी 100 गुणा बड़े हैं तो कुछ उसके आकार का केवल एक दहाई.
बाहर से अशांत
सूरज की बाहरी सतह खौलती उबलती दिखती है. गर्म और चमकदार तरल सूरज के अंदर से बाहर निकलता है, ठंडा होता जाता है और फिर से अंदर की ओर चला जाता है. सूरज धरती के इतना करीब है कि खगोलशास्त्री इस प्रक्रिया को विस्तार से देख सकते हैं.
अद्भुत धब्बे
कभी कभी सूरज की सतह पर बड़े बड़े काले धब्बे दिखने लगते हैं और करीब महीने भर रहते हैं. ईसा के जन्म से भी पहले इंसान को इन धब्बों के बारे में पता था. काफी समय तक लोग इसके बारे में चकित रहते थे लेकिन अब पता है कि ये धब्बे तीव्र चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दिखते हैं.
खतरनाक तूफान
जब सूरज अत्यंत सक्रिय होता है तो भूचुम्बकीय तूफान पैदा हो जाते हैं. और सूरज बड़ी मात्रा में आवेशित अणुओं को अंतरिक्ष में फेंक देता है. ये अणु उपग्रहों से टकरा सकते हैं और उन्हें नष्ट कर सकते हैं. वे पृथ्वी पर बिजली के सब स्टेशनों के काम में भी बाधा डाल सकते हैं.
पोलर लाइट
भूचुम्बकीय तूफानों का ही एक असर पोलर लाइट भी है. अरुणोदय की चमक. ये तब दिखता है जब आवेशित अणु धरती के वातावरण से टकराते हैं. ऐसा कितनी बार होगा यह सौर चक्र पर निर्भर करता है. ग्यारह साल में एक बार सूरज खास तौर पर सक्रिय होता है.
खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए.
इसका ध्यान रखना चाहिए कि सूर्यग्रहण भले ही यादगार पल होते हैं लेकिन उन्हें कभी खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए. चांद आंशिक रूप से सूरज को ढक ले, तब भी सूरज बहुत चमकीला होता है. आंखों को सूरज की किरणों से नहीं बचाया तो उन्हें नुकसान पहुंच सकता है.
#डी डब्ल्लू
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योरोप में शाकाहार जोर पकड़ रहा है। अब आपको योरोप के किसी भी शहर में शाकाहार रेस्त्रा मिल जाएंगे।
वीगन अर्थव्यवस्था इस समय योरोप और जर्मनी में जोरों पर है. सोया की कॉफी और बगैर अंडे का केक बेचने वाले कॉफी हाउसों की बर्लिन में भरमार हो गई है. अब तो ऐसे कपड़ों की भी मांग बढ़ गई है जिसमें किसी भी तरह के पशु उत्पाद का इस्तेमाल नहीं हुआ है. चाहे वह बेल्ट हो या जूता. इनमें भी माइक्रोफाइबर का इस्तेमाल होता है. सर्विस सेक्टर ने भी इस ट्रेंड को अपना लिया है.
 भारत का सेकुलर मिडीया और सेकुलेरिष्ट बीफ खाने के लिए देश को बदनाम करते है। राहुल गांधी तो अमेरिका में जाकर चिल्ला आया कि भारत मे बीफ खाने नहीं दिया जा रहा है। दादरी में तथाकथित अखलाख कांड होने के बाद मीडिया में जोर शोर से प्रचार किया गया कि बीफ खाने वाले ही विश्व चैंपियन होते होते है।
ये हैं शाकाहारी चैंपियन,
माइक टायसन
बॉ़क्सिंग, वर्ल्ड चैंपियन
कार्ल लुईस
एथलीट, 9 ओलंपिक गोल्ड मेडल, 8 वर्ल्ड चैंपियनशिप
वीनस विलियम्स
टेनिस, 9 ग्रैंड स्लैम जीते
मार्टिना नवरातिलोवा
टेनिस, 18 ग्रैंड स्लैम
मैक डेंजिग
मिक्स्ड मार्शल आर्ट, 21 चैंपियनशिप
हाना टेटर
स्नोबोर्डर, ओलंपिक गोल्ड और वर्ल्ड चैंपियन ब्रोन्ज
डेव स्कॉट
ट्राईथैलन, 6 वर्ल्ड चैंपियन
बिली जीन किंग
टेनिस, 18 ग्रैंड स्लैम
शाकाहारी भारतीय चैंपियन्स
सुशील कुमार
कुश्ती, 2010 वर्ल्ड चैंपियन
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संस्कृत सीखने के लिये पुस्तकें -
1) प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी 
- डॉ. कपिलदेव द्विवेदी
2) संस्कृत स्वयं शिक्षक ( दो भागों में )
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
3) संस्कृत हिन्दी शब्दकोश एवं English -Sanskrit Dictionary
- वामन शिवराम आप्टे
4) अनुवाद चन्द्रिका
- डॉ. ब्रह्मानन्द त्रिपाठी
5) संस्कृत शिक्षण सरणी
- आचार्य राम शास्त्री
प्राप्त करने हेतु आप वेबसाइट का सहयोग ले सकते है ।
vedrishi.com

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घनश्याम साक्षीभावक
"बलूचिस्तान की बलोच प्रजा मूलतः हिन्दू जाती की ही थी और युगों से वैदिक हिन्दू धर्म पाल रही थी लेकिन विधर्मी आक्रमणकारियों के बढ़ते कदम के कारण युध्धकीय हिन्षक दबाव में अपना मूल धर्म त्यागती रही और कुछ लोग धर्म बचाने गुजरात-कच्छ की तरफ पलायन करते रहे ! 
आज भी गुजरात कच्छ में बलोच मूल की काफी हिन्दू जातिया बस रही है ! याद रहे की बलूचिस्तान में हिन्दुओ की एक सब से बड़ी शक्ति पीठ है ...श्री हिंगलाज भवानी जो हिंगुल पर्वत पर स्थित है ! माँ हिंगलाज भवानी बलोच जाती की कुलदेवी थी और आज भी बलोच मुश्लिम "नानी माँ" कहकर पुकारते है ! 
गुजरात में एक बारोट जाती है जिनकी कुलदेवी श्री हिंगलाज भवानी है ! बारोट शब्द आज बदल चूका है लेकीन समजे तो "बारोट" शब्द बलोच...बारोच..बारोट बन गया है ! "च" को कभी कभी "ट" भी बोला जाता है ! बारोट समाज का मूल वतन बलूचिस्तान हो सकता है जो आज हिन्दू जातियों की वंशावली-पीढ़ीनामा की वही रखते है ! गुजरात में एक दूसरी जाती है "भरवाड" जाती ! वह गौपालक जाती है लेकिन शरीर से बलवान जाती है !
 बलोच भी वैसे ही गौपालक थे और शरीर में बलवान होते थे ,,जिनके कारण बल में उच्च यानि "बलोच" कहलाये ! भरवाड शब्द भी बलवान से ही बना है ! आज भी बलूचिस्तान में गुजरात के गरबे जैसा नृत्य प्रचलित है ! वह बलोच गरबा ही है लेकिन आज धर्म परिवर्तन के कारण माँ हिंगलाज को समर्पित नहीं है लेकिन एक लोकनृत्य बन गया है ! अगर बलोच नहीं हारे होते आज भी वहा गुजरात की तरह नवरात्र की धूम होती !
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अध्यात्मिक वातावरण के साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है गिरौदपुरी 
बलौदा बाजार-भाटापारा जिले में प्राकृतिक पर्यटनों के अस्तित्व के साथ-साथ मानव निर्मित पर्यटन स्थल को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। जिले के स्थित प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिरौदुपरी, दामाखेड़ा, पलारी स्थित सिद्धेश्वर धाम मंदिर, जारा स्थित सिद्धेश्वर धाम, तुरतुरिया, गातापार स्थित रणबौर देवी का मंदिर, सोनाखान, बारनवापारा अभ्यारण्य शामिल है। गिरौदपुरी संत गुरू घासीदास की जन्मस्थली के साथ तपोभूमि रही है। यहां अध्यात्मिक वातावरण के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी सुंदर मेल दिखने को मिलता है।
गिरौदपुरी-छत्तीसगढ़ को संत महात्माओं की जन्मस्थली कहा जाता है। यहां की शस्य-श्यामला पावन भूमि में अनेक संत महात्माओं का जन्म हुआ। इनमें 18 वीं शताब्दी के महान् संत सतनाम संप्रदाय के प्रणेता, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत संत गुरू घासीदास जी का बलौदाबाजार-भाटापारा जिला में महानदी के पावन तट पर स्थित पवित्र ग्राम गिरौदपुरी में माघ पूर्णिमा 18 दिसम्बर 1756 को जन्म हुआ था। उक्त स्थल सतनाम संप्रदाय के तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। गुरूघासीदास जी के जन्म स्थली गिरौदपुरी बिलासपुर से 80 कि.मी., शिवरीनारायण से मात्र 15 कि.मी.दूरी पर स्थित है। रायपुर से 135 कि.मी. बलौदा बाजार होते हुए ग्राम बरपाली सड़क मार्ग से सीधे जीप या बस द्वारा गिरौदपुरी पहुंचा जा सकता है। यहाॅ पहंुचने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा भी राजधानी से सेवाएॅ उपलब्ध करायी जाती है।
गिरौधपुरी में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुतुबमीनार से भी ऊॅचा जैतखम्भ का निर्माण किया गया है। जिसका लोकार्पण मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह द्वारा 18 दिसंबर 2015 को आयोजित विश्व स्तरीय मेले के दौरान किया गया। उक्त मेला में भारत के कोने कोने के अलावा अन्य देशों के श्रद्धालु भाग लेते हंै। गिरौदपुरी में 243 फीट ऊॅचा एवं 60 मीटर व्यास का जैतखम्भ 54 करोड़ रूपये की लागत से बनाया गया है। इसके अलावा गिरौदपुरी के छाता पहाड़, अमृत कुंड, चरण कुंड, पंचकुंडी, गुरूघासीदास गद्दी, तपस्थली, सुफरा मठ आदि दर्शनीय स्थल का भी सौन्दर्यीकरण किया गया है। गिरौदपुरी में प्रतिवर्ष विशाल मेला का आयोजन होने के अलावा बारह माह दर्शनार्थियों का आवागमन होता है। यह क्षेत्र पर्यावरण से परिपूर्ण एवं वनांचल से घिरा हुआ है, जिसके चलते यहाॅ की सुन्दरता देखती ही बनती है।

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सैल्यूट है आपको आप भारत की एक बहादुर बेटी हो... 
.चीन और जापानीज प्रतिभागी के सामने बिल्कुल नोटिस नहीं की जा रही थी यहां तक कि कॉमेंटेटर ने लगभग 2:30 मिनट तक इस लड़की का नाम तक नहीं लिया था....फर्स्ट और सेकंड लेन में जगह ना मिलने के कारण इसने बाहरी लेन से लीड लेना शुरू किया
 पी यू चित्रा...यह एक भारतीय खिलाड़ी थी जिसने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2017 में गोल्ड मेडल जीतकर सबको चौंका दिया ..पी यू चित्रा एक छोटे से गांव मंडोर पलक्कड़ की रहने वाली यह लड़की ने भारत को गौरवान्वित किया
अफसोस की बात यह है किसी भी फ्रंटलाइन मीडिया या अखबार ने इस की उपलब्धि को जगह नहीं दी
गौर से देखिए जीतने के बाद इस बहादुर खिलाड़ी का बधाई देने वाला भी कोई नहीं था...सैल्यूट है आपको आप भारत की एक बहादुर बेटी हो... 👏🏾
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