Sunday 26 November 2017

example laghu -katha

 यही फर्क है .. हममें और दूसरों में ...
1994-95 में जब अमेरिकन शू ब्रांड 'रिबॉक' भारत में पैर जमाने की कोशिश कर रहा था . तब रिबॉक की प्लानिंग देश भर में 50 शोरूम खोलने की थी. रिबॉक इंडिया को पता था कि भारत में फिल्म स्टार और क्रिकेटर की पहुँच घर घर तक होती है इसलिये उन्होने रिबॉक के विज्ञापन के लिये पकड़ा .. तब के भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को .
एक डिज़ाइनर आर्टिकल भी लांच किया गया अजहर के नाम पर . उस आर्टिकल पर मोहम्मद अजहरुद्दीन के हस्ताक्षर भी थे. आर्टिकल मार्केट में आया. उस पर अजहरुद्दीन के पूरे सिग्नेचर थे ..'मोहम्मद अजहरुद्दीन' और ये सिग्नेचर थे इनसोल पर मतलब जूते के अंदर जहाँ हम पैर डालते है .. बिल्कुल एड़ी के नीचे. इसका फोटो अखबार में छपते ही हंगामा हो गया. हैदराबाद के उर्दू अखबारों ने अज़हर को कोसते हुए आर्टिकल छाप दिये कि .. 'कैसे कोई मोहम्मद साहब का नाम जूते जैसी अपवित्र जगह पर लिख सकता है'. फौरन इस आर्टिकल को मार्केट से हटाने की माँग करते हुए और अज़हर से माफी माँगने की माँग पर प्रदर्शन शुरू हो गये .
अजहर ने फौरन सफाई दी कि..' मैंने कही ऑटोग्राफ नही किये और मुझसे बिना पूछे मेरा नाम इनसोल पर लिखा गया है . इसके लिये मैँ सबसे माफी माँगता हूं. रिबॉक ने भी वो इंसोल बदल दिये.
नाम तो नाम होता है .. जैसे दुर्गा किसी का भी नाम हो सकता है तो मोहम्मद अजहरुद्दीन भी . जब 1995 में मुसलमानों को दिक्कत हुई थी तब मैंने कहीं नही पढ़ा कि किसी ने उन्हें कट्टर या दकियानुसी बोला हो . ना किसी हिंदू ना और ना ही किसी मुस्लिम ने या किसी राजनीतिक दल ने ... तो वही नियम कायदे 'दुर्गा' पर भी लागू होते है .
एक मुसलमान होने के नाते भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान अजहरुद्दीन ने फौरन माफी माँग ली थी लेकिन दोगले और घटिया हिंदू ही दुर्गा का समर्थन कर रहे है और एस.दुर्गा नाम रखने वाले भी हिंदू ही है .. यही फर्क है .. हममें और दूसरों में .
Ashish Retarekar जी की कलम से 💐

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