ऑर्डर पर मिलेगा अच्छा मौसम!
'क्लाउड सीडिंग' की तकनीक से जब चाहे धूप दिखना या जब चाहे बारिश कराना संभव हो गया है. जानिए कैसे.
रूसी हवाई सेना पहले कई बार भी क्लाउड सीडिंग प्रयोग कर चुकी है. वे किसी महत्वपूर्ण समारोह के आयोजन स्थल पर पहुंचने से पहले ही किसी स्थान पर बारिश को गिरा देते हैं, जिससे कुछ समय के लिए बादल खाली हो जाते हैं और समारोह की जगह सूखी रह जाती है.
अचानक कहां से सूरज!
रूस में 9 मई को मनाये गये सेना दिवस के समारोह से पहले रिहर्सल होने थे. बारिश हो रही थी कि अचानक आसमान खुल गया और सूरज चमकने लगा. उस समय रूस ने अपनी क्लाउड सीडिंग तकनीक का परीक्षण किया था.
रूस में 9 मई को मनाये गये सेना दिवस के समारोह से पहले रिहर्सल होने थे. बारिश हो रही थी कि अचानक आसमान खुल गया और सूरज चमकने लगा. उस समय रूस ने अपनी क्लाउड सीडिंग तकनीक का परीक्षण किया था.
सिल्वर आयोडाइड से होता है सब
आर्टिफीशियल कंडेंसेशन तकनीक इसके केंद्र में है. सिल्वर आयोडाइड के नाभिक तूफानी बादलों में रोपे जाते हैं. फिर इन नाभिकों पर वाष्प संघनित होती है और छोटे छोटे बर्फ के क्रिस्टल बन जाते हैं
आर्टिफीशियल कंडेंसेशन तकनीक इसके केंद्र में है. सिल्वर आयोडाइड के नाभिक तूफानी बादलों में रोपे जाते हैं. फिर इन नाभिकों पर वाष्प संघनित होती है और छोटे छोटे बर्फ के क्रिस्टल बन जाते हैं
केवल रूसी सेना ही नहीं जर्मनी के वाइन बनाने वाले भी सिल्वर आयोडाइड के साथ प्रयोग कर चुके हैं. ओला वृष्टि से अपने अंगूरों की खेती को बचाने के लिए उन्होंने इसे एक और रसायन एसीटोन में मिलाकर इस्तेमाल किया. इसका सबसे प्रभावी तरीका हवाई जहाज से रसायन का छिड़काव कराना है. विमान को तूफानी बादलों के ऊपर या नीचे उड़ाया जा सकता है. छिड़काव वाली बूंदें इतनी छोटी होती हैं कि गिर कर धरती तक पहुंचती भी नहीं और बादलों के पास तैरती रहती हैं.
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