Thursday, 4 June 2015

उत्तर दिशा मेँ सिर रखकर क्योँ नहीँ सोना चाहिए? और इसकी वैज्ञानिकता क्या?
(1)हमारे पूर्वजों ने नित्य की क्रियाओं के लिए समय, दिशा और आसन आदि का बड़ी सावधानी पूर्वक वर्णन किया है। उसी के अनुसार मनुष्य को कभी भी उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए।इसके कारण है कि पृथ्वी का उत्तरी धुव्र चुम्बकत्व का प्रभाव रखता है जबकि दक्षिण ध्रुव पर यह प्रभाव नहीं पाया जाता।
शोध से पता चला है कि साधारण चुंबक शरीर से बांधने पर वह हमारे शरीर के ऊत्तकों पर विपरीत प्रभाव डालता है । इसी सिद्धांत पर यह निष्कर्ष भी निकाला गया कि अगर साधारण चुंबक हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है तो उत्तरी पोल पर प्राकृतिक चुम्बक भी हमारे मन, मस्तिष्क व संपूर्ण शरीर पर विपरीत असर डालता है।
यही वजह है कि उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोना निषेध माना गया है।
(2)सर किस दिशा में करके सोना चाहिए यह भी एक मुख कारण है….
उत्तरी ध्रुव की तरफ .. +घनात्मक–. सर करके न सोयें
वैसे तो जिधर चाहे मनुष्य सिर करके सो जाता है, परंतु सिर्फ इतनी सी बात याद रखा जाए कि उत्तर की ओर सिर करके ना सोया जाये। इससे स्वप्न कम आते हैं, निद्रा अच्छी आती है।
कारण- पृथ्वी के दो ध्रुवों उत्तर, दक्षिण के कारण बिजली की जो तरंगे होती है यानि, उत्तरी ध्रुव में ( + ) बिजली अधिक होती है। दक्षिणी ध्रुव में ऋणात्मक (-) अधिक होती है। इसी प्रकार मनुष्य के सिर में विद्युत का धनात्मक केंद्र होता है । पैरों की ओर ऋणात्मक। यदि बिजली एक ही प्रकार की दोनों ओर से लाई जाए तो मिलती नहीं बल्कि हटना चाहती है। यानि ( + += -)
यदि घनत्व परस्पर विरुद्ध हो तो दौडकर मिलना चाहती है जैसे यदि सिर दक्षिण की ओर हो तो सिर का धनात्मक ( + ) और यदि पैर उत्तर ध्रुवतो, ऋणात्मक (-) बिजली एक दूसरे के सामने आ जाती है। और दोनों आपस में मिलना चाहती है। परंतु यदि पांव दक्षिण की ओर हो तो सिर का धनात्मक तथा उत्तरी ध्रुव की धनात्मक बिजली आमने-सामने हो जाती है और एक दूसरे को हटाती है जिससे मस्तिष्क में आंदोलन होता रहता है।एक दूसरे के साथ खींचा तानी चलती रहती हैपूर्व औरपश्चिम में चारपाई का मुख होने से कोई विषेश फर्क नहीं होता, बल्कि सूर्य की प्राणशक्ति मानव शरीर पर अच्छा प्रभावडालतीहै
पुराने लोग इस नियम को भली प्रकार समझते थे और दक्षिण की ओर पांव करके किसी को सोने नहीं देते थे। दक्षिण की ओर पांव केवल मृत व्यक्ति के ही किये जाते हैं मरते समय उत्तर की ओर सिर करके उतारने की रीति इसी नियम पर है, भूमि बिजली को शीघ्र खींच लेती है और प्राण सुगमता से निकल जाते है।
यहीँ है अपनी संस्कृति....

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मानव तस्करी रोकथाम के लिए वेबसाइट
भारत मानव तस्करी का बड़ा बाजार बन चुका है और देश की राजधानी दिल्ली मानव तस्करों की पसंदीदा जगह बनती जा रही है | जहां खास कर आदिवासी बच्चों और महिलाओं तस्करी किया जाता है उन्हें सेक्स, नशीले अपराधिक कार्यो के साथ विदेशों में भी भेजा जा रहा है |
अपनी संस्कृति के लिए भारत जाना जाता है लेकिन कुछ वर्षो में तेजी से मानव तस्करी के लिए बदनाम हो रहा है | भारत में मानव तस्करी को लेकर 
सुप्रीम कोर्ट ने संजा लेते हुए छत्तीसगढ़ तथा झारखंड के पुलिस और मुख्य सचिव से लिखित में जबाब माँगा था | छत्तीसगढ़ के जशपुर मैने मानव तस्करी रोकथाम के लिए कई वर्ष काम किया हु | इन आदिवासी परिवारों के बच्चो को उनके रिश्तेदार या परचित लोग लेकर बेच देते है | एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2009 से 2011 के बीच लगभग 1,77,660 बच्चे लापता हुए जिनमें से 1,22,190 बच्चों को पता चल सका, जबकि अभी भी 55 हजार से ज्यादा बच्चे लापता हैं जिसमें से 64 फीसदी यानी लगभग 35,615 नाबालिग लड़कियां हैं| वहीं इस बीच करीब 1 लाख 60 हजार महिलाएं लापता हुई जिनमें से सिर्फ 1 लाख 3 हजार महिलाओं का ही पता चल सका | इन गुमशुदा लोगो को खोजबिन किया जाये |
वहीं लगभग 56 हजार महिलाएं अब तक लापता हैं | इन सब बातो को देखते हुए
सरकार ने देश में खोए और पाए गए बच्चों को जल्द अपने परिजनों से मिलाने के लिए 'खोया-पाया' वेब पोर्टल लॉन्च किया। महिला व बाल विकास मंत्रालय और सूचना टेक्नॉलजी मंत्रालय के सहयोग से तैयार किए गए | देश के बच्चो कि सुरक्षा का प्रयास आगे बहुत कारगर होगा | देश का आनेवाला भविष्य सुरक्षित होगा तो देश भी सुरक्षित होगा |





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