Wednesday 14 December 2016

कालेधन के अंबार के बीच राजनीति उन्होंने देश की कमान संभाली और देश की अर्थव्यवस्था की सच्चाई से वे सन्न रह गए :- 

देश के बैंक डूबने जा रहे थे,
 कांग्रेस के समय जो 14 लाख करोड़ का ऋण बड़े औधोगिक घरानों को बांटा गया था वो डूब चूका था और बैंक दिवालिया होने की कगार पर थे। देश में निर्यात और आयात के सभी आंकड़े फर्जी थे। निर्यात के नाम पर कालाधन सफ़ेद हो रहा था या देश के खनिज सस्ते दामो या चोर रास्ते से बेचे जा रहे थे और आयात घोषित आंकडो से दुगना था। 

देश में रिजर्व बैंक द्वारा जारी वैध मुद्रा से दो गुने जाली अथवा एक नंबर के दो या तीन नोटों का जाल फेला हुआ था। नोटों को डॉलर में बदल देशद्रोहियों ने रूपये का अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य गिरा दिया था और पूरा देश विभिन्न नशे, घटिया और मिलावटी सामन के साथ ही सट्टे, लॉटरी, जुए, पॉर्न जीवन शैली की और धकेल दिया गया था। कोंग्रेस पुरे देश को घोर अंधकार में धकेल चूका था। 

.कांटे को निकालने के लिए कांटे की जरूरत होती है, इसलिए मोदी ने पिछले दो सालो में पूरी तैयारी कर नोटबंदी का दांव खेला। देश में मोजुदा असली नकली करेंसी के कारण कालाधन 25 से 30% तक है और नकदी के खेल से और 25 % कालाधन पैदा हो रहा है। एक वार में पूरे देश को सड़को पर खड़ा कर दिया और जनता को हर कदम पर अपने साथ रखा है ताकि ब्लैकमनी सिंडीकेट उन्हें दबाब में न ले पाए। 
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मोदी जानते थे कि कालेधन के घाघ खिलाडी बेंको में नयी मुद्रा आते ही अपने खेल शुरू कर देंगे इसीलिए पहले एक माह में नई करेंसी की धीमी आपूर्ति की गयी और यह 30 दिसंबर तक तेज भी नहीं होने वाली। -hardik sawani
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100 करोड़ रूपये की नोट्स जब्त की गई ..बॉक्स पर बॉक्स... पूरी ट्रक भर के नोटों जब्त हुई !! @चेन्नाई

कुछ करप्ट बैंक मैनेजरों और नेताओं ने लूंट मचा रखी है :
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नई नॉट में ऐसा क्या जादू है .. कि जहाँ जहाँ थोकबंद नॉट होती है वहाँ वहाँ रेड पड जाती है !!


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ये देखिए .. 

अब इस देश को कौन बचा सकता है ? प्रधानमंत्री अकेला क्या करेगा ?


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इस देश में ईमानदार वही है जिसके टेबल पर पैसा नहीं है । जिनके टेबल पर पैसा नहीं वो सही टाइम पर ऑफिस छोड़ देते हैं, और वही जब टेबल पर माल आने लगता है तो 8 बजे शाम तक जनसेवा करते हैं।
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इस देश में लोगों को पुलिस भ्रष्ट तभी तक लगती है जब तक अपना बेटा दारोगा में भर्ती नही हुअा। इस देश में टीचर तभी तक निट्ठले लगते हैं जब तक अपनी बेटी टीचर नही बनी है।
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बुरा न माने जैसे जर्मन जन्म से ही योद्धा, जापानी जन्म से नियम मानने वाले, वैसे ही हम जन्म से भ्रष्ट होते है। भ्रष्टता हमारे ब्लड और संस्कार में ही है, ये मात्र कानून बनाने से नहीं जाने वाला।
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ज्वेलर्स को 8 तारीख को मौका मिला उन्होंने खूब बनाया...
अब बैंक मैनेजर की बारी है।
शायद- कल किसी इन्कम टैक्स वाले की बारी हो।
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हम भारत माता की जय, आज़ादी... आज़ादी.. जय-भीम, समाजवाद, लोहिया वाद की जय बोलकर अपने अपने हिस्से का देश लुट रहे हैं। कल तक महँगी प्याज होने पर लोग कहते थे की देश की करोडों जनता नमक-प्याज खाकर जीवन जीती है, और आज वही गरीब-जनता ना जाने कौन सा धन जमा कर रही है.?
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नोट बंदी अपने उद्देश्य में सफल हो या असफल... इस बात पर तो मुहर लग गयी की 100 में 90 बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान। नहीं , नहीं मुझे कुछ अपवाद मत दिखाएँ।
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मैंने घर-घर में देखा है औरत जब 4 बच्चों को दूध देती है, तो- अपने बेटे की गिलास में थोड़ी ही सही, पर मलाई अधिक डालती है। भाई अपने सगे भाई को पुश्तैनी जमीन एक हाथ टुकड़ा भी अधिक देने को राजी नही होता। कितना भी कमाओं पर नज़र बाप के पेंशन पर जरुर रहेगी कि- कहीं बेटी को कुछ दे तो नहीं रहे..?
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बुरा ना मानें...
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इस देश में बेईमानी की पहली पाठशाला ही परिवार ही है।
हम चाहते की लंगोट पहनने वाला गाँधी पड़ोस में पैदा हो...
और- अपने घर गुलाब लगाने वाला नेहरु। 11 लाख का कोट देखने वालों को अपने जन्मदिन पर करोड़ों देकर सिने तरिकाअों का अपने पैतृक-गाँव में ठुमके लगवाना नहीं दिखाई देगा..।
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इस देश में ही 42,000 ₹ का मोबाइल और 5,000 ₹ के स्वेटर पहनने वाले मुख्यमंत्री के पैर में चप्पल देखकर... आठ आठ आँसू रोकर ईमानदारी की दुहाई देने वाले पाखण्डी भी हैं। पर- सौ टके का सवाल ये पाखंडी-मुर्दे इतिहास नहीं मानते, JNU कैंपस में बनाते हैं। फ्री सेक्स वाली सोसाइटी जहाँ वातानुकूलित कमरे में बैठ कर ट्विटर पर मजदूर दिवस की बधाई दी जाती है।
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वास्तव में जब मैं कहता हूँ कि- आज़ादी हम पर थोपी गयी थी हम आजाद होने लायक नहीं थे..! तो आपको बुरा लगता है....??

पर- उस हावड़ा-पुल को बुरा नहीं लगता है जो बना तो था अंग्रेजों के समय और आज भी चल रहा है। ये देखकर की सादी साड़ी में सादगी का ढोंग रचने वाली दीदी के शहर का पुल कैसे अल्पायु में भरभरा कर गिर जाता है....??
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भरभरा रहा मनुष्य ऐसे ही इस देश में सदियों से । वैसे किताबें तो खूब लिखी गयी पर किताबें जीवन में उतरी हैं क्या...??
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अपनी बहनों को सात तालों में छुपा कर.. दूसरों की बेटी बहनों को घूरने (X-Ray करने) वाला देश है। इस देश के रग रग में भ्रष्टता है, चाहे वो नोट बंदी में चीखे या न चीखे...
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बस-

ऐसे में एक ईमानदार दिखाई दे रहा है... और- इस कुरुक्षेत्र में वो है बर्बरीक...
जिसने.... अपने ही हाथों अपनी गर्दन काटकर (भ्रष्टाचार मुक्त करने का संकल्प लेकर) खूब तमाशा देख रहा है...🤔
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उस बर्बरीक ने सबको नंगा करके रख दिया है....
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गैरों को....
अपनों को....
मुझको, आपको....
सबको...
वंदेमातरम्..!

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सेना के जूते की दास्तां : 
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जयपुर की कंपनी सेना के लिए जूते बनाती है, फिर वह जूते इस्राइल को बेचते थे, फिर इजराइल वहीँ जूते भारत को बेचते थे, और फिर वे जूते भारतीय सैनिकों को नसीब होते थे ! भारत एक नंग जूते के Rs. 25,000/- देते थे और यह सिलसिला कोंग्रेस द्वारा कई सालो से चल रहा था ।
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जैसे ही मनोहर पर्रिकर को यह पता चला, आग बबूला हो गए .. जयपुर कंपनी के CEO को मिले, कारण पूछा, तो जवाब मिला : "भारत को डायरेक्ट जूते बेचने पर, भारत का सरकारी तंत्र सालो तक पेमेंट नहीं देती थी, इसलिए हम दूसरे देशों में एक्सपोर्ट करने लगे"
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मनोहर पर्रिकर ने कहा : "एक दिन, सिर्फ एक दिन भी पेमेंट लेट होता है तो आप मुझे तुरंत कॉल कीजिए, बस, आपको हमे डायरेक्ट जूते बेचना है, आप प्राइस बताएं"
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और इस तरह आखिर पर्रिकर ने वहीँ जूते सिर्फ 2200/- में फाइनल किया !! सोचिए ... जूते के 25,000/- देकर कोंग्रेस ने सालों तक कितनी लूंट मचा रखी थी !!
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Via Hardik Savani 

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