Thursday 29 December 2016

सम्मोहन से पूर्वजन्म का सफर
पूर्वजन्म की घटनाओं का साक्षात्कार करने के लिए सम्मोहन का भी प्रयोग किया जाता है। भारतीय ऋषियों ने सम्मोहन को योगनिद्रा कहा है। सम्मोहन की प्रकिया आप खुद भी कर सकते हैं इसे स्वसम्मोहन कहा जाता है।
दूसरों के द्वारा भी आप सम्मोहन की स्थिति में पहुंच सकते हैं इसे परसम्मोहन कहा जाता है और तीसरा तरीका है योग है जिसमें त्राटक द्वारा व्यक्ति सम्मोहन की स्थिति में पहुंच जाता है।
सम्मोहन के द्वारा आप गहरी निद्रा में पहुंच जाते हैं और अपने पूर्वजन्म की स्मृतियों को टटोल सकते हैं।
इसके लिए आपको किसी शांत कमरे में पलथी मारक बैठना चाहिए इसके बाद अपना ध्यान दोनों भौहों के मध्य में केन्द्रित करें। आपको चारों ओर अंधेरा दिखेगा और एक गुदगुदी सी महसूस होगी। लेकिन अपना ध्यान केन्द्रित रखें।
नियमित अभ्यास से अंधेरा छंटने लगेगा और उजला बढ़ने लगेगा और आप इस शरीर की सीमाओं से पार निकलकर पूर्वजन्म की घटनाओं में झांकने लगेंगे।
कायोत्सर्ग द्वारा प्रवेश करें पूर्वजन्म में
पूर्वजन्म की यादों में प्रवेश करने का एक साधन कायोत्सर्ग है। अपने नाम के अनुसार इस प्रक्रिया में व्यक्ति को अपनी काया यानी शरीर की चेतना से मुक्त होना पड़ता है। कायोत्सर्ग शरीर को स्थिर, शिथिल और तनाव मुक्त करने की प्रक्रिया है।
इसमें शरीर की चंचलता दूर होकर शरीर स्थिर होने लगता है। शरीर का मोह और सांसारिक बंधन ढीला पड़ने लगता है और शरीर एवं आत्मा के अलग होने का एहसास होता है। इसके बाद व्यक्ति पूर्वजन्म की घटनाओं के बीच पहुंच जाता है।
अनुप्रेक्षा से पूर्वजन्म का ज्ञान
पूर्वजन्म की स्मृतियों में प्रवेश करने का एक तरीका अनुप्रेक्षा है। जैन परंपरा में बताया गया है कि अनुप्रेक्षा ऐसी प्रक्रिया है जिसके प्रयोग से व्यक्ति स्वतः सुझाव और बार-बार भावना से पूर्वजन्म की स्मृति में प्रवेश कर जाता है। अनुप्रेक्षा से भावधारा निर्मल बनती है। पवित्र चित्त का निर्माण होता है।
साधन ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है कि उसे ज्ञात भी नहीं रहता कि वह कहां है। अतीत की घटनाओं का अनुचिंतन करते-करते वे स्मृति पटल पर अंकित होने लगती है और साधक उनका साक्षात्कार करता है।

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