Saturday 14 July 2018



मिशनरीज ऑफ चैरिटी से संबंधित ‘निर्मल हृदय’ होम का नाम अब मानव तस्करी से जुड़ता दिख रहा है। उसके इस कारनामें को इंडिया टुडे ग्रुप ने पूरे सबूत के साथ उजागर कर दिया है। मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम मानवता की पूजा नहीं करता बल्कि मासूम बच्चों का सैदा करते आ रही है।मिशनरीज ऑफ चैरिटी के ‘निर्मल हृदय’ होम से बच्चे बेचे जाने के संदर्भ में नित नए चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इंडिया टुडे समूह को मिले सबूत के आधार पर कहा जा सकता है कि यह होम मानवीय संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाली संस्था बन गया है। आरोप है कि यहां जो महिलाएं अपने बच्चे को जन्म देने के लिए भर्ती होती थी, उसके अभिभावकों से उसके बच्चे का हक छीन लेने का हलफनामा ले लेती थी। बच्चा-जच्चा के स्वास्थ्य के प्रति उसकी लापरवाही का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि हलफनामें में किसी अनहोनी की जिम्मेवारी अभिभावक की होने की बात लिखी होती थी। ये सब इसलिए कराए जाते थे ताकि कानूनी संरक्षण की आड़ में सारे गलत काम किया जा सके।

जबकि इस प्रकार का कोई हलफनामा लेना ही अपने आप में गैरकानूनी है। लेकिन मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम यह करता था, ताकि यहां आने वाले कम से कम डरे रहें और वह आगे बढ़कर उनके खिलाफ कोई शिकायत न करें। रांची की समाज कल्याण अधिकारी कंचन सिंह ने इस प्रकार के किसी हलफनामे को ही अवैध बताया। अब सवाल उठता है कि इतने दिनों तक इस संस्था पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम बच्चा जन्म देने के लिए आने वाली महिलाओं के अभिभावकों से जो हलफनामा लिखाता था वह इस प्रकार का होता था। “मैं श्री/सुश्री/श्रीमति….अपनी बेटी/बहन/भतीजी/रिश्तेदार…को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सिस्टरों के संरक्षण में कुछ दिनों के लिए उसके डिलीवरी (प्रसव) तक रखना चाहता/चाहती हूं. क्योंकि मेरी बेटी/बहन/भतीजी/रिश्तेदार शादी से पहले ही किसी लड़के के साथ गलत कर गर्भवती हो गई। अतः वह अपनी मर्जी से बच्चे को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सिस्टरों को सदा के लिए सौंप देना चाहती है। हमें भी बच्चा नहीं चाहिए। प्रसव के बाद हम अपनी बेटी/बहन/भतीजी/रिश्तेदार को घर वापस ले जाएंगे। इसके अलावा यह भी लिखा होता है कि अगर अगर प्रसव या ऑपरेशन के समय मेरी बेटी/बहन/भतीजी/रिश्तेदार के जान पर खतरा हो तो उसकी कोई जिम्मेदारी सिस्टर्स पर नहीं होगी, पर मेरी खुद की होगी।इस प्रकार का हलफनामा ही उस होम में चल रही अनियमितता की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही यह हलफनामा ही उस होम के खिलाफ सबसे बड़ा सबूत है। मालूम हो कि बच्चे बेचे जाने के आरोप में इस मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम की दो सिस्टरों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस से पूछताछ के दौरान चार बच्चों को बेचने की बात भी उन्होंने कबूल कर ली है।
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अनाथालय की नाबालिग बच्चियों को प्रेग्नेंट कर उनके जन्मे बच्चों को बेचा, लेकिन मिशनरी आतंक पर मीडिया मौन!

ये धंधा सिर्फ आज से ही नहीं, बल्कि तभी से ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाया जा रहा है, जब से वो अंग्रेजो के साथ भारत में आयी थी। हिन्दुओ का धर्मांतरण, हिन्दुओ को लूटना, और मानव तस्करी जैसे कामो में ये मिशनरियां लिप्त है। और कोई इनके काले कारनामो पर बात करे तो इनका पूरा संगठन रोने लग जाता है कि भारत में हम खतरे में है, और इनके द्वारा पोषित मीडिया चिल्लाना शुरू कर देता है।

झारखण्ड की राजधानी रांची में निर्मल ह्रदय नाम का ईसाई मिशनरी है। जहाँ पर पिछले दिनों पुलिस ने ईसाई मिशनरियों के लोगों को बच्चों को बेचने के जुर्म में गिरफ्तार किया है। इसी 1 मिशनरी से 280 बच्चे गायब है।

औसतन 1 बच्चे को 1 लाख 50 हज़ार रुपए में बेचा गया। इस मिशनरी में कई बच्चों का जन्म हुआ। जिनमें से 280 बच्चे गायब कर दिए गए। अब इस मामले में बड़े खुलासे हो रहे है। जिन बच्चों को गायब किया गया ये सभी बच्चे उन माताओं के है जो की इसी ईसाई मिशनरी में रहती थी। ये मिशनरियां अनाथालय, अस्पताल इत्यादि चलाते हैं।

अपने अनाथालय की नाबालिग लड़कियों को मिशनरियों ने रेप कर प्रेग्नेंट कर दिया और उनके जो बच्चे जन्मे उनकी तस्करी कर पैसा बनाया। ये है इन मिशनरियों का असल धंधा। ये परोपकार और अनाथालय, वृद्ध आश्रम आदि का जो धंधा करते हैं, उसका ये घिनोना सच है। अनाथालय की नाबालिग बच्चियों का बलात्कार कर प्रेग्नेंट करना और उनसे उत्त्पन्न बच्चे को बेचकर पैसा बनाना। इसके अलावा वृद्ध आश्रम में जो वृद्ध रहते हैं, उनके अंगों की तस्करी करना, यही है इन मिशनरियों के परोपकार वाले धंधे का सच।

ऐसे ही शैतानियत भरे धंधों से ये मिशनरियां पैसा बनाती है और भारत में धर्मांतरण के उद्योग में इस पैसे का इस्तेमाल करती है, और बड़े बड़े चर्च बनाये जाते हैं। पूरी मीडिया और पूरी तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग इनकी मदद करते हैं, क्योंकि शैतानियत से कमाया हुआ धन ये मीडिया वालो को भी देते हैं। पिछली सरकारें तो सो रही थी।
अब इन शैतानों पर कार्यवाही हो रही है तो पिछले कुछ दिनों ये लोग जो चिल्ला रहे हैं कि हम भारत में खतरे में हैं। हम डरे हुए हैं।
उनके चिल्लाने का आशय अब तक तो आपको भी समझ आ गया होगा???
इसलिए देश पर आने वाले खतरे को ध्यान में रखकर इसके निवारण के लिए तत्पर रहिये क्योंकि यहाँ अकबर दूसरे देश की माँग कर रहा है, और एंथोनी धर्मांतरण, कुंवारी कन्याओं और उनके जन्में बच्चों पर डोरे डाल रहा है।
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झारखंड की राजधानी रांची में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी में नवजात शिशुओं को बेचने के मामले में पुलिस को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है. सेंट मदर टेरेसा द्वार शुरू की गई संस्था मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की एक नन और सिस्टर कोनसिलिया ने यह बात कबूल कर ली है कि उन लोगों ने मिलकर बच्चे बेचे थे. रांची पुलिस के सामने अपना गुनाह कबूल करते हुए सिस्टर कोनसिलिया ने कहा है कि उसने 50-50 हजार रुपयों में दो बच्चों को बेचा है जबकि एक बच्चे को एक लाख बीस हजार रुपये में बेचा था. लेकिन एक अन्य बेचे गए बच्चे की पूरी जानकारी उसके पास नहीं है. आपको बता दें कि पुलिस इस मामले में बेचे गए तीन बच्चों को पहले ही बरामद कर चुकी है.
सिस्टर कोनसिलिया ने कबूल किया अपना गुनाह
नन के कबूलनामे के अलावा एक वीडियो भी सामने आया है. जिसमें संस्था की एक कर्मचारी सिस्टर कोनसिलिया यह कबूल करते हुए नजर आ रही हैं कि उसने बच्चे बेचे हैं जबकि एक बच्चे को बिना पैसों के यानि फ्री में दे दिया था. सिस्टर कोनसिलिया ने वीडियो में यह भी कहा है कि बच्चा बेचने की बात उसने किसी को भी नहीं बताई थी और इस बारे में सिस्टर (हेड सिस्टर) को भी नहीं मालूम था. केवल मैं और करिश्मा ही जानते थे.
नन अनिमा ने भी मानी बच्चा बेचने की बात
अनिमा इन्दवार की तरफ से दिए गए कबूलनामे में लिखा है कि अनिमा संस्था में पांच साल से काम कर रही थी और उसने सिस्टर कोनसिलिया के साथ मिलकर बच्चों को बेचा है. जानकारी के मुताबिक रांची पुलिस ने बच्चों की बिक्री के मामले में मदर टेरेसा की संस्था मिशनरी ऑफ चैरिटीज़ की सिस्टर एवं कर्मचारी को पूछताछ के लिए चार दिनों की रिमांड पर लिया है. जिससे पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया जा सके.
अनिमा ने कबूलनामे में लिखी पूरी बात
कबूलनामे में नन ने यह बात भी लिखी है कि उसने किसके बच्चे को किसे और कितने रुपयों में बेचा था. जिन चार बच्चों को बेचे जाने की बात नन ने कबूल की है वो सभी के सभी लड़के थे. यही नहीं एक बच्चा नन ने एक लाख बीस हजार रुपयों में बेचने की बात कबूल की है लेकिन उसका कहना है कि उसमें से 20 हजार रुपये उसने अपने पास छुपा लिए थे और बाकी के एक लाख रुपये उसने सिस्टर कोनसिलिया को दे दिए थे. हालांकि इस मामले में गिरफ्तार सिस्टर कोनसिलिया ने भी अपने वकील को बताया कि वह बच्चों को बेचने में कहीं से भी शामिल नहीं है. उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने दबाव में यह बयान लिया है कि उन्होंने बच्चों को बेचा था.











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