21 आप विधायकों को ले 'डूबा'
केजरीवाल की ईमानदारी की खोली पोल...
मिलिए यूपी निवासी व दिल्ली हाईकोर्ट के उस युवा वकील से जिसने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की ईमानदारी के दावों की पोल खोल कर रख दी। जिनकी रिट पर आप सरकार के 21 विधायकों की सदस्यता लाभ का पद लेने के मामले में रद होने की कगार पर है।
जिस दिल्ली में संसदीय सचिव का केवल एक पद है, वहां 21 विधायकों को लाभ का संसदीय सचिव पद देकर तमाम सुविधाएं लुटाई गईं। सिर्फ इसलिए कि जिन विधायकों को मंत्री पद नहीं मिल सकता उन्हें संसदीय सचिव देकर ही सेट कर दिया जाए। ईमानदारी का ढोल पीटने वाली आप सरकार में बैकडोर से चल रहे इस अनैतिक व गैरकानूनी खेल को पकड़ा महज 28 साल के प्रशांत पटेल ने। दिल्ली हाईकोर्ट के इस युवा वकील की राष्ट्रपति के सामने दाखिल रिट ने दिल्ली सरकार की मानो खाट खड़ी कर दी हो। उधर राष्ट्रपति की ओर से दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को असंवैधानिक बताकर वापस कर देने से अब अॉफिस इन प्राफिट में फंसे 21 विधायकों की सदस्यता रद होने की नौबत आ गई है। प्रशांत पटेल भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी हैं।
केजरीवाल सरकार भले ही आरोप-प्रत्यारोप खड़ा करे मगर सच्चाई है कि खुलासे में बहुत दम रहा। जिससे राष्ट्रपति ने भी केजरीवाल की दलीलों को ठुकरा कर साफ कर दिया कि विधायक सचमुच में लाभ का पद लेकर बैठे हैं। हालांकि केजरीवाल सरकार का कहना है कि दूसरे राज्यों में भी तमाम संसदीय सचिव हैं, जिस पर भाजपा का कहना है कि उन राज्यों में इसका विधेयक है मगर दिल्ली में तो कानून ही नहीं रह। फिर भी मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया गया।
प्रशांत पटेल की पृष्ठिभूमि
यूपी के फतेहपुर निवासी प्रशांत के पिता खेमराज उमराव शिक्षक होने के साथ गन्ना सोसाइटी के चेयरमैन भी रहे हैं। पांच जुलाई 1987 को पैदा हुए प्रशांत ने जहानाबाद के सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या मंदिर से हाईस्कूल-इंटर किया, फिर इलाहाबाद चले आए। यहां क्रिश्चियन कॉलेज से फिजिक्स एंड कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रेजुएशन किया। एलएलबी की पढ़ाई भी की। नोएडा से फुटवियर डिजाइनिंग में पीजी की डिग्री ली।
प्रशांत का परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडा़ है। लिहाजा प्रशांत भी बचपन से आरएसएस की शाखाओं में जाते रहे। 2010 में प्रशांत भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े। फिर बीजेपी मीडिया सेल को अपनी सेवाएं देने लगे। 2014 के लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए कैंपेनिंग की। प्रशांत राष्ट्रवादी व हिंदूवादी विचारधारा वाले कई संगठनों से जुड़े हैं। वे इस समय हिंदू लीगत सेल के सेक्रेटरी व हिंदू डिफेंस लीग के संस्थापक सदस्य हैं।
पीके फिल्म पर सबसे पहले दायर की थी रिट, हटवाया था सेंसर बोर्ड अध्यक्ष
जब आमिर खान की फिल्म पीके आई थी तो प्रशांत उमराव ही वह वकील थे, जिन्होंने फिल्म पर हिंदुओं की भावनाओं के साथ मजाक करने का आरोप लगाकर कोर्ट में रिट दाखिल की थी। इसी के साथ प्रशांत पहले से मीडिया के चर्चा में रहे। फिर जेएनयू मामले में भी उन्होंन दिल्ली हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी। प्रशांत ने सेंसर बोर्ड अध्यक्ष लीला सैंम्सन के भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला था। जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था।
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