Wednesday, 8 June 2016

बोनसाई: अपनी कला से पौधो को दें मनपसंद आकार प्रकार

बोनसाई शब्द दो जापानी शब्दों केे मूल (बोन-साई) से बना है. बोन का अर्थ है छिछला पात्र तथा साई का अर्थ है पौधा.

वृक्षों को बौने रूप में विकसित करने, पेड़ों की कलात्मक कटाई-छंटाई करके उन्हें सुंदर रूप देने की यह अद्भूत कला काफी प्राचीन है. बोनसाई में पौधे को छोटा करके मनचाहा आकार दिया जा सकता है, परंतु उसके फलों का आकार नहीं बदला जा सकता. अतः बोनसाई में छोटे-छोटे उगने वाले फल-फूल के पेड़ ही लगाने चाहिए. बोनसाई उन वृक्ष-पौधों की अधिक आकर्षक बन सकती है, जिनकी पत्तियां छोटी, गूदेदार, मोटी और चमकदार हों. बोनसाई लिए तीन प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
(1) पौधों का चयन:
बोनसाई के लिए हमें उन पौधों का चयन करना चाहिए जो अपनी प्रकृति से ही बौने होते हों. बोनसाई के लिए उपयुक्त पहाड़ी पौधे है पाईन, राॅक्सबर्गी ओरोकेरियाजुस, काॅनीफर, यूनीपेरस हाॅरीजेन्टालिस आदि. इनकेा इच्छानुसार स्वरूप दिया जा सकता है. छोटी आयु में ही फूलने वाले पौधे, जैसे कि एडेनियम अत्यंन्त उपयुक्त पौधा है. बबूल, बोगेनविला, बाॅटल ब्रश, गुलमोहर, गुडहल, इकसोरा आदि फूलने वाले पौधे भी बोनसाई के लिए उपयुक्त है. फल देने वाले पौधों-शहतूत, आम, नांरगी, नींबू, इमली आदि के भी बोनसाई बन सकते है.
चैड़े पत्तों वाले पौधे जैसे बरगद, पाकड़, पीपल इनके तने शीघ्र ही मोटे हो जाते है, जिससे ये कई वर्ष पुराने होने का आभास देते हैं. किसी अच्छी नर्सरी से पौधे लेकर उनकों आप अपनी इच्छानुसार कोई भी आकार दे सकते है.
(2) पात्र::
अच्छे बोनसाई के लिए उपयुक्त पात्र का होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पौधे के चयन का. मोटी दीवार वाले वर्गाकार व चैकोर पात्र सीधी पद्धति के लिए उपयुक्त हैं. एक ओर झुके पौधे के लिए गहरे पात्र ठीक होते है. अंडाकार पात्र घुमावदार व नरम तनों वाले पौधे के लिए एवं अर्धलटके बोनसाई के लिए कुछ छिछले पात्र ही उचित रहते है, पात्रों की लंबाई पौधों की ऊंचाइ्र के दो तिहाई हिसाब से होनी चाहिए.
(3) खाद व पानी:
बोनसाई पेड़ के लिए सामान्यतौर पर 1/4 हिस्सा बगीचे की मिट्टी, 1/4 हिस्सा सड़े गोबर की खाद और 2/4 हिस्सा कांकरीट मिट्टी का उपयोग किया जाता है. समय-समय पर एक-दो चम्मच बोनमील का प्रयोग करें. यदि सड़ी हुई खली की सूखी खाद मिल सके, तो उसका प्रयोग उचित हेागा ं इन पौधेां की सिंचाई गर्मीयों मंे दो बार (सुबह व शाम) तथा सर्दियों में प्रतिदिन एक बार करें.
बोनसाई के पौधो का रोपण:
गमले में पौधा लगाने से पहले पौधे को पानी से सीचिए, जिससे जड़ो की चारों ओर की मिट्टी ढीली हो जाए. अब पौधे केा बांस की खपच्ची से निकाल कर पौधे की मुख्य जड़ों केा काट दीजिए. पौधे के मुख्य तना व शाखाओं केा छांेड़कर बाकी शाखाएं भी काट दीजिए. अब पौधे को पात्र में रखकर तैयार की गयाी मिट््टी व खाद डालकर चारों ओर से दवा दीजिए. पानी पौधे के ऊपरी भाग से हजारे से दीजिए. पौधों को प्रत्येक दो वर्षो मं वर्षो ऋतु में पुनर्रोपण कीजिए.
कटाई-छंटाई:
बानसाई पौधे की लगातार कटाई-छंटाई और देखरेख करते रहनी चाहिए. इसके किनारें की टर्मिनल बड्स को काटते रहने से पेड़ का विकास अच्छा होता है. पेड़ को सुंदर एवं मनचाहा के आकार देने की प्रक्रिया में तना बांधने हेतु काॅपर (तांबे) के तार का प्रयोग किया जा सकता है. तार बांधने के एक दिन पहले पेड़ को पानी देना बंद कर देना चाहिए, इससे पेड़ लचीला रहता है. जब आकृति सही दिशा ले लें और पेड़ विकसित हो जाए तो इन तारों को खोल देना चाहिए.
बोनसाई की देख-रेख:- पौधों को अधिक समय तक कमरे में न रखें. गमलें या पात्रों से पानी के निकास का उचित यप से निरीक्षण करते रहें. पौधों में कीट लगने पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. बानसाई के गमलों को कम से कम चार घंटे सूर्य की रोश्नी में रखना आवश्यक है ं गर्मी में ऐसे स्थान पर रखे जहां लगातार कई घंटे और विशेषकर तीसरे पहर की धूप बानेसाई पौधों पर न पड़े. इतना परिश्रम करने के पश्चात आप देखेंगे की आपका बोनसाई वृक्ष आपके मनचाहे आकार में सुंदर व मनमोहक दिखेगा.

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