Friday 17 June 2016


 सुअर थिरैपी.....

बात भले हास्यास्पद लगे पर है बड़े काम की ....जब शासन निकम्मा हो जाय तो इस तरह के उपाय करने ही पड़ते हैं ....इन उपायों को सुझाना हम जैसे राष्ट्रवादिओं का कर्तव्य भी बन जाता है |
इतिहास साक्षी है कि इस्लामिक आतंक ने , हिन्दुओं को बहुत सी कुरीतिओं को अपनाने और मूल परम्परा से दूर जाने पर विवश किया है ...... दुल्हन की पालकी के साथ सुअर के बच्चे को रखने और रास्ते भर उसे पीटते रहने की ऐसे ही एक परम्परा हुआ करती थी ....
सुअर इस्लाम में हराम है , उसकी आवाज भी सुनना हराम है ; इसीलिए सुअर को पालकी के साथ पीटते हुए लाते थे ताकी आवाज दूर – दूर तक जा सके और हराम होने के कारण कोई इस्लामी आतंकी रास्ते में हमला कर पालकी में बैठी दुल्हन की इज्जत को तार - तार ना कर सके .....अंत में उस सूअर की बलि दे दी जाती थी ....
मेरे पितामह (बाबा जी ) , जो करीबन 100 साल के हैं बताते हैं कि आजादी के समय तक यह चलता रहा ( अंग्रेजों के समय में सुरक्षा थी पर लोगों ने परम्परा बदलने पर विचार नहीं किया ...हो सकता है किसी इलाके में पहले बदल गयी हो ..) |
हमारे क्षेत्र में 1947-48 के आस – पास सभी प्रबुद्ध लोग इकठ्ठा हुए और सबने निर्णय लिया कि आजाद भारत में इस्लामी आतंक का खतरा नहीं है (उन्हें क्या मालूम था 60 साल बाद दुबारा आ जाएगा ).....अतः निरीह पशु की प्रताड़ना और हत्या की इस परम्परा को बंद कर दिया जाय , तबसे यह परम्परा समाप्त हो गयी
हमारे पूर्वजों ने कितना दुर्दिन झेला है और कैसे- कैसे धर्म की रक्षा की है ...इसका बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है ..
मुद्दे की बात ये है कि ..कैराना और कैराना बनती बाकी जगहों पर इस नुस्खे को हिन्दू दिल खोल कर अपना सकते हैं | सदिओं पहले अपनाया गया एकदम कारगर नुस्खा है .....
हिन्दू अपनी बस्तिओं में एक दो लोगों को सूअर पालने के लिए प्रेरित करें ...सेठ लोग , संपन्न लोग धन दे सकते हैं ..कोई जादा महंगा काम नहीं है ...1 करोड़ की कोठी 15 लाख में बेंचने को विवश होने से अच्छा है कि किसी गरीब हिन्दू को कुछ हजार की मदद कर पूरे मोहल्ले को सुरक्षित रखो ....गन्दी वाली पालने की जरुरत नहीं है ...अमेरिका , कनाडा से अच्छी ब्रीड आयात कीजिए ......किसी सामान्य जानवर की तरह ये भी दिखती और रहती हैं .....
जब कोई रंगदारी मांगने आये ...सुअर के आवाज की व्यवस्था करवा दो , शांतिदूत अपने आप भाग खड़ा होगा ...
जो लोग मांसाहारी है ओ इसका सेवन करें .....जब वो तुम्हारे घरों के सामने हड्डी फेंके , अगले दिन से तुम सुअर की हड्डी गिराना सुरु कर दो , ख़ुद भाग जायेंगे ..
जो पूर्ण शाकाहारी है वो भी आत्मरक्षा के लिए कमसे कम सुअर का शुद्ध किया हुवा दांत साथ लेकर चलें ..कोई लड़ने आये सुअर का दांत निकाल लो , जैसे ही बताओगे भाग जायेगा .....
स्कूल जाने वाली बालिकाएं , जिन्हें रास्ते में खतरा है ...मोबाइल में सुवर की आवाज वाली रिंगटोन रखें .....खतरे की स्थिति में चालू कर दें ...गारंटी है शांतिदूत भाग खड़े होंगे ....पर्स में सुअर की शुद्ध की हुयी हड्डी भी रख सकती हैं ...
और भी बहुत से प्रयोग सोंचे जा सकते हैं ......
हो सकता है कि कुछ लोगों को यह सब मजाक लगे , उनको सलाह है कमेंट करने से पहले ... घर के बुजुर्गों से पूंछिये ....खासतौर से पकिस्तान से भागकर आये हिन्दुओं से जिन्होंने इस्लामिक आतंकवाद सबसे जादा झेला है...इस सूअर थिरैपी की ताकत आप को पता चल जाएगी ...
सुअरों की सुअर थिरैपी करो ...देखते हैं तुम्हे कैराना से कौन निकालता है ...सीना चौड़ा कर के रहो !!
Sanjay Dwivedy
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