Sunday, 30 August 2015

sanskar

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चमत्कारी शिवलिंग, बिजली से टूटता, मक्खन से जुड़ता हैं
यह कहना गलत ना होगा कि सृष्टि के कण-कण में शिव समाए हुए हैं
 भगवान भोलेनाथ की महिमा असीम और अपार है। 
 हिमाचल प्रदेश के कु्ल्लू जिले में एक ऐसा शिव मंदिर भी है जहां हर 12 साल बाद शिवलिंग पर भयंकर बिजली गिरती है। शिवलिंग खंडित हो जाता है लेकिन पुजारी इसे मक्खन से जोड़ देते हैं और यह पुनः अपने ठोस आकार में परिवर्तित हो जाता है।यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है और इसे बिजली महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

Saturday, 29 August 2015

25 साल तक मुफ्त पाएं बिजली

सरकार ने आपकी समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाया है। सोलर पैनल लगाने वालों को केंद्र सरकार का न्‍यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय रूफ टॉप सोलर प्‍लांट पर 30 फीसदी सब्सिडी मुहैया करा रहा है। इसमें आपको एक बार सोलर पैनल में इन्वेस्ट करना होगा। जिसका खर्च तकरीबन 70 हजार रुपए होगा। इसके बाद आप 25 साल तक मुफ्त बिजली पा सकते हैं।
आइए समझते हैं कैसे…
एक सोलर पैनल की कीमत तकरीबन एक लाख रुपए है। राज्यों के हिसाब से ये खर्च अलग होगा। सब्सिडी के बाद एक किलोवॉट का सोलर प्लांट मात्र 60 से 70 हजार रुपए में कहीं भी इन्स्टॉल करा सकते हैं। वहीं, कुछ राज्य इसके लिए अलग से अतिरिक्त सब्सिडी भी देते हैं।
कहां से खरीदें सोलर पैनल
सोलर पैनल खरीदने के लिए आप राज्य सरकार की रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकते हैं।
> राज्यों के मेन शहरों में कार्यालय बनाए गए हैं।
हर शहर में प्राइवेट डीलर्स के पास भी सोलर पैनल उपलब्ध हैं।
अथॉरिटी से पहले ही अपने लोन राशि के लिए संपर्क करना होगा।
सब्सिडी के लिए भी अथॉरिटी कार्यालय से मिलेगा फॉर्म।
25 साल होती है सोलर पैनलों की उम्र
सोलर पैनलों की उम्र 25 साल की होती है। यह बिजली आपको सौर ऊर्जा से मिलेगी। इसका पैनल भी आपकी छत पर लगेगा। यह प्लांट एक किलोवाट से पांच सौ किलोवाट क्षमता तक होंगे। यह बिजली न केवल निशुल्क होगी, बल्कि प्रदूषण मुक्त भी होगी।
पांच सौ वाट तक के सोलर पैनल मिलेंगे
पर्यावरण बचाने के लिए यह पहल शुरु की गई है। जरूरत के मुताबिक, पांच सौ वाट तक की क्षमता के सोलर पावर पैनल उपलब्ध लगा सकते हैं। इसके तहत पांच सौ वाट के ऐसे प्रत्येक पैनल पर 50 हजार रुपए तक खर्च आएगा।
10 साल में बदलनी होगी बैटरी
सोलर पैनल में मेटनेंस का खर्च नहीं आता, लेकिन हर 10 साल में एक बार बैटरी बदलनी होती है। जिसका खर्च करीब 20 हजार रु. होता है। इस सोलर पैनल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर मूव किया जा सकता है।
एयर कंडीशनर भी चलेगा
एक किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल में आमतौर पर एक घर की जरूरत की पूरी बिजली मिल जाती है। अगर एक एयर कंडीशनर चलाना है तो दो किलोवाट और दो एयर कंडीशनर चलाना है तो तीन किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल की जरूरत होगी।
बैंक से मिलेगा होम लोन
सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए यदि एकमुश्त 60 हजार रुपए नहीं है, तो आप किसी भी बैंक से होम लोन ले सकते हैं। वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों को होम लोन देने को कहा है। अब तक बैंक सोलर प्लांट के लिए लोन नहीं देते थे।
बेच भी सकते हैं एनर्जी
राजस्‍थान, पंजाब, मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ जैसे राज्यों में सोलर एनर्जी को बेचने की सुविधा दी जा रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा संयंत्र द्वारा उत्‍पादित की गई अतिरिक्‍त बिजली पावर ग्रिड से जोड़कर राज्‍य सरकार को बेचा जा सकेगा। वहीं, उत्‍तर प्रदेश ने सोलर पावर का प्रयोग करने के लिए प्रोत्‍साहन स्‍कीम शुरू की है। इसके तहत सोलर पैनल के इस्‍तेमाल पर बिजली बिल में छूट मिलेगी।
गजब की शिल्प कला।
भारत के दक्षिणी छोर में स्थित राज्य जिसको अभी कुछ दिनों
पहले ही दो भागों में विभक्त कर दिया गया जिसमें से एक का नाम तेलंगाना
और दूसरे का सीमान्ध्रा (आंध्रप्रदेश) रख दिया गया है I
इसी आंध्रप्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में स्थित एक विशाल मंदिर
16वी. सदी से लेकर आजतक पूरी दुनिया के
लिए रहस्य का विषय बना हुआ है I
न केवल देश के बल्कि जब देश अंग्रेजों के हाथों गुलाम था तब बड़े-बड़े अंग्रेज
इंजीनियरों ने भी इस मंदिर के रहस्यों के बारे में पता करने
की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे I कहा जाता है कि यह
मंदिर में पत्थर के 72 पिलरों पर बसा हुआ है लेकिन इनमे से एक पिलर
जमीन को छूता ही नहीं है I फिर बिना
जमीन को छुए हुए ही यह मंदिर का भार अपने ऊपर उठा
रहा है I
इस पवित्र और रहस्यमयी मंदिर को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे –
वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी मंदिर आदि I लेकिन इस मंदिर का
सबसे चर्चित नाम लेपाक्षी मंदिर है और इसी नाम से यह
पूरी दुनिया में प्रसिद्द है I
कैसे पड़ा मंदिर का नाम लेपाक्षी –
इस मंदिर के नाम के संबंध में कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान्
श्री राम अपने भ्राता लक्ष्मण जी और पत्नी
श्री सीता जी के साथ वनवास काट रहे थे
उसी समय जब लंका का राजा रावण माँ सीता का हरण कर
आकाश मार्ग से लंका ले जा रहा था तब यही वह जगह है जहाँ
पक्षियों के राजा जटायु से उसका युद्ध हुआ था I यहीं पर जटायु रावण
से युद्ध करते हुए घायल हो कर गिर गए थे I और जब भगवान् राम माता
सीता को खोजते –खोजते यहाँ पहुंचे थे तब उन्होंने जटायु से सारा हाल
जान उन्हें कहा था “हे पक्षिराज जटायु उठो, मै आपको पहले की
ही तरह से स्वस्थ कर देता हूँ I” और हे पक्षी उठो का
तेलगू भाषा में अर्थ होता है “लेपाक्षी” इसी कारण से इस
मंदिर का नाम लेपाक्षी पड़ गया है I
किसने करवाया मंदिर का निर्माण –
इस मंदिर के निर्माण के संबंध मान्यता है कि इस मंदिर का पुरातन काल में निर्माण
महर्षि अगस्त ने करवाया था I और इसके अतिरिक्त अगर हम किसी
अन्य बात को मानें तो मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने
वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने बनाया था। इस मंदिर में भगवान
शिव, विष्णु और वीरभद्र की मूर्तियाँ उपलब्ध है। यहां
तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं।
विशाल नंदी मूर्ति –
इसमंदिर परिसर में ही एक विशाल नंदी की मूर्ति
भी बनी हुई है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यह
दुनिया में सबसे बड़ी नंदी की मूर्ती
है इससे बड़ी मूर्ति पूरी दुनिया में नंदी
की कोई और नहीं है I साथ ही इस मूर्ति
की एक विशेषता यह भी है कि यह पूरी
की पूरी मूर्ति केवल एक ही पत्थर से
बनायी गयी है I
शिवलिंग –
इस मंदिर प्रांगण के एक दूसरे छोर में ही भगवान् शिव का एक शिवलिंग
भी बना हुआ है यह भी काफी बड़ा और सबसे
विशाल शिव लिंग है I इस शिवलिंग के बारे में भी कहावत है कि यह
शिवलिंग भी पूरा का पूरा एक ही पत्थर का बना हुआ है I
काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस मूर्ति में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन
वाला नाग बैठा है।
रामपदम् –
दूसरी ओर, मंदिर में रामपदम (मान्यता के मुताबिक श्रीराम के
पांव के निशान) स्थित हैं, जबकि कई लोगों का मानना है की यह माता
सीता के पैरों के निशान हैं।





vyang....

एक रियल घटना...
 पान की दुकान पर खडे एक 30 वर्षीय S T कास्ट के युवक से बातचीत के कुछ अंश ...
मैने पूछा कुछ कमाते धमाते क्यो नहीं...?
वह बोला - क्यो.?
मै बोला शादी कर लो ...?
वह बोला हो गई ..
कैसे ..??
वह बोला मुख्यमंत्री कन्यादान योजना मे...
मे बोला फिर बाल बच्चों के लिये कमाओ...?
वह बोला - जननी सुरक्षा से डिलेवरी फ्री और साथ मे 1400 रू का चेक...
मेने बोला बच्चो कि पढ़ाई लिखाई के लिये कमाओ..?
वह बोला उनके लिये पढ़ाई और भोजन फ्री...
साथ में लड़का MBBS कर रहा है उसे स्कोलरशिप भी मिलती है उस से हम ऐस करते हे
मैने बोला यार घर कैसे चलाते हो वह बोला
छोटी लड़की को अभी वसुन्धरा सरकार से स्कूटी मिली है
1रू किलो गेंहू और चावल से...!
मै झुझला कर बोला यार माॅ बाप को तीर्थयात्रा के लिये तो कमा ...??
वह बोला दो धाम करवा दिये है मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा से...!
मुझे गुस्सा आया और मैंने बोला-
माॅ बाप के मरने के बाद जलाने के लिये कमा..?
वह बोला 1 रू मे विद्युत शवदाह गृह है..!
मैंने कहा तेरे बच्चो कि शादी के लिये कमा..?
वह मुस्कुराया और बोला
फिर वहीं आ गये... वैसे ही होगी जैसे मेरी हुई थी...!!
? यार एक बात बता ये इतने अच्छे कपडे तू कैसे पहनता है ?
वह बोला राज की बात है..फिर भी मै बता देता हूँ...
"सरकारी जमीन पर कब्जा करो आवास योजना मे लोन लो और फिर मकान बेच कर फिर जमीन कब्जा कर पट्टा ले लो...!!"
ज्यादा कोई 3 5 करे तो सालो को झुटे atrocity(जातिसूचक) केस में अंदर करवा दो, फिर लाख दो लाख समझोता करने के लिए ऑफर आ जायेंगे
ये है असली आरक्षण.......... सब समझ गये होंगे 

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लड़की वालों की अजीब डिमांड! 
लड़की वाले : जी हमें तो ऐसा लड़का चाहिए जो पान, सिगरेट, दारू ना लेता हो..

 सिर्फ उबला हुआ शुद्ध शाकाहारी खाना खाए 
और दिन रात भगवान का नाम ले..!
 पंडित : ऐसा लड़का तो आपको सिर्फ एम्स के आईसीयू वॉर्ड में ही मिलेगा !
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अगर आप पत्नी और कामवाली बाई के बीच के वार्तालाप पर गौर करें तो काफी सारे 'वन-लाइनर्स' ऐसे होते हैं मानो एक प्रेमिका अपने प्रेमी से बात कर रही हो। जैसे कि...सुनो, कल टाइम से आ जाना हां। कल दो बार आ जाना, देखो मैं इंतजार करूंगी, धोखा मत दे देना ऐन टाइम पे। मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी। आज बहुत देर कर दी, कल थोड़ा जल्दी आ जाना। और सबसे क्लासिक, देखो जब भी छोडऩा हो तो पहले से बता देना, एकदम से मत छोडऩा ताकि मैं दूसरा इंतजाम कर सकूं।
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बीवी पर हाथ उठाए तो "बेशर्म"। बीवी से मार खाए तो "बुजदिल"। बीवी को किसी और के साथदेख कर कुछ कहे तो "शक्की"। चुप रहे तो "डरपोक"। घर से बाहर रहे तो "आवारा"। घर में रहे तो "नाकारा"। बच्चों को डांटे तो"ज़ालिम" । ना डांटे तो "लापरवाह" । बीवी को नौकरी करने से रोके तो"शक्की" । बीवी को नौकरी करने दे तो बीवी की "कमाई खाने वाला"। मां की माने तो "दूध पीता बच्चा"। बीवी की माने तो "जोरू का गुलाम"। पूरी ज़िंदगी समझौता, त्याग और संघर्ष में बिताने के बावजूद वह अपने लिए कुछ नहीं चाहता। इसलिए पुरुष की हमेशा इज़्ज़त करें। पुरुष, बेटा, भाई, ब्वॉफ्रेंड, पति, दामाद, पिता हो सकता है, जिसका जीवन हमेशा मुश्किलों से भरा हुआ है।




Thursday, 27 August 2015

गुजरात के पटेल समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग और अंतराष्ट्रीय षड़यंत्र
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गुजरात का पटेल समुदाय सदियों से संभ्रांत ,सुशिक्षित एवं आर्थिक रूप सक्षम हे और यह सत्य सभी जानते हैं इसी कारण इस अंतराष्ट्रीय षड़यंत्र में इस विशेष समुदाय को मोहरा बनाया गया एक घटिया और नीच व्यक्ति ने पूरे समाज को सारी दुनिया में अपमानित करवा दिया ।
जिस प्रतिष्ठा को सेंक्डों वर्षों के अत्यंत कठोर परिश्रम से प्राप्त किया था दो दिन में सब बर्बाद कर दिया
जिस प्रकार का षड़यंत्र अन्ना एवं केजरीवाल को रातों रात नेता बनाने के लिए रचा गया था यह उन्ही लोगों का काम हो सकता हे क्योकि वे भारतीय जनता की कमजोर नस को पहचान ते हैं और उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया
यह नहीं माना जा सकता की यह षड़यंत्र अचानक रचा गया और सफल हो गया इसके तार अंतरर्रष्ट्रीय होंगे क्योकि इतनी बड़ी संख्या में करोड़ों रुपये लगाये गए लाखों लोगों को इक्कठा किया गया यह सब एक पूरी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साज़िश हे बाद में दंगे करने का इरादा सुनियोजित था क्योकि इस प्रकार के सुनियोजित दंगे केवल राजनैतिक पार्टियों के प्रोफेशनल गुंडे ही कर सकते हे
तेरंहवी का रहस्य

हमारे हिन्दुस्तान में ही तेरंहवी का विधान बनाया और कहीं तेरंहवी का विधान नहीं है क्योंकि सबसे पहले ज्ञान हिन्दुस्तान में ही प्रकट हुआ।
देहांत के बाद तेरह दिन तक हम अपने नातेदार, रिश्तेदारों के साथ उसी परिवेश में रहते हैं जहां देहांत से पहले रहते थे।
हमारा स्थूल शरीर छूट जाता है लेकिन हम 6 शरीरों सूक्ष्म, कारण, मनस्व , आत्मिक, ब्रह्म व निवार्ण शरीरों के साथ रहते हैं।
हम उसी आवरण मे रहते हैं, चिल्लाते हैं।
हमारा चिल्लाना हमारे परिवार वाले नहीं सुन पाते लेकिन जानवर, पशु-पक्षी सुनते हैं इसी कारण वह बैचन व भयभीत रहते हैं। अतः अन्दर की गति में आगे बढ़ा जाये, एक बार जहाँ अन्दर की और बढ़े फिर देहांत हुआ तो समझो हमारी गति हो गई।
कितनी अच्छी तरह हमारे महापुरुषों ने हमें यह ज्ञान समझाया।
यमराज का मुनीम बताया गया चित्रगुप्त को। हम
जो भी बातचीत कर रहे हैं वह एकत्रित हो रही है, यह बात विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है। हमारे गुप्त रुप से चित्र खींचे जा रहे हैं।
जो हमने समाज से छिपकर कार्य किये देहांत के बाद उनके चित्र 13 दिन तक हमारे सामने चलाये जाते हैं। केवल वही चित्र चलते हैं जो कार्य हमने समाज से छुपकर किये। समाज से छिपकर अच्छे कार्य किये तो उनके चित्र आयेंगे, बुरे कार्य किये हैं तो उनके चित्र आयेंगे। उसी के अनुसार हमें अगला जन्म मिलता है।
लेकिन जब हम 84 अंगुल के इस शरीर की तरफ बढ़ते हैं तो हमारे सारे उन्नति के द्वार खुल जाते हैं। आन्तरिक पूजा के द्वारा हम अन्दर की इस शक्ति की तरफ बढ़ते हैं। अभी तक हम केवल ग्रन्थों मे पढ़ते सुनते चले आये कि अन्दर विराट अमृत सागर है लेकिन केवल पढ़ने सुनने से कुछ नहीं होगा, अनुभव
करना होगा । िवट्ठलदास व्यास

Wednesday, 26 August 2015

अजीत डोभाल को क्यूँ कहा जा रहा है मोदी का जेम्स बांड: पढ़ें
यह अजीत डोभाल की ही रणनीति है कि पाकिस्तान के आतंकवादियों को भारतीय सीमा में प्रवेश करते ही ठोंक दिया जा रहा है। मोदी सरकार ने आतंकवाद पर नो टॉलरेंस नीति अपनाई हुई है। भारत के सैनिकों को आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करने की खुली छूट दे दी गयी है। यह सब हो रहा है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रणनीति के कारण। इन्ही सब रणनीतियों के कारण अजीत डोभाल को मोदी का जेम्स बांड का जा रहा है। अजीत डोभाल की रणनीति की वजह से ही मणिपुर में सेना पर हमला करने वाले आतंकवादियों को म्यांमार में घुसकर मारा गया। डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। इससे पहले शिवशंकर मेनन भारत के NSA थे।
“अजीत डोभाल ने पाकिस्तान को खुल्ला चैलेंज देते हुए एक सेमिनार में कहा था ‘अगर तुम एक और मुंबई काण्ड दोहरओंगे, हम तुम्हारे मुह से बलूचिस्तान छीन लेंगे”
पाकिस्तान में मुस्लिम बनकर रहे 7 साल
अजीत डोभाल की सबसे बड़ी कामयाबी ये हैं कि उन्होंने पाकिस्तान में मुस्लिम का भेष बनाकर 7 साल तक भारत के लिए जासूसी करते रहे। आज वे पाकिस्तान के चप्पे चप्पे से तो वाकिफ हैं ही, पाकिस्तानी आतंकी ठिकानो के बारे में भी उन्हें पूरी जानकारी है। इसी वजह से पाकिस्तान उनका सामना करने से डरता है।
आईपीएस अधिकारी रहे हैं डोभाल
अजीत डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। वे उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार के यहाँ 1945 में पैदा हुए थे और उन्होंने अजमेर के मिलिट्री स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तयारी में लग गए। उनकी मेहनत रंग लाइ और वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए। कुछ साल वर्दी में बिताने के बाद वे खुफिया विभाग में काम करने लगे और करीब 33 साल तक भारत के लिए जासूसी करते हुए बिता दिए। इस दौरान वे पाकिस्तान, जम्मू कश्मीर, पंजाब और पूर्वोत्तर राज्यों में तैनात होकर देश की रक्षा करते रहे।
मोदी ने दी है देश की रक्षा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाकर इनके सर पर देश की रक्षा की जिम्मेदारी डाल रखी है। चाहे पाकिस्तान को उसी की भाषा में जबाब देना हो, चाहे आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करना हो, चाहे चीन की रणनीति को फेल करना हो और चाहे पडोसी देशों से सम्बन्ध रखने हों, सभी चीजों के लिए रणनीति अजीत डोभाल ही तैयार करते हैं जिसपर प्रधानमंत्री मोदी मुहर लगाते हैं। आतंकवादी और देशद्रोही अजीत डोभाल के नाम से थर थर कांपते हैं। इनके दिल में आतंकवादियों के लिए कोई रहम नहीं है।
इंदिरा गाँधी ने भी इनकी प्रतिभा को पहचाना
ऐसा नहीं है कि अजीत डोभाल की प्रतिभा को प्रधानमंत्री मोदी ने ही पहचाना हो, इसके पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने भी इनकी प्रतिभा को पहचान कर इन्हें मान सम्मान दिया था।प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन्हें महज 6 साल के कैरियर के बाद ही इंडियन पुलिस मेडल से सम्मानित किया था जबकि परंपरा के मुताबिक वह पुरस्कार कम से कम 17 साल की नौकरी के बाद ही मिलता था। इसके अलावा राष्ट्रपति वेंकटरमन ने भी अजीत डोभाल को 1988 में कीर्तिचक्र से सम्मानित किया। यह पुरस्कार भी देश के लिए एक मिशाल बन गया।
अजीत डोभाल में क्या है खास
अजीत डोभाल पहले ऐसे शख्स थे जिन्हें सेना में दिए जाने वाले कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। अजीत डोभाल की कामयाबियों की लिस्ट में आतंक से जूझ रहे पंजाब और कश्मीर में कामयाब चुनाव कराना भी शामिल है। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्होने 7 साल पाकिस्तान में एक मुश्लिम में भेष में गुजारे दिए। इन्होने हमेशा चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा के उस पार मौजूद आतंकी संगठनों और घुसपैठियों की नाक में नकेल डाली है। अजीत डोभाल की पहचान सुरक्षा एजेंसियों के कामकाज पर उनकी पैनी नजर की वजह से बनी है।
अटल बिहारी सरकार को संकट से निकाला
अपनी सूझ बूझ की बदौलत अजीत डोभाल ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को संकट से निकाला था। 24 दिसंबर 1999 को एयर इंडिया की फ्लाइट आईसी 814 को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया और उसे कांधार ले जाया गया। भारत सरकार एक बड़े संकट में फंस गई थी। ऐसे में संकटमोचक बनकर उभरे थे अजीत डोभाल। अजीत उस वक्त वाजपेयी सरकार में एमएसी के मुखिया थे। आतंकवादियों और सरकार के बीच बातचीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और 176 यात्रियों की सकुशल वापसी का सेहरा डोभाल के सिर बंध गया था। अजीत डोभाल ने 1971-1999 के बीच करीब 15 हवाई जहाजों को हाईजैक होने से बचाया है। अजीत डोभाल ने सीमा के उस पार पनपने वाले आतंकवाद को काफी करीब से देखा है इसीलिए आज भी आतंकवाद के खिलाफ उनका रुख बेहद सख्त देखा जाता है।
कर चुके हैं जेम्स बांड को फेल करने वाले कारनामे
जेम्स बांड की तरह ही अजीत डोभाल पाकिस्तान में 7 साल तक मुस्लिम के भेष में जासूसी करते रहे। पाकिस्तान के खतरे से भारत को बचाते रहे। आतंकवादियों के मंसूबों को समझते रहे। जेम्स बांड तो फिल्मो में यह सब करते हैं लेकिन अजीत डोभाल ने सचमुछ में यह सब किया है। अजीत डोभाल ने ऐसे कई कारनामों को अंजाम दिया है जिसे जेम्स बांड सिर्फ फिल्मो में करते हैं।
भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सके, इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था। तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था। लगातार 110 घंटे आतंकवादियों से नेगोसियेट करने के बाद इन्होने सिर्फ 3 आतंकवादियों को छोड़ा जबकि उन्होंने 40 आतंकवादियों को छोड़ने की मांग की थी।
कश्मीर में भी इन्होने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी।उन्होंने उग्रवादियों को ही शांति रक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। इन्होने एक प्रमुख भारत विरोधी उग्रवादी ‘कूका पारे’ को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
इसी तरह से अजीत डोभाल ने हजारो कार्यवाहियों को अंजाम दिया है और हमेशा देश को मुश्किलों से बचाते रहे हैं। इनका स्टाइल ही इन्हें जेम्स बांड से ऊपर रखता है। फर्क सिर्फ इतना है कि ‘जेम्स बांड सिर्फ फिल्मों में कारनामे करता है लेकिन अजीत डोभाल सच में सभी कारनामे करते हैं। भारत को इसीलिए गर्व है अजीत डोभाल पर।
सहजन खाओ सेहत बनाओ   .........
भारत में एक से बढ़कर एक सेहत का खजाना मौजूद है। चाहे वो सब्जी के रूप में हो, चाहे फलों के रूप में और चाहे आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में। सहजन (Drumstick) एक ऐसी की रोगनाशक शक्ति है जिसे सब्जी के रूप में भारत के विभिन्न राज्यों में उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार सहजन 300 से भी अधिक रोगों को दूर भगाने वाली प्राकृतिक औषधि है जिसे हफ्ते में 1-2 दिन खाते रहने से कई बीमारियाँ दूर हो जाती है।
सहजन या मुनगा जड़ से लेकर फूल-पत्तियों तक सेहत का खजाना है। इसके ताजे फूल से हर्बल टॉनिक बनाया जाता है और इसकी पट्टी में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। सहजन का वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में सहजन का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है।
भारत में खासकर दक्षिण भारत में इसका उपयोग विभिन्न ब्यंजनो में खूब किया जाता है। इसका तेल भी निकाला जाता है और इसकी छाल पत्ती गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं। आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसलिए इसके खाने से लाभों के बारे में बताया जा रहा है –
1. सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में 4 गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है।
2. सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद, और नारियल पानी मिलाकर लें, यह एक उत्कृष्ट हर्बल दवाई है।
3. कुपोषण पीड़ित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। एक से तीन साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह वरदान माना गया है। सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। इसका काढ़ा साइटिका रोग के साथ ही, पैरों के दर्द व सूजन में भी बहुत लाभकारी है।
4. इसका जूस प्रसूता स्त्री को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
5. इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है। इसीलिए महिलाओं व बच्चों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें जिंक भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि पुरुषों की कमजोरी दूर करने में अचूक दवा का काम करता है। इसकी छाल का काढ़ा और शहद के प्रयोग से शीघ्र पतन की बीमारी ठीक हो जाती है और यौन दुर्बलता भी समाप्त हो जाती है।
6. सहजन में ओलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एक तरह का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। साथ ही सहजन में विटामिन सी बहुत मात्रा में होता है। यह कफ की समस्या में भी रामबाण दवा की तरह काम करता है। जुकाम में सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें।
अंग्रेजो ने भारत में 200 साल से ज्यादा समय तक राज किया और देश को बुरी तरह से लूटा...सिर्फ एक ही नीति से ..."फूट डालो और राज करो"  1947 के बाद नेहरु ने भी इसी नीति को जारी रखा..अब इसी नीति को नए तरीके से लांच किया है...अपने आपको ईमानदार घोषित कर चुके श्री श्री केजरीवाल ने... जातिवाद के नाम पर आपस में लड़ाने वाली कांग्रेस कौनसी कम थी...जो दिल्ली की जनता ने लुटेरी कांग्रेस का नया वर्जन केजरीवाल के रूप में लांच कर दिया...
गुजरात में इस समय पानी,बिजली,सड़क,रोजगार जैसी कोई भी समस्या नही है.. गुजरात बीजेपी का अभेध गढ़ जो ठहरा,उसमें सेंध कांग्रेस तो लगा नही सकी...केजरीवाल ने अब गुजरात में इसी नीति के अनुसार वहाँ की समृद्धशाली जाति पटेलों को आरक्षण के नाम पर दूसरी जातियो से लड़ाना शुरू कर दिया है

ये हार्दिक पटेल केजरीवाल का ही चम्मचा है....अब इसको मिडिया के सहयोग से हीरो बनाया जा रहा है...गुजरात में हरेक नेता रैली के दौरान गुजराती में भाषण देते है आये है...पर ये हार्दिक पटेल हिंदी में भाषण दे रहा है....मतलब इसको पुरे देश के लीडर के तौर पर लांच किया जा रहा है..पटेलों को आरक्षण नही देने की मांग को लेकर दूसरी जातियों ने भी आंदोलन शुरू कर दिया है.....ये केजरीवाल अब धीरे धीरे ये आरक्षण के नाम पर अब पुरे देश की जनता को एक दूसरे से लड़वा सकता है ।
आरक्षण की मांग करने वाले मर्सीडीज, बी. एम. डब्ल्यू. व ओडी जैसी कारों में आ रहे हार्दिक पटेल ? . बहुत जल्दी अपनी असलियत उजागर कर दी।  केजड़ीवाल जैसी सफलता की आकांक्षा ? हार्दिक पटेल घोषित मोदी विरोधी है। लोकसभा चुनावों में इसने जमकर आप पार्टी का प्रचार किया था। गुजरात इसके पहले कांग्रेस के खाम को ठुकरा चुका है। आप पार्टी  का भी यही हश्र होगा..
आप आगे चलकर ऐसे अनेक केजरीवाल को खड़ा करने की कांग्रेसी साजिश को अच्‍छी तरह से समझ सकें। आज हार्दिक पटेल जैसे कई युवाओं को हिंदू समाज को तोड़ने के लिए खड़ा करने की योजना पर कांग्रेस ने काम शुरू कर दिया है। गो रक्षा आंदोलन, अयोध्‍या आंदोलन, 2014 का लोकसभा चुनाव- जब जब हिंदू एक हुआ है, उसके कुछ दिनों में ही उसे तोड़ने के लिए कांग्रेस सक्रिय हो उठी है। अभी भी वही हो रहा है।
 मुलायम सिंह यादव ने कहा था, 'यादव भी हिंदू हो गया, इसलिए हम हार गए।' सोनिया-केजरीवाल-लालू-मुलायम-नीतीश जैसों का एक ही काम है कि किस तरह से फिर से ब्राहमण, क्षत्रिय, यादव, शुद्र, दलित, बनिया आदि में हिंदू समाज को बांटकर सांप्रदायिकता की राजनीति के जरिए देश को बेचा, लूटा-सखोटा जाए।
  जब जब कांग्रेस सत्ता से बहार हुई तब तब आरक्षण का जिन बोतल से बहार निकला   अन्‍ना व केजरीवाल को खड़ा करने के लिए सोनिया गांधी ने वामपंथी स्‍तंभ लेखकों और टीवी चैनलों में बैठे पैनलिस्‍टों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तक चलवाया था, ताकि वे लोग अखबार व टीवी के जरिए अन्‍ना के आंदोलन को देश का सबसे बड़ा आंदोलन साबित करें। याद रखिए, ये वही लोग थे, जिन्‍हें पाकिस्‍तानी एजेंट गुलाम नबी फई भी फंडिंग करता था।
गुजरात को बर्बाद करने के लिए रचा गया है
सबसे बड़ा षंडयत्र .............!!!!!
मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने भी कहा है कि
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार गुजरात
सरकार OBC, SC और ST को मिलाकर 50
फीसदी से अधिक आरक्षण दे ही नहीं सकती।
अगर हार्दिक पटेल की बात मानकर पटेलों को
27 फीसदी आरक्षण दे दिया तो बाकी
लोगों को क्या मिलेगा। हार्दिक पटेल ने
कहा है कि हम गुजरात सरकार की बातों को
अनदेखा करते हुए रैली को जरूर आयोजित करेंगे।
उसने यह भी कहा कि गुजरात के बाद वे लोग
पूरे देश में ऐसी रैलियां करके कमल को देश से
उखाड़ फेंकेगें। अब देश को यह समझना है कि यह
लड़का पटेल समुदाय को आरक्षण दिलाने के
लिए राजनीति में आया है या कमल को देश से
उखाड़ फेंकने।
आंख खोलिए, वर्ना आपके बच्‍चे भी जातिगत आरक्षण का कटोरा पकड़े नजर आएंगे, जैसे गुजरात का मजबूत पटेल समाज आज सरकारी भीख का कटोरा लपकने के लिए लालायति है। याद रखिए, आपको याचक बनाकर ही गांधी परिवार दुनिया के अमीर लोगों में शामिल हुआ है।
तो ये लोग है गुजरात में दंगा करने वाले ...
गुजरात पुलिस ने गुजरात के अनेक शहरो में दंगा करते और कराते हुए अनेक ऐसे लोगो को पकड़ा है न तो गुजराती है न ही पटेल जाती के ।ये लोग दिल्ली, उत्तरप्रदेश और बिहार से 4-5 दिन पहले ही वहां गए थे । अब जनता और प्रशासन समझे कि ये वंहा क्यों गए थे ? साथ ही इसकी भी जांच जरूरी है कि इनको गुजरात के भिन्न-भिन्न शहरो में किसने भेजा था? और इन्हें पैसा कंहा से और कितना मिला था ?
इन सब पर NSA लगाकर देश द्रोह का मुकदमा चलाया जाय और इन्होंने जो अपने-अपने चेहरे छिपा रखे है उन्हें जनता के सामने लाया जाय ।

13 साल तक गुजरात शांत था... और बुद्धि बेचकर खाने वाले "बौद्धिक कव्वे" कहते हैं, मोदी क्षमतावान नहीं हैं...उधर तमाम बिहारी नेता जनगणना के जातिगत आँकड़े उजागर करने की माँग कर रहे हैं... वे समझ गए हैं कि मोदी को हराना हो तो देश को जाति से तोड़ो, भड़काओ... टुकड़े-टुकड़े कर दो..शाबाश केजरीवाल... शाबाश लालू...
प्रधानमंत्री मोदी भी गुजरात के हालात देखकर तड़प उठे हैं। जिस गुजरात को उन्होंने अपने खून पसीने से सींचा था, जिसकी उन्नति के लिए वे 18 घंटे लगातार काम करते थे आज वही गुजरात आरक्षण की आग में जलने को तैयार है।
आंदोलन की यह आग  हिंसक रुप ले चुकी है। अभी यह गुजरात के कुछ हिस्सो मे भड़की है। हो सकता है कल को पुरे गुजरात और परसो पुरे देश मे फैल जाए। क्या बर्दाश्त करेंगे गृहयुद्ध ? समय और परिस्थिति बहुत नाजुक है, जहा एक मामुली सी चिंगारी भयंकर आग का रुप ले सकती है और देश और समाज को जातिवाद के दलदल मे धकेल सकती है। पढ़ने वाला भले पटेल हो, ओबीसी हो, जनरल हो या किसी भी वर्ग का हो। अगर देश हीत और भारत माता की अखंडता चाहता है। तो संयम और समझदारी से इस आग को रोकने मे सहयोग करेगा।

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 1988 आते आते  सिख आतंकियों ने  golden temple complex में  अड्डा बना लिया । राजीव गांधी की सरकार थी । उन्होंने आदेश दिया ...खाली कराओ । सेना ने घेरा डाल दिया । सारी तैयारी हो चुकी थी । तभी दिल्ली से निर्देश आया । एक भी civilian मरना नहीं चाहिए और स्वर्ण मंदिर को कोई नुक्सान नहीं पहुंचना चाहिए ।
अब अंदर बैठे 300 से ज़्यादा आतंकी क्या मेमने हैं कि गए और पकड़ लाये ?
सुरक्षा बलों की top leadership स्वर्ण मंदिर के बगल में एक होटल के कमरे में योजना बना रही थी कि अब क्या किया जाए । तभी वहाँ एक आदमी आया । एक सिख रिक्शे वाला । आया क्या लाया गया । My self Ajit Dobhal ..
अजित डोभाल पिछले 6 महीने से उन्ही आतंकियों के बीच एक I S I agent के रूप में रह रहे थे । आतंकी ये समझते थे कि ये I S I वाला हमारी मदद के लिए भेजा गया है । उन्होंने आतंकियों की सारी स्थिति , संख्या , हथियार , morale सबकी detail जानकारी दी । ये भी नक्शा बनाया कि कौन कहाँ कैसे बैठा है ।
सवाल ये था कि बिना एक भी आदमी मारे और परिसर को नुक्सान पहुंचाए ये काम कैसे हो ?
इसका हल भी Ajit Dobhal ने ही दिया । और जो हल दिया उसे सुन के अफसर हंस पड़े .. पर वो serious थे ।

सालों को टट्टी मत करने दो ...हाँ . टट्टी मत करने दो ... साले हगाये मरेंगे तो अपने आप बाहर भागेंगे ।
फिर उन्होंने पूरे नक़्शे के साथ प्लान दिया । सेना ने परिसर के एक कोने में बने शौचालयों पे कब्जा कर लिया । और परिसर की बिजली पानी काट दी ।  फ़ौज की सिर्फ एक planning थी । कोई शौचालय में न आने पाये । दूरदर्शन का live telecast चालू करवा दिया ।
may का महीना । भयंकर गर्मी । न बिजली न पानी  और न शौचालय । ऊपर से 450 आदमी । पंजाब पुलिस mike पे request कर रही थी .......please बाहर आ जाओ । surrender कर दो । कोई तुमको कुछ नहीं कहेगा ...
.TV पे पूरा देश देख रहा था । ये घेराबंदी 9 दिन चली । अंत में सबने surrender कर दिया ... 300 से ज़्यादा terrorist थे जिनमे सबसे दुर्दान्त पेंटा था जिसने सबके सामने cyanide खा लिया ।
बाद में TV पत्रकारों का एक दल अंदर भेजा गया । दरबार हॉल की main kitchen में जो बड़े बड़े बर्तन थे .. हंडे ,पतीले ,देग ,बाल्टियां ...वो जिनमे प्रसाद बनता था .. सब मल और मूत्र से भरे हुए थे औ पूरे परिसर में सिर्फ एक ही चीज़ दिखती थी . टट्टी ... आखिर 450 आदमी 9 दिन कहाँ हगेंगे मूतेंगे ... पीने को एक बूँद पानी नहीं . हग के धोएंगे कैसे ..ये नज़ारा पूरे देश ने देखा ..पत्रकारों ने जो reporting की उसमे एक बात प्रमुख थी ..OMG कितनी बदबू है ।
सिख समाज आतंकियों की इस हरकत से बहुत बहुत ज़्यादा आहत हुआ । सबने देखा कि स्वर्ण मंदिर को किसने गंदा किया । पूरा सिख समाज ही इन आतंकियों के खिलाफ उठ खड़ा हुआ । इस घटना के एक साल के अंदर पंजाब पुलिस ने पंजाब की सड़कों पे इन आतंकियों को दौड़ा दौड़ा के मारा । और सिर्फ 3 महीने में शांति बहाल कर दी । बहुत कम लोग जानते हैं कि ये पूरी योजना Ajit Dobhal ने बनायी थी ।
ये जानकारी एक फौजी जनरल ने एक लेख में दी है जो एक डिफेंस journal में छपा है । ये जनरल स्वयं उस रूम में मौजूद थे जहां डोभाल जी ने पूरा प्लान बनाया । बहुत कम लोग जानते हैं कि पंजाब में आतंक के खिलाफ लड़ाई में KPS Gill के सबसे बड़े सहयोगी Dobhal थे ...
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गुजरात जल रहा है, मीडिया पेट्रोल डाल रहा है, क्योंकि हार्दिक पटेल गुजरात की साम्प्रदायिक सरकार के खिलाफ भाषण दे रहा है।
अंग्रेजों के बाद इस देश का सबसे अधिक नुकसान मीडिया ने किया है,इनकी खबर नहीं ली गई तो हमें केजरी जैसे नक्सलियों को झेलते रहना होगा, गुजराती टीवी चैनलों और कई राष्‍ट्रीय चैनलों ने टीआरपी के चक्‍कर में गुजरात पटेल आंदोलन को जिस तरह कवर किया, रिपोर्टरों और एंकरों ने जिस तरह उतेजित भाषा का उपयोग किया, उसे देखते हुए  ऐसे सभी टीवी चैनलों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाने चाहिए। इन चैनलों ने बढ़ा चढ़ाकर बातें पेश की और आग में घी का काम किया।

"संस्कृत" पर शोध के लिए जर्मन नागरिक को मिला पद्मश्री पुरस्कार




भारत में सेक्युलरों के लिए विवादित भाषा "संस्कृत" पर शोध के लिए जर्मन नागरिक को मिला पद्मश्री पुरस्कार सेक्युलरों को मिर्ची तो जरुर लगी होगी
संस्कृत भारत की वैदिक भाषा है। इस भाषा को वर्तमान विश्व का सबसे अत्याधुनिक अंतरिक्ष शोध संस्था नासा ने भी माना है यह दैवीय भाषा है, यह खगौलीय भाषा है। हालांकि भारत जहाँ की यह मूल भाषा है। यहाँ की स्कूलों में पढ़ाने पर विवाद हो जाता है और संस्कृत की जगह जर्मन भाषा पढ़ाई जा रही है। लेकिन जर्मनी में संस्कृत पर शोध हो रहे हैं। वहां के विश्वविद्यालयों में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है। इतना ही नहीं, जर्मनी की शोधकर्ता डॉ. एनेटी सच्मीडेसेन को संस्कृत में शोध के लिए भारत के नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
फिर भी भारत के लोग अँग्रेजी भाषा और अन्य भाषा की ओर रुख़ कर रहे है, जोकि हर दृष्टि से हानिकारक है। जाहिर है डॉ. एनेटी अपने शोध के लिए इन दिनों भारत में रहती हैं। उनके पति कोलकाता में जर्मन वाणिज्य दूतावास के काउंसल जनरल हैं। उन्होंने कहा कि वह इस पुरस्कार से खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। संस्कृत आधारित अध्ययन को भारत के भीतर और बाहर प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। वहीं, भारत में जर्मनी के राजदूत मिसाइल स्टेनर ने कहा कि डॉ. एनेटी को पद्मश्री सम्मान से दोनों देशों के बीच प्राचीन एवं आधुनिक भाषाओं के विकास में नए आयाम खुलेंगे।
गौरतलब है कि देश के केंद्रीय विद्यालयों में पहले संस्कृत की जगह जर्मन भाषा पढ़ाना शुरू किया गया था। मगर, जब इसे हटाया गया तो जर्मनी की तरफ से इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। जबकि, जर्मनी में संस्कृत पर लंबे समय से शोध हो रहे हैं। संस्कृत को विज्ञान की भाषा माना गया है। संस्कृत के ग्रंथों में प्राचीन वैज्ञानिक पद्धति का ज्ञान समाहित है।
दुर्भाग्य से भारत में उस पर अपेक्षित शोध नहीं हुआ है, लेकिन जर्मनी उस पर न सिर्फ शोध कर रहा है, बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में उससे लाभान्वित भी हुआ है। हाल में मुंबई साइंस कांग्रेस के दौरान भी यह मुद्दा उठा था। वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर व वरिष्ठ विज्ञानी विजय भाटकर ने तब माना था कि जर्मनी ने संस्कृत के ज्ञान से वैज्ञानिक तरक्की हासिल की है।
डॉ. एनेटी ने बर्लिन विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृत और विचारधारा में डिग्री ली है। इसके बाद उन्होंने हुमबोल्डट यूनिवर्सिटी से उत्तरी भारत में पांचवीं से नौवीं शताब्दी के बीच बने बौद्ध केंद्रों व उसके लिए गांवों, भूमि एवं धन दान दिए जाने के विषय पर पीएचडी की। बाद में उन्हें इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ संस्कृत स्टडीज का फेलो भी नियुक्त किया गया। वह लगातार संस्कृत पर शोध कर रही हैं। 1992 से उनका भारत-आना जाना है।
नेताजी के सामने नेहरू की वही ओकात थी जो आज मोदी जी के सामने राहुल गांधी की है ...
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वीर सावरकर जी ने दो-दो आजीवन कारावास की सजा भुगती। उनकी सारी संपत्ति सरकार ने जब्त कर ली थी।
 आजादी के बाद भी कांग्रेस सरकार उन्हें आतंकवादी कहती रही और गांधी जी की हत्या के केस में भी फंसा दिया, जबकि अदालत ने उन्हें निर्दोष माना...
ऐसा महामानव वर्षो तक आजाद भारत में बिना घर रहा, तब कहीं जाकर के नरेंद्र जी और गुरुदत्त जी ने निजी धन से उनका पैत्रक घर खरीदा और सावरकर जी को जन्मदिन पर भेंट किया....
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अपने देश में अगर मक्कार टाईप के स्वार्थियो तथा ढक्कन टाईप के मूर्खो की बहुत बड़ी आवादी न होती तो अपना देश बहुत पहले दुनिया के शीर्ष विकसित देशो की कतार में शामिल हो चुका होता ..हम लाख कहे ''मेरा भारत महान'' लेकिन इसी देश में मक्कार कमीनो , स्वार्थियों तथा ढक्कन टाईप के बदजात मूर्खो की बहुत बड़ी आवादी है ..और यही तबका देश की हर बर्वादी का असली गुनाहगार है ..
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पटेल का नाम सुनकर मस्तक स्वतः ही सम्मान से झुक जाता है पर यह कजरी का शिष्य पपलू हार-डिक पटेल आ गया है जातिवाद फ़ैलाने के लिए..
 देश में नरेंद्र भाई मोदी विरोधी नेता, एनजीओकर्मी, मीडिया, नौकरशाह एवं विदेशी फंडिंग एजेंसी एकजुट हो रहे हैं ताकि 2019 लोकसभा चुनाव में सिर्फ और सिर्फ एक इंसान नरेंद्र भाई को झुका सकें |
यह कजरी पोषित पपलू हार-डिक भी उसी जमात का है 
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खुजलीवाल और कोंग्रेसीयो की चाल कामयाब हो गयी !! उन्का मोहरा (हार्दिक पटेल) और उनके चमचो ने पुर्व-प्लानिंग के तहत रैली खत्म होते ही पुरे गुजरात मे ठेर ठेर आग लगाना शुरु कर दिया !!
12 साल बाद कुछ एरिया मे कर्फ्यू लगाना पडा ... 12 साल की शांति हजम नहि हुई !
क्या मिला ?? पहले ही कहा था कि ... ये आंदोलन से सिर्फ "नक्सली खुजलीवाल" पेदा होएगा .... आरक्षण नहि..



इन दिनों गुजरात ‘पाटीदार पटेलों’ द्वारा मांगे जा रहे आरक्षण की आंच से घिरा हुआ है। पटेलों को मनाने की राज्य सरकार की हर कोशिश विफल हो चुकी है और अब पूरे गुजरात में जगह-जगह रैली और प्रदर्शन हो रहे हैं।
आ रहे हैं सामने:पर्दे पीछे के खिलाड़ी
गुजरात सरकार के लिए सिरदर्द बनते जा रहे पाटीदार पटेल के आरक्षण की आग जैसे-जैसे फैलती जा रही है, वैसे-वैसे पर्दे पीछे के खिलाड़ियों के नाम भी उजागर होते जा रहे हैं इसके पीछे मुख्य भूमिका निभाने वाले पटेल समुदाय के नेता वजुभाई पडसाला और बीजेपी के कुछ नेता हैं, जो आनंदीबेन सरकार से खुश नहीं हैं।इसमें भी सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम है ‘आप’ पार्टी के प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का। जी हां, यह बात का मुख्य आधार हार्दिक पटेल के वे ट्वीट्स हैं, जो उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल के समर्थन में किए थे।
हार्दिक पटेल के ट्वीट्स हुए वायरल:
अरविंद केजरीवाल का नाम आरक्षण आंदोलन के संयोजक हार्दिक पटेल के ट्वीट्स के चलते उजागर हुआ है।ट्वीट्स हार्दिक पटेल ने लोकसभा चुनाव से पहले किए थे, जो इस समय गुजरात में वायरल हो गए हैं। इससे पता चलता है कि हार्दिक ने अरविंद केजरीवाल का खुलकर समर्थन किया था। े खिलाफ और केजरीवाल के समर्थन में हैं।
आप पार्टी के नेता हैं हार्दिक पटेल के सबसे करीबी:
वहीं, इस समय हार्दिक पटेल के सबसे करीबी व्यक्ति यानी कि चिराग पटेल भी आप पार्टी के नेता हैं। चिराग पटेल वही हैं, जो 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आप पार्टी के टिकट पर आनंदीबेन के खिलाफ खड़े हुए थे|
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क्या मीडिया निष्पक्ष है? 
मुल्ला, मौलबी और पादरियोँ की काली करतूत पर मीडिया को साँप क्योँ सूँघ जाता है?
कश्मीर के बूदगम मे गुलजार अहमद भट (42) पिछले 18 साल से मदरसा चला रहा था ! मदरसे मे 500 से अधिक लड़कियों के रहने खाने की व्यवस्था थी !यहाँ लड़कियों को कुरान और मजहब कि तालीम दी जाती थी ! लेकिन गुलजार ने मदरसे मे इस्लामी परम्परा का पालन करते हूए 200 नाबालिग लड़कियों का बलात्कार किया! मई 2013, चार लड़कियों ने मिल के गुलजार के यौन शोषण के खिलाफ शिकायत कर दी !गुलजार गिरफ्तार हो गया ! पुलिस छापे मे मदरसे मे से ताकत कि दवा अशलिल साहित्य और अशलिल वीडियो सीडी मिली !ये खबर दो चैनलों पे केवल एक बार दीखाई गई !
 आशारामजी को गिरफ्तार कर के चैनल वालो ने 2 महीने तक पल पल कि रिपोर्टिंग कि थी ! रामपाल के केस मे भी मीडिया कि सक्रियता और रिपोर्टिंग हर चैनल पे देखी जा सकती है !लेकिन मौलवीयो का नकाब उतार के इस्लाम कि काली दुनिया का घीनौना सच मीडिया किस दबाव मे छीपा लेता है ! क्या मीडिया निष्पक्ष है ?
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Tuesday, 25 August 2015

हार्दिक पटेल बोला जिस स्तर का केजरीवाल ने किया वैसा हम भी करेंगे
इन दिनों गुजरात ‘पाटीदार पटेलों’ द्वारा मांगे जा रहे आरक्षण की आंच से घिरा हुआ है।  अब पूरे गुजरात में जगह-जगह रैली और प्रदर्शन हो रहे हैं।
आ रहे हैं सामने:पर्दे पीछे के खिलाड़ी
 आरक्षण की आग जैसे-जैसे फैलती जा रही है, वैसे-वैसे पर्दे पीछे के खिलाड़ियों के नाम भी उजागर होते जा रहे हैं इसके पीछे मुख्य भूमिका निभाने वाले पटेल समुदाय के नेता वजुभाई पडसाला और बीजेपी के कुछ नेता हैं, जो आनंदीबेन सरकार से खुश नहीं हैं।इसमें भी सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम है ‘आप’ पार्टी के प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का।
अरविंद केजरीवाल का नाम आरक्षण आंदोलन के संयोजक हार्दिक पटेल के ट्वीट्स के चलते उजागर हुआ है।ट्वीट्स हार्दिक पटेल ने लोकसभा चुनाव से पहले किए थे, जो इस समय गुजरात में वायरल हो गए हैं। इससे पता चलता है कि हार्दिक ने अरविंद केजरीवाल का खुलकर समर्थन किया था। े खिलाफ और केजरीवाल के समर्थन में हैं।
 हार्दिक पटेल के सबसे करीबी व्यक्ति यानी कि चिराग पटेल भी आप पार्टी के नेता हैं। चिराग पटेल वही हैं, जो 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आप पार्टी के टिकट पर आनंदीबेन के खिलाफ खड़े हुए थे|
 अहमदाबाद की रैली में हार्दिक पटेल ने मंच से ललकारते हुए इस राज का पर्दाफाश कर ही दिया कि इस आन्दोलन के पीछे भी केजरीवाल ही हैं। हार्दिक पटेल ने कहा कि ‘जिस स्तर काकेजरीवाल ने किया है वैसा ही हम भी करेंगे और गुजरात से कमल को उखाड़ फेंकेंगे। उसने कहा कि चुनाव आने वाले हैं। एक बार हमने कांग्रेस को उखाड़ फेंका है इस बार 2018 चुनावों में कमल को भी उखाड़ फेंकेंगे।
 इस आन्दोलन की शुरुआत भी बिलकुल केजरीवाल की ही तरह हुई है। केजरीवाल की तरह ही हार्दिक पटेल ने भी घर घर जाकर पटेल बिरादरी के युवाओं के छोटे छोटे समूह बनाये। उन्हें आरक्षण पर राजनीति करने के लिए तैयार किया। उन छोटे छोटे समूहों ने सभी क्षेत्रों में जाकर पटेल समाज के मन में सरकार के प्रति अविश्वास का माहौल बनाया। उन्हें आन्दोलन के लिए तैयार किया। यही सब केजरीवाल ने भी किया था। केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ बिजली का मुद्दा बनाया था। उन्होंने इसके लिए छोटे छोटे समूह बनाये। घर घर जाकर शीला दीक्षित के खिलाफ अविश्वास का माहौल बनाया। और शीला को उखाड़ फेंका। ठीक उसी तरस से हार्दिक पटेल ने किया है 
 जिस तरह से इस हार्दिक के  भाषण की नेसनल मीडिया कवरेज कर रही है, निश्चित ही कोई बहुत बड़ा फिनांसर परदे के पीछे काम कर रहा है। 
दुर्भाग्य पूर्ण

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पुनर्जन्म विषय पर :-
(1) प्रश्न :- पुनर्जन्म किसको कहते हैं ?
उत्तर :- जब जीवात्मा एक शरीर का त्याग करके किसी दूसरे शरीर में जाती है तो इस बार बार जन्म लेने की क्रिया को पुनर्जन्म कहते हैं ।
(2) प्रश्न :- पुनर्जन्म क्यों होता है ?
उत्तर :- जब एक जन्म के अच्छे बुरे कर्मों के फल अधुरे रह जाते हैं तो उनको भोगने के लिए दूसरे जन्म आवश्यक हैं ।
(3) प्रश्न :- अच्छे बुरे कर्मों का फल एक ही जन्म में क्यों नहीं मिल जाता ? एक में ही सब निपट जाये तो कितना अच्छा हो ?
उत्तर :- नहीं जब एक जन्म में कर्मों का फल शेष रह जाए तो उसे भोगने के लिए दूसरे जन्म अपेक्षित होते हैं ।
(4) प्रश्न :- पुनर्जन्म को कैसे समझा जा सकता है ?
उत्तर :- पुनर्जन्म को समझने के लिए जीवन और मृत्यु को समझना आवश्यक है । और जीवन मृत्यु को समझने के लिए शरीर को समझना आवश्यक है ।
(5) प्रश्न :- शरीर के बारे में समझाएँ ?
उत्तर :- हमारे शरीर को निर्माण प्रकृति से हुआ है ।
जिसमें मूल प्रकृति ( सत्व रजस और तमस ) से प्रथम बुद्धि तत्व का निर्माण हुआ है ।
बुद्धि से अहंकार ( बुद्धि का आभामण्डल ) ।
अहंकार से पांच ज्ञानेन्द्रियाँ ( चक्षु, जिह्वा, नासिका, त्वचा, श्रोत्र ), मन ।
पांच कर्मेन्द्रियाँ ( हस्त, पाद, उपस्थ, पायु, वाक् ) ।
शरीर की रचना को दो भागों में बाँटा जाता है ( सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर ) ।
(6) प्रश्न :- सूक्ष्म शरीर किसको बोलते हैं ?
उत्तर :- सूक्ष्म शरीर में बुद्धि, अहंकार, मन, ज्ञानेन्द्रियाँ । ये सूक्ष्म शरीर आत्मा को सृष्टि के आरम्भ में जो मिलता है वही एक ही सूक्ष्म शरीर सृष्टि के अंत तक उस आत्मा के साथ पूरे एक सृष्टि काल ( ४३२००००००० वर्ष ) तक चलता है । और यदि बीच में ही किसी जन्म में कहीं आत्मा का मोक्ष हो जाए तो ये सूक्ष्म शरीर भी प्रकृति में वहीं लीन हो जायेगा ।
(7) प्रश्न :- स्थूल शरीर किसको कहते हैं ?
उत्तर :- पंच कर्मेन्द्रियाँ ( हस्त, पाद, उपस्थ, पायु, वाक् ) , ये समस्त पंचभौतिक बाहरी शरीर ।
(8) प्रश्न :- जन्म क्या होता है ?
उत्तर :- जीवात्मा का अपने करणों ( सूक्ष्म शरीर ) के साथ किसी पंचभौतिक शरीर में आ जाना ही जन्म कहलाता है ।
(9) प्रश्न :- मृत्यु क्या होती है ?
उत्तर :- जब जीवात्मा का अपने पंचभौतिक स्थूल शरीर से वियोग हो जाता है, तो उसे ही मृत्यु कहा जाता है । परन्तु मृत्यु केवल सथूल शरीर की होती है , सूक्ष्म शरीर की नहीं । सूक्ष्म शरीर भी छूट गया तो वह मोक्ष कहलाएगा मृत्यु नहीं । मृत्यु केवल शरीर बदलने की प्रक्रिया है, जैसे मनुष्य कपड़े बदलता है । वैसे ही आत्मा शरीर भी बदलता है ।
(10) प्रश्न :- मृत्यु होती ही क्यों है ?
उत्तर :- जैसे किसी एक वस्तु का निरन्तर प्रयोग करते रहने से उस वस्तु का सामर्थ्य घट जाता है, और उस वस्तु को बदलना आवश्यक हो जाता है, ठीक वैसे ही एक शरीर का सामर्थ्य भी घट जाता है और इन्द्रियाँ निर्बल हो जाती हैं । जिस कारण उस शरीर को बदलने की प्रक्रिया का नाम ही मृत्यु है ।
(11) प्रश्न :- मृत्यु न होती तो क्या होता ?
उत्तर :- तो बहुत अव्यवस्था होती । पृथ्वी की जनसंख्या बहुत बढ़ जाती । और यहाँ पैर धरने का भी स्थान न होता ।
(12) प्रश्न :- क्या मृत्यु होना बुरी बात है ?
उत्तर :- नहीं, मृत्यु होना कोई बुरी बात नहीं ये तो एक प्रक्रिया है शरीर परिवर्तन की ।
(13) प्रश्न :- यदि मृत्यु होना बुरी बात नहीं है तो लोग इससे इतना डरते क्यों हैं ?
उत्तर :- क्योंकि उनको मृत्यु के वैज्ञानिक स्वरूप की जानकारी नहीं है । वे अज्ञानी हैं । वे समझते हैं कि मृत्यु के समय बहुत कष्ट होता है । उन्होंने वेद, उपनिषद, या दर्शन को कभी पढ़ा नहीं वे ही अंधकार में पड़ते हैं और मृत्यु से पहले कई बार मरते हैं ।
(14) प्रश्न :- तो मृत्यु के समय कैसा लगता है ? थोड़ा सा तो बतायें ?
उत्तर :- जब आप बिस्तर में लेटे लेटे नींद में जाने लगते हैं तो आपको कैसा लगता है ?? ठीक वैसा ही मृत्यु की अवस्था में जाने में लगता है उसके बाद कुछ अनुभव नहीं होता । जब आपकी मृत्यु किसी हादसे से होती है तो उस समय आमको मूर्छा आने लगती है, आप ज्ञान शून्य होने लगते हैं जिससे की आपको कोई पीड़ा न हो । तो यही ईश्वर की सबसे बड़ी कृपा है कि मृत्यु के समय मनुष्य ज्ञान शून्य होने लगता है और सुषुुप्तावस्था में जाने लगता है ।
(15) प्रश्न :- मृत्यु के डर को दूर करने के लिए क्या करें ?
उत्तर :- जब आप वैदिक आर्ष ग्रन्थ ( उपनिषद, दर्शन आदि ) का गम्भीरता से अध्ययन करके जीवन,मृत्यु, शरीर, आदि के विज्ञान को जानेंगे तो आपके अन्दर का, मृत्यु के प्रति भय मिटता चला जायेगा और दूसरा ये की योग मार्ग पर चलें तो स्वंय ही आपका अज्ञान कमतर होता जायेगा और मृत्यु भय दूर हो जायेगा । आप निडर हो जायेंगे । जैसे हमारे बलिदानियों की गाथायें आपने सुनी होंगी जो राष्ट्र की रक्षा के लिये बलिदान हो गये । तो आपको क्या लगता है कि क्या वो ऐसे ही एक दिन में बलिदान देने को तैय्यार हो गये थे ? नहीं उन्होने भी योगदर्शन, गीता, साँख्य, उपनिषद, वेद आदि पढ़कर ही निर्भयता को प्राप्त किया था । योग मार्ग को जीया था, अज्ञानता का नाश किया था । महाभारत के युद्ध में भी जब अर्जुन भीष्म, द्रोणादिकों की मृत्यु के भय से युद्ध की मंशा को त्याग बैठा था तो योगेश्वर कृष्ण ने भी तो अर्जुन को इसी सांख्य, योग, निष्काम कर्मों के सिद्धान्त के माध्यम से जीवन मृत्यु का ही तो रहस्य समझाया था और यह बताया कि शरीर तो मरणधर्मा है ही तो उसी शरीर विज्ञान को जानकर ही अर्जुन भयमुक्त हुआ । तो इसी कारण तो वेदादि ग्रन्थों का स्वाध्याय करने वाल मनुष्य ही राष्ट्र के लिए अपना शीश कटा सकता है, वह मृत्यु से भयभीत नहीं होता , प्रसन्नता पूर्वक मृत्यु को आलिंगन करता है ।
(16) प्रश्न :- किन किन कारणों से पुनर्जन्म होता है ?
उत्तर :- आत्मा का स्वभाव है कर्म करना, किसी भी क्षण आत्मा कर्म किए बिना रह ही नहीं सकता । वे कर्म अच्छे करे या फिर बुरे, ये उसपर निर्भर है, पर कर्म करेगा अवश्य । तो ये कर्मों के कारण ही आत्मा का पुनर्जन्म होता है । पुनर्जन्म के लिए आत्मा सर्वथा ईश्वराधीन है ।
(17) प्रश्न :- पुनर्जन्म कब कब नहीं होता ?
उत्तर :- जब आत्मा का मोक्ष हो जाता है तब पुनर्जन्म नहीं होता है ।
(18) प्रश्न :- मोक्ष होने पर पुनर्जन्म क्यों नहीं होता ?
उत्तर :- क्योंकि मोक्ष होने पर स्थूल शरीर तो पंचतत्वों में लीन हो ही जाता है, पर सूक्ष्म शरीर जो आत्मा के सबसे निकट होता है, वह भी अपने मूल कारण प्रकृति में लीन हो जाता है ।
(19) प्रश्न :- मोक्ष के बाद क्या कभी भी आत्मा का पुनर्जन्म नहीं होता ?
उत्तर :- मोक्ष की अवधि तक आत्मा का पुनर्जन्म नहीं होता । उसके बाद होता है ।
(20) प्रश्न :- लेकिन मोक्ष तो सदा के लिए होता है, तो फिर मोक्ष की एक निश्चित अवधि कैसे हो सकती है ?
उत्तर :- सीमित कर्मों का कभी असीमित फल नहीं होता । यौगिक दिव्य कर्मों का फल हमें ईश्वरीय आनन्द के रूप में मिलता है, और जब ये मोक्ष की अवधि समाप्त होती है तो दुबारा से ये आत्मा शरीर धारण करती है ।
(21) प्रश्न :- मोक्ष की अवधि कब तक होती है ?
उत्तर :- मोक्ष का समय ३१ नील १० खरब ४० अरब वर्ष है, जब तक आत्मा मुक्त अवस्था में रहती है ।
(22) प्रश्न :- मोक्ष की अवस्था में स्थूल शरीर या सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ रहता है या नहीं ?
उत्तर :- नहीं मोक्ष की अवस्था में आत्मा पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाता रहता है और ईश्वर के आनन्द में रहता है, बिलकुल ठीक वैसे ही जैसे कि मछली पूरे समुद्र में रहती है । और जीव को किसी भी शरीर की आवश्यक्ता ही नहीं होती।
(23) प्रश्न :- मोक्ष के बाद आत्मा को शरीर कैसे प्राप्त होता है ?
उत्तर :- सबसे पहला तो आत्मा को कल्प के आरम्भ ( सृष्टि आरम्भ ) में सूक्ष्म शरीर मिलता है फिर ईश्वरीय मार्ग और औषधियों की सहायता से प्रथम रूप में अमैथुनी जीव शरीर मिलता है, वो शरीर सर्वश्रेष्ठ मनुष्य या विद्वान का होता है जो कि मोक्ष रूपी पुण्य को भोगने के बाद आत्मा को मिला है । जैसे इस वाली सृष्टि के आरम्भ में चारों ऋषि विद्वान ( वायु , आदित्य, अग्नि , अंगिरा ) को मिला जिनको वेद के ज्ञान से ईश्वर ने अलंकारित किया । क्योंकि ये ही वो पुण्य आत्मायें थीं जो मोक्ष की अवधि पूरी करके आई थीं ।
(24) प्रश्न :- मोक्ष की अवधि पूरी करके आत्मा को मनुष्य शरीर ही मिलता है या जानवर का ?
उत्तर :- मनुष्य शरीर ही मिलता है ।
(25) प्रश्न :- क्यों केवल मनुष्य का ही शरीर क्यों मिलता है ? जानवर का क्यों नहीं ?
उत्तर :- क्योंकि मोक्ष को भोगने के बाद पुण्य कर्मों को तो भोग लिया , और इस मोक्ष की अवधि में पाप कोई किया ही नहीं तो फिर जानवर बनना सम्भव ही नहीं , तो रहा केवल मनुष्य जन्म जो कि कर्म शून्य आत्मा को मिल जाता है ।
(26) प्रश्न :- मोक्ष होने से पुनर्जन्म क्यों बन्द हो जाता है ?
उत्तर :- क्योंकि योगाभ्यास आदि साधनों से जितने भी पूर्व कर्म होते हैं ( अच्छे या बुरे ) वे सब कट जाते हैं । तो ये कर्म ही तो पुनर्जन्म का कारण हैं, कर्म ही न रहे तो पुनर्जन्म क्यों होगा ??
(27) प्रश्न :- पुनर्जन्म से छूटने का उपाय क्या है ?
उत्तर :- पुनर्जन्म से छूटने का उपाय है योग मार्ग से मुक्ति या मोक्ष का प्राप्त करना ।
(28) प्रश्न :- पुनर्जन्म में शरीर किस आधार पर मिलता है ?
उत्तर :- जिस प्रकार के कर्म आपने एक जन्म में किए हैं उन कर्मों के आधार पर ही आपको पुनर्जन्म में शरीर मिलेगा ।
(29) प्रश्न :- कर्म कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :- मुख्य रूप से कर्मों को तीन भागों में बाँटा गया है :- सात्विक कर्म , राजसिक कर्म , तामसिक कर्म ।
(१) सात्विक कर्म :- सत्यभाषण, विद्याध्ययन, परोपकार, दान, दया, सेवा आदि ।
(२) राजसिक कर्म :- मिथ्याभाषण, क्रीडा, स्वाद लोलुपता, स्त्रीआकर्षण, चलचित्र आदि ।
(३) तामसिक कर्म :- चोरी, जारी, जूआ, ठग्गी, लूट मार, अधिकार हनन आदि ।
और जो कर्म इन तीनों से बाहर हैं वे दिव्य कर्म कलाते हैं, जो कि ऋषियों और योगियों द्वारा किए जाते हैं । इसी कारण उनको हम तीनों गुणों से परे मानते हैं । जो कि ईश्वर के निकट होते हैं और दिव्य कर्म ही करते हैं ।
(30) प्रश्न :- किस प्रकार के कर्म करने से मनुष्य योनि प्राप्त होती है ?
उत्तर :- सात्विक और राजसिक कर्मों के मिलेजुले प्रभाव से मानव देह मिलती है , यदि सात्विक कर्म बहुत कम है और राजसिक अधिक तो मानव शरीर तो प्राप्त होगा परन्तु किसी नीच कुल में , यदि सात्विक गुणों का अनुपात बढ़ता जाएगा तो मानव कुल उच्च ही होता जायेगा । जिसने अत्यधिक सात्विक कर्म किए होंगे वो विद्वान मनुष्य के घर ही जन्म लेगा ।
(31) प्रश्न :- किस प्रकार के कर्म करने से आत्मा जीव जन्तुओं के शरीर को प्राप्त होता है ?
उत्तर :- तामसिक और राजसिक कर्मों के फलरूप जानवर शरीर आत्मा को मिलता है । जितना तामसिक कर्म अधिक किए होंगे उतनी ही नीच योनि उस आत्मा को प्राप्त होती चली जाती है । जैसे लड़ाई स्वभाव वाले , माँस खाने वाले को कुत्ता, गीदड़, सिंह, सियार आदि का शरीर मिल सकता है , और घोर तामसिक कर्म किए हुए को साँप, नेवला, बिच्छू, कीड़ा, काकरोच, छिपकली आदि । तो ऐसे ही कर्मों से नीच शरीर मिलते हैं और ये जानवरों के शरीर आत्मा की भोग योनियाँ हैं ।
(32) प्रश्न :- तो क्या हमें यह पता लग सकता है कि हम पिछले जन्म में क्या थे ? या आगे क्या होंगे ?
उत्तर :- नहीं कभी नहीं, सामान्य मनुष्य को यह पता नहीं लग सकता । क्योंकि यह केवल ईश्वर का ही अधिकार है कि हमें हमारे कर्मों के आधार पर शरीर दे । वही सब जानता है ।
(33) प्रश्न :- तो फिर यह किसको पता चल सकता है ?
उत्तर :- केवल एक सिद्ध योगी ही यह जान सकता है , योगाभ्यास से उसकी बुद्धि । अत्यन्त तीव्र हो चुकी होती है कि वह ब्रह्माण्ड एवं प्रकृति के महत्वपूर्ण रहस्य़ अपनी योगज शक्ति से जान सकता है । उस योगी को बाह्य इन्द्रियों से ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं रहती है
वह अन्तः मन और बुद्धि से सब जान लेता है । उसके सामने भूत और भविष्य दोनों सामने आ खड़े होते हैं ।
(34) प्रश्न :- यह बतायें की योगी यह सब कैसे जान लेता है ?
उत्तर :- अभी यह लेख पुनर्जन्म पर है, यहीं से प्रश्न उत्तर का ये क्रम चला देंगे तो लेख का बहुत ही विस्तार हो जायेगा । इसीलिये हम अगले लेख में यह विषय विस्तार से समझायेंगे कि योगी कैसे अपनी विकसित शक्तियों से सब कुछ जान लेता है ? और वे शक्तियाँ कौन सी हैं ? कैसे प्राप्त होती हैं ? इसके लिए अगले लेख की प्रतीक्षा करें ।
(35) प्रश्न :- क्या पुनर्जन्म के कोई प्रमाण हैं ?
उत्तर :- हाँ हैं, जब किसी छोटे बच्चे को देखो तो वह अपनी माता के स्तन से सीधा ही दूध पीने लगता है जो कि उसको बिना सिखाए आ जाता है क्योंकि ये उसका अनुभव पिछले जन्म में दूध पीने का रहा है, वर्ना बिना किसी कारण के ऐसा हो नहीं सकता । दूसरा यह कि कभी आप उसको कमरे में अकेला लेटा दो तो वो कभी कभी हँसता भी है , ये सब पुराने शरीर की बातों को याद करके वो हँसता है पर जैसे जैसे वो बड़ा होने लगता है तो धीरे धीरे सब भूल जाता है ।
(36) प्रश्न :- क्या इस पुनर्जन्म को सिद्ध करने के लिए कोई उदाहरण हैं ?
उत्तर :- हाँ, जैसे अनेकों समाचार पत्रों में, या TV में भी आप सुनते हैं कि एक छोटा सा बालक अपने पिछले जन्म की घटनाओं को याद रखे हुए है, और सारी बातें बताता है जहाँ जिस गाँव में वो पैदा हुआ, जहाँ उसका घर था, जहाँ पर वो मरा था । और इस जन्म में वह अपने उस गाँव में कभी गया तक नहीं था लेकिन फिर भी अपने उस गाँव की सारी बातें याद रखे हुए है , किसी ने उसको कुछ बताया नहीं, सिखाया नहीं, दूर दूर तक उसका उस गाँव से इस जन्म में कोई नाता नहीं है । फिर भी उसकी गुप्त बुद्धि जो कि सूक्ष्म शरीर का भाग है वह घटनाएँ संजोए हुए है जाग्रत हो गई और बालक पुराने जन्म की बातें बताने लग पड़ा ।
(37) प्रश्न :- लेकिन ये सब मनघड़ंत बातें हैं, हम विज्ञान के युग में इसको नहीं मान सकते क्योंकि वैज्ञानिक रूप से ये बातें बेकार सिद्ध होती हैं, क्या कोई तार्किक और वैज्ञानिक आधार है इन बातों को सिद्ध करने का ?
उत्तर :- आपको किसने कहा कि हम विज्ञान के विरुद्ध इस पुनर्जन्म के सिद्धान्त का दावा करेंगे । ये वैज्ञानिक रूप से सत्य है , और आपको ये हम अभी सिद्ध करके दिखाते हैं ।
(38) प्रश्न :- तो सिद्ध कीजीए ?
उत्तर :- जैसा कि आपको पहले बताया गया है कि मृत्यु केवल स्थूल शरीर की होती है, पर सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ वैसे ही आगे चलता है , तो हर जन्म के कर्मों के संस्कार उस बुद्धि में समाहित होते रहते हैं । और कभी किसी जन्म में वो कर्म अपनी वैसी ही परिस्थिती पाने के बाद जाग्रत हो जाते हैं ।
इसे उदहारण से समझें :- एक बार एक छोटा सा ६ वर्ष का बालक था, यह घटना हरियाणा के सिरसा के एक गाँव की है । जिसमें उसके माता पिता उसे एक स्कूल में घुमाने लेकर गये जिसमें उसका दाखिला करवाना था और वो बच्चा केवल हरियाणवी या हिन्दी भाषा ही जानता था कोई तीसरी भाषा वो समझ तक नहीं सकता था । लेकिन हुआ कुछ यूँ था कि उसे स्कूल की Chemistry Lab में ले जाया गया और वहाँ जाते ही उस बच्चे का मूँह लाल हो गया !! चेहरे के हावभाव बदल गये !! और उसने एकदम फर्राटेदार French भाषा बोलनी शुरू कर दी !! उसके माता पिता बहुत डर गये और घबरा गये , तुरंत ही बच्चे को अस्पताल ले जाया गया । जहाँ पर उसकी बातें सुनकर डाकटर ने एक दुभाषिये का प्रबन्ध किया । जो कि French और हिन्दी जानता था , तो उस दुभाषिए ने सारा वृतान्त उस बालक से पूछा तो उस बालक ने बताया कि " मेरा नाम Simon Glaskey है और मैं French Chemist हूँ । मेरी मौत मेरी प्रयोगशाला में एक हादसे के कारण ( Lab. ) में हुई थी । "
तो यहाँ देखने की बात यह है कि इस जन्म में उसे पुरानी घटना के अनुकूल मिलती जुलती परिस्थिति से अपना वह सब याद आया जो कि उसकी गुप्त बुद्धि में दबा हुआ था । यानि की वही पुराने जन्म में उसके साथ जो प्रयोगशाला में हुआ, वैसी ही प्रयोगशाला उस दूसरे जन्म में देखने पर उसे सब याद आया । तो ऐसे ही बहुत सी उदहारणों से आप पुनर्जन्म को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध कर सकते हो ।
(39) प्रश्न :- तो ये घटनाएँ भारत में ही क्यों होती हैं ? पूरा विश्व इसको मान्यता क्यों नहीं देता ?
उत्तर :- ये घटनायें पूरे विश्व भर में होती रहती हैं और विश्व इसको मान्यता इसलिए नहीं देता क्योंकि उनको वेदानुसार यौगिक दृष्टि से शरीर का कुछ भी ज्ञान नहीं है । वे केवल माँस और हड्डियों के समूह को ही शरीर समझते हैं , और उनके लिए आत्मा नाम की कोई वस्तु नहीं है । तो ऐसे में उनको न जीवन का ज्ञान है, न मृत्यु का ज्ञान है, न आत्मा का ज्ञान है, न कर्मों का ज्ञान है, न ईश्वरीय व्यवस्था का ज्ञान है । और अगर कोई पुनर्जन्म की कोई घटना उनके सामने आती भी है तो वो इसे मानसिक रोग जानकर उसको Multiple Personality Syndrome का नाम देकर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं और उसके कथनानुसार जाँच नहीं करवाते हैं ।
(40) प्रश्न :- क्या पुनर्जन्म केवल पृथिवी पर ही होता है या किसी और ग्रह पर भी ?
उत्तर :- ये पुनर्जन्म पूरे ब्रह्माण्ड में यत्र तत्र होता है, किसने असंख्य सौरमण्डल हैं, कितनी ही पृथीवियाँ हैं । तो एक पृथीवी के जीव मरकर ब्रह्माण्ड में किसी दूसरी पृथीवी के उपर किसी न किसी शरीर में भी जन्म ले सकते हैं । ये ईश्वरीय व्यवस्था के अधीन है ।
(41) प्रश्न :- परन्तु यह बड़ा ही अजीब लगता है कि मान लो कोई हाथी मरकर मच्छर बनता है तो इतने बड़े हाथी की आत्मा मच्छर के शरीर में कैसे घुसेगी ?
उत्तर :- यही तो भ्रम है आपका कि आत्मा जो है वो पूरे शरीर में नहीं फैली होती । वो तो हृदय के पास छोटे अणुरूप में होती है । सब जीवों की आत्मा एक सी है । चाहे वो व्हेल मछली हो, चाहे वो एक कीड़ी हो ।
{ नोट :- यह पुनर्जन्म पर संक्षिप्त लेख था, इसको विस्तार से जानने के लिए वेद, दर्शन, उपनिषद, सत्यार्थ प्रकाश आदिग्रन्थों का विचारपूर्वक स्वाध्याय करें ।