Thursday 6 August 2015


"तसलीमा नसरीन" ने मुस्लमान औरतों की दयनीय स्थिति पर एक पुस्तक लिखी थी । उस पुस्तक का नाम था---- "औरत के हक में"। इस पुस्तक को पढकर मुसलमान पुरुषों की गई और उन्होंने इस पुस्तक को प्रतिबन्धित कराने के प्रयास किये । लेकिन यह पुस्तक आज बाजार में आसानी से मिल जाती है । इस पुस्तक में दी गई घटनायें पूरी तरह से सत्य हैं और इन सत्य-घटनाओं को पढकर मुस्लिम औरतों की दुर्दशा का अन्दाजा लगाया जा सकता है ।

उत्तर भारत के प्रख्यात पत्रकार मुजफ्‌फर हुसैन ने लिखा है तलाक तलाक तलाक के नाम से एक फिल्म हिन्दी भाषा में तैयार हो रही थी हमारे मियांओं ने फिल्म के शीर्षक को लेकर आपत्ति प्रकट की और फिल्म का नाम बदलकर निकाह कर दिया गया । अब आपको बताते है कि फिल्म का नाम बदलने के लिए कौन से कारण बताए गए । मियांओं ने यह कहा कि मानों जब मियांजी फिल्म देख कर घर लौटे और बीवी ने पूछ लिया कि कौन सी फिल्म देख कर आए हो । जवाब में मियां जी ने कहा तलाक तलाक तलाक । तो तीन शब्दों में बीवी का जीवन हलाक हो जाएगा । 
अजीव तमाशा है फिल्म का नाम भी बताने पर मुस्लिम महिला कष्टमय जीवन बिताने पर मजबूर हो जाएगी ।

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