Friday 14 August 2015




मां भारती के सपूत "अजीत डोभाल" के रोचक-रोमांचक किस्से....
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1. एक ऐसा भारतीय, जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई में आतंकी हमले के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ भी नहीं
करता....
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2. एक ऐसा जासूस, जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल तक मुसलमान बनकर अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा हो....
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3. वे भारत के ऐसे एक मात्र नागरिक हैं, जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है.....
यहां हम बात कर रहे हैं केरल कैडर के 1968 बैच के आईपीएस अजीत डाभोल की. जो 1972 में भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी से जुड़े...
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मूलत: उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल से आने वाले अजीत डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है और आगरा विश्व विधालय से अर्थशास्त्र में एमएम भी किया है....
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अजित डोभाल से क्यों डरता है पाकिस्तान??....

डाभोल कई ऐसे खतरनाकसकारनामों को अंजाम दे चुके हैं, जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगते हैं.....
वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर आसीन अजीत डाभोल से बड़े-बड़े मंत्री भी सहमे रहते हैं...
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भारतीय सेना द्वारा म्यनमार में सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए डाभोल ने भारत के शत्रुओं को सीधा और साफ संदेश दे दिया है कि अब भारत आक्रामक-रक्षात्मक रवैया अख्तियार कर चुका है....
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1. भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका.....
इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी....
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2. जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आई सी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था. तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था....
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3. कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी।उन्होंने उग्रवादियों को ही शांति रक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था.......
उन्होंने एक प्रमुख भारत- विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था....
4. अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी. लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ
शांति विराम का विकल्प अपना पड़ा था...
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5. डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए
रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई
थी....
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6. डाभोल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक
की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया....
भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससी एन खाप्लांग गुट के बागियों के सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए हैं....
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7. डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का लीड किया......
धन्य है भारत माता का यह सपूत.......

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