Wednesday 30 December 2015

स्त्री_क्या_है
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया । आज छठा दिन था और स्त्री की रचना पुरी अभी अधुरी थी
इसिलए देवदुत ने पुछा भगवन आप इस में इतना समय क्यों ले रहे हो...
भगवान ने जवाब दिया क्या तुने इसके सारे गुनधर्म (specifications) देखे है, जो इसकी रचना के लिए जरूरीः है।
यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है
यह एकसाथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है ।
यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टुटे हुये दिल के घाव भी भर सकती है ।
यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है
इस में सबसे बड़ा गुनधर्म यह है की बीमार होने पर अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।
देवदुत चकीत रह गया और आश्चर्य पुछा भगवान क्या यह सब दो हाथों से कर पाना संभव है ।
भगवान ने कहा यह स्टांडर्ड रचना है
(यह गुनधर्म सभी में है )
देवदुत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा
भगवान यह तो बहुत सोफ्ट है ।
भगवान ने कहा हाँ यह बहुत ही सोफ्ट है मगर इसे बहुत strong बनाया है । इसमें हर परिस्थितियों का संभाल ने की ताकत है
देवदुत ने पुछा क्या यह सोच भी सकती है
भगवान ने कहा यह सोच भी सकती है और मजबूत हो कर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदुत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला
भगवान ये तो गीले है। लगता है इसमें से लिकेज हो रहा है।
भगवान बोले यह लिकेज नहीं है। यह इसके आँसू है।
देवदुत: आँसू किस लिए
भगवान बोले : यह भी ईसकी ताकत है । आँसू इसको फरीयाद करने एवं प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दुर करने का तरीका है ।
देवदुत: भगवान आपकी रचना अदभुत है । आपने सबकुछ सोच कर बनाया है
आप महान है
भगवान बोले यह स्त्री रूपी रचना अदभुत है । यही हर पुरुष की ताकत है जो उसे प्रोत्साहित करती है। वह सभी को खुश देखकर खुश रहतीँ है। हर परिस्थिति में हंसती रहती है । उसे जो चाहिए वह लड़ कर भी ले सकती है।
उसके प्यार में कोइ शर्त नहीं है
(Her love is unconditional)
उसका दिल टूट जाता है जब अपने ही उसे धोखा दे देते है । मगर हर परिस्थितियों से समझौंता करना भी जानती है।
देवदुत: भगवान आपकी रचना संपूर्ण है।
भगवान बोले ना अभी इसमें एक त्रुटि है
" यह अपना महत्वत्ता भुल जाती है " (" She often forgets what she is worth".)
सभी आदरणीय स्त्रीओँ को समर्पित।

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