Monday 28 December 2015

Prem Bansal से Hindi Shero Shayari & Jokes
नोनी (मोरिंडा सिट्रोफोलिया) किसी बीमारी का इलाज़ तो नहीं लेकिन इसके सेवन से कोई भी बीमारी नही बच सकती,
 चाहे वो एड्स हो या कैंसर।
नोनी फल आम लोगों के लिए जितना गुमनाम है, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद।
नोनी के रूप में वैज्ञानिकों को एक ऐसी संजीवनी हाथ लगी है।
मधुमेह, अस्थमा, गठिया, दिल की बीमारी, स्त्रियों की बीमारिया, नपुंसकता एवम् बांझपन सहित कई बीमारियों के इलाज में रामबाण साबित हो रहा है।
पान-मसाला, गुटखा, तंबाकू की जिसे आदत है वे अगर नोनी खायेंगे या उसका जूस पिएंगे तो उनकी यह आदतें छूट जाएँगी और केन्सर भी नही होगा।
ताजा शोध के मुताबिक नोनी फल कैंसर व लाइलाज एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों में भी कारगर साबित हो रहा है।
भारत में वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन सहित कई शोध संस्थान शोध कर रहे हैं।
नोनी के इन रहस्यमयी गुणों का खुलासा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में एक सेमिनार में हुआ।
कृषि वैज्ञानिक नोनी को मानव स्वास्थ्य के लिए प्रकृति की अनमोल देन बता रहे हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार समुद्र तटीय इलाकों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, अंडमान निकोबार, मध्यप्रदेश सहित नौ राज्यों में 653 एकड़ में इसकी खेती हो रही है।
कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व चेयरमैन व वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति सिंह ने कहा कि इस फल में दस तरह के विटामिन, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, फोलिक एसिड सहित 160+ पोषक तत्व हैं।
इतने पोषक तत्वों की मौजूदगी के चलते उच्च रक्तचाप, हृदय, मधुमेह, गठिया, सर्दी जुकाम सहित अनेक बीमारियों में औषधि के रूप में काम आता है।
उन्होंने कहा कि यह एंटी ऑक्सिडेंट है। यदि शुरू से इसका सेवन किया जाए तो कैंसर नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि फाउंडेशन कैंसर व एड्स पर नोनी के प्रभाव का शोध कर रहा है।
इंदौर में करीब 25 एड्स मरीजों को नियमित नोनी का जूस देने पर वे अब तक ठीक हैं।
इसके अलावा मुंबई, बेंगलुर, हैदराबाद, चेन्नई सहित कई मेट्रो शहरों में दर्जनों कैंसर पीडितों को यह दिया जा रहा है।
जिन्हें अस्पतालों ने डिस्चार्ज कर दिया था। यह देखा जा रहा है कि जिन मरीजों को नोनी दिया जा रहा है, उनकी उम्र बढ़ गई है। हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि नोनी के सेवन से कैंसर व एड्स पूरी तरह ठीक ही हो जाएगा, शोध जारी है।
दूसरे देशों में भी इस पर शोध चल रहे हैं। नोनी की उपयोगिता को ध्यान रखकर ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में दो साल से नोनी को शामिल कर लिया है।
नोनी हमारी सांकृतिक धरोहर है इसका लाभ उठायें।
( प्रेम बंसल )

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