Monday 28 December 2015

Puneet Shukla

अद्वैत परम्परा के मठों के मुखिया के लिये प्रयोग की जाने वाली उपाधि है "शंकराचार्य"। शंकराचार्य हिन्दू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है, जो कि बौद्ध धर्म में दलाईलामा एवं ईसाई धर्म में पोप के समकक्ष है। लेकिन आजकल बहुत नकली शंकराचार्य घूम रहे हैं सड़कों पर। करीब 65 शंकराचार्य आपको TV -अख़बारों में दिखेंगे , पर इनमे सिर्फ 5 ही असली हैं, बांकी सभी नकली-ठग स्वयम्भू "शंकराचार्य" हैं।
"दिल्ली पीठ" का कोई इतिहास ही नहीं है, जहाँ के दयानंद नाम के व्यक्ति ने खुद को शंकराचार्य घोषित किया, उन्हें आपने Peace Tv वाले डॉ जोकर नाईक के साथ धर्म की दलाली करते हुए अक्सर देखा होगा। 
अगर नहीं देखा आपने तो इनकी हरकतें यहाँ देखिये :-https://www.youtube.com/watch?v=X8zasuy9FBA
उतराखंड के मित्र ने बताया करीब 14-15 साल पहले एक आदमी को हरिद्वार में सायकिल चोरी में पकड़कर पब्लिक ने पिटा था -- वो बाद में खुद को शंकराचार्य बताने लगा। जब मैंने उसे जोकर नाईक साथ बैठ धर्म की दलाली करते देखा तो दंग रह गया। अब वो श्रीमान तो नहीं रहे पर उनके पुत्र शंकराचार्य" बने घूम रहे हैं।
शंकराचार्य कोई नेतागिरी या बिजनेस हॉउस नहीं जहाँ बाप की पदवी बेटे को मिले --- समस्त धर्म ग्रंथों के ज्ञान के आधार पर परीक्षा में पास हुए साधक को शंकराचार्य बनाया जाता है। पर नकली ठगों ने "जमात" और "मिशिनरी" से पैसे खाकर स्यंभू शंकराचार्य बने बैठे हैं।

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