Thursday 5 July 2018

मिशनरीज ऑफ चैरिटी के कर्मचारी और ननें कुँवारी लड़कियों का प्रसव कराने और उनके बच्चों को बेचने के मामले में गिरफ्तार: "मदर टेरेसा के शुरू किए हुए गोरखधंधों की पोल खुलने लगी है अब
इसी संस्था के फर्जी काम के बलपर टेरेसा नोबल ओर वेटिकन अवार्ड दिया गया है...
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रांची: बाल तस्करी के आरोप पर पुलिस ने चैरिटी के दो नन को गिरफ्तार किया #झारखंड-ANI
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Ganga Mahto
मदर टेरेसा! .. एक घटना.. एक ईसाई दंपति जब मदर टेरेसा के द्वारा संचालित अनाथालय से बच्चा गोद लेने आता है तो अनाथालय से अचानक बच्चे गायब हो जाते हैं। क्यों भाई ?
जबकि दंपति बच्चे का सेलेक्शन तक कर रखे होते हैं। जब दम्पति आते हैं और फॉर्म भरने की फॉर्मेलिटी की जा रही होती है तो वे अपने ईसाई मत में 'प्रोटेस्टेंट' लिख देते हैं। बस फिर क्या था बच्चे का अकाल हो गया अनाथालय में। चूँकि मदर टेरेसा 'कैथोलिक' थी और इनका पूरा फाउंडेशन ही कैथोलिक चर्च से संचालित होता था तो किसी प्रोटेस्टेंट मत वाले को बच्चा कहाँ से मिलेगा भाई ? तो कैथोलिक वालों ने एक प्रोटेस्टेंट दंपति को बच्चा नहीं दिया क्योंकि वो कैथोलिक से भिन्न था।
फिर भी करुणामयी,संत और भी पता नहीं क्या क्या थी टेरेसा जी। उन्हें बारंबार नमन रहेगा। नोबेल पुरस्कार विजेता थी इसलिए सम्मान करना चाहिए।
उन्हीं टेरेसा जी के फाउंडेशन,ट्रस्ट का देश के हर हिस्से में प्रसार हुआ। इस क्रम में राँची में भी खुला। मिशनरी ऑफ चैरिटी 'निर्मल हृदय' खुला राँची में।
अनाथ बच्चों का लालन पालन और विकास को ले कर काम। अब काम किस प्रकार होता ये पता नहीं।
चाइल्ड ट्रैफिकिंग के लिए ट्राइबल बेल्ट सबसे बदनाम है। झारखंड से तो हजारों बच्चे इसका शिकार बनते हैं प्रत्येक वर्ष। खूंटी में जो अभी कांड हुआ है,इससे ही संबंधित है।
और इन मामलों में चर्चों की भी कितनी भूमिका है वो नीचे FIR की कॉपी में देख सकते हैं।
जरा गौर करने लायक बात देखिये।
करिश्मा टोप्पो! एक अविवाहित माँ! दूसरा ये मिशनरी ऑफ चैरिटी के संरक्षण में निवास करती है।
एक तो अविवाहित, दूजा मिशनरी के संरक्षण में निवास करना, तीसरा मां भी बन जाना ,चौथा इनके बच्चे को बेच भी देना।
जरा चैन और कड़ी मिलाइए तो।
हम अंतिम कड़ी की बात करते हैं.. बच्चे का बाप कौन ???
और इस संस्था में 14 और महिला/लड़की प्रेग्नेंट पाई गई हैं।
मने कि धंधा बड़ा जबर चल रहा था/है।
अब तो माजरा जरा क्लियर हो गया होगा न।
पहले तो उनकी संस्था ईसाई में ही केवल प्रोटेस्टेंट होने के चलते बच्चे गोद में नहीं देते थे लेकिन आज एक हिन्दू को भी बच्चे गोद दे रहे हैं या बेच रहे हैं!!!!! तो भला क्यों ? क्योंकि लाखों में पैसे जो मिलते हैं न।। कारण तो सिर्फ यही है। चाइल्ड ट्रैफिकिंग का इलीगल कारोबार कितने में होता है सभी जानते हैं।
फिर भी हलेलुइया वालों ने बहुत भला कियेला है अपना। इसलिए सब हाथ उठा के बोलिये..
जे हलेलुइया
जे हलेलुइया।।
संघी गंगवा
खोपोली से।

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