इसाई मूल की सोनिया
खुल्लम-खुला हिन्दू विरोध का खेल रहीं थीं खेल?
इशरत जहां के बाद अब समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में भी घिरी कांग्रेस, केंद्र में अपने 10 साल के शासन में दुनिया की सबसे भ्रष्ट सरकार चलाने वाली सरकार की मुखिया सोनिया के दिमाग की उपज भगवा आंतकवाद, यह केवल पी. चिदंबरम के स्तर का खेल नहींअहम गवाह ने खोला राज, मजिस्ट्रेट के सामने बयान में कहा, स्वामी असीमानंद और अन्य दूसरों को फंसाने को एनआईए ने उस पर बनाया था दबावमोदी से लेकर भगवा आतंकवाद फैलाने का यह खेल केवल पी. चिदंबरम के बस की बात नहीं
नई दिल्ली/रिपोर्ट4इंडिया। आज यह सवाल खड़ा हुआ है कि देश में विदेशी मूल के व्यक्ति को प्रधानमंत्री नहीं बनने के मुद्दे पर इस पद से अलग हुईं जन्म से ईसाईत को मानने वाली सोनिया गांधी के राज में क्या हिन्दू विरोध के लिए बड़े स्तर सोची-समझी रणनीति के तहत काम किया गया? मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद बैठाकर दुनिया की सबसे भ्रष्टतम सरकार चलाने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राज में हुए एक-एक खुलासे ईशारा कर रहे हैं कि हिन्दूस्तान में संगठित रूप से हिन्दू विरोध के रूप में काम किया जा रहा था। ईशरत जहां मामले में करीब-करीब यह खुलासा हो गया है कि कांग्रेस के शासन काल में एक आंतकी को निर्दोष साबित कर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए शपथ पत्र तक बदल दिए गए। अब नया खुलासा यह बताने के लिए काफी है कि किस प्रकार से कांग्रेस ने सरकार की शक्ति और अधिकार का दुरूपयोग कर मुसलिम आंतकवाद के समक्ष ‘हिन्दू आंतकवाद’ साबित करने का प्रयास किया।
समझौता ब्लास्ट मामले में अहम गवाह ने अपने बयान से कांग्रेस की चूलें हिलाकर रख दी है। समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में गवाह यशपाल भड़ाना ने मजिस्टेट के समक्ष बयान देते हुए यह सनसनीखेज खुलासा किया है कि इस मामले में स्वामी असीमानंद और अन्य दूसरों को फंसाने के लिए एनआईए ने उनपर दबाव बनाया था।
भडाना के नए हलफनामे के बाद अब कांग्रेस और यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे पी. चिदंबरम सीधे-सीधे कठघरे में खडे होते हैं। हालांकि, कोई भी यह मामने को तैयार नहीं होगा कि ईशरत और समझौता मामले में बगैर सोनिया के सलाह के पी. चिदंबरम काम कर रहे थे।
सीधे-सीधे कांग्रेस ने गवाहों के बयान को बदलवाकर समझौता ब्लास्ट मामले को आधार बनाकर भगवा आतंकवाद की थ्योरी प्रचारित करने की कोशिश की है। इस मामले में कांग्रेस की कलई सीधे-सीधे खुलती नज़र आ रही है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या असीमानंद और अन्य दूसरों को फंसाकर कांग्रेस अपनी ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी को साबित करने में जुटी हुई थी। लेकिन नए बयान से ‘भगवा आतंकवाद’ को लेकर सोनिया गांधी की कलई खुल गई है। सवाल यह उठने लगा है कि जन्म से ईसाई मूल की सोनिया गांधी क्या ईसाई मिशनरियों की तरह हिन्दुत्व से विरोध करती हैं। आखिर कोई विशुद्ध रूप से भारतीय मात्र राजनीति के लिए इतना नीचे गिर सकता है कि वह हिन्दू समाज को आंतक के रूप में प्रसारित करने का प्रयास करे। इस खुलासे से मूल रूप से कांग्रेस की हिन्दू विरोध की मुहिम को झटका लगा है।
आगे, इस मामले में एनआईए और यूपीए को कठघरे में खडा करने वाले यशपाल भड़ाना अभिनव भारत का सदस्य है और उसने अपना बयान मजिस्टेट के समक्ष भारतीय दंड संहिता की धारा 164 के तहत 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में दर्ज कराया है। मालेगांव ब्लास्ट मामला की जांच भी एनआईए कर रही है।
उल्लेखनीय है कि मजिस्टेट के समक्ष दिया गया यह बयान कोर्ट स्वीकार्य होता है जो कि पुलिस के समक्ष दिए गए बयान से भिन्न माना जाता है। माना जा रहा है कि भड़ाना के बयान से कई केसों में जांच की दिशा और दशा बदल सकती है। खासकर, 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में जिसमें कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर गिरफ्तार हैं।
सूत्रों के अनुसार, भड़ाना ने न केवल अपना बयान इस तरह से दिया है बल्कि यह भी कहा है कि अप्रैल 2008 में भोपाल में हुई उस बैठक में वह मौजूद ही नहीं था, जिसमें कथित तौर पर असीमानंद ने ‘बम का बदले बम थ्योरी’ दी थी। भड़ाना ने यह भी कहा है कि एनआईए ने बम का बदले बम थ्योरी पर हामी भरने को लेकर उस पर दबाव बनाया था।
भड़ाना के इस बयान के बाद बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि अब एनआईए के पास कोई सबूत नहीं है। साथ ही, कहा कि असीमानंद को फंसाने की साजिश थी। अब इस मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष व पी. चिदंबरम पूरे देश व हिन्दू समाज के सामने माफी मांगे और वे समझे कि हिन्दूत्व इतना सहिष्णु है कि वह बिना किसी शर्त के उन्हें माफ कर देगा।
इससे पहले एनआईए ने असीमानंद के बयान का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि 2008 के मालेगांव, 2007 के समझौता एक्सप्रेस, अजमेर विस्फोटों, मक्का मस्जिद विस्फोटोंसभी विस्फोटों में ‘हिंदू कट्टरवादी संगठन’ शामिल थे।
बाद में असीमानंद अपने दिए बयान से पलट गए थे जिसके बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। आरएसएस से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम के प्रमुख असीमानंद को सीबीआई ने नवंबर 2010 में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने समझौता विस्फोट मामले में दायर याचिका में उनका नाम शामिल किया था। समझौता विस्फोट मामले की सुनवाई अभी पंचकूला कोर्ट में चल रही है। इस मामले में 19 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं।
भड़ाना के बयान से असीमानंद को क्लीन चिट मिलने का रास्ता बनता नजर आ रहा है। कम से कम मालेगांव ब्लास्ट और समझौता ब्लास्ट मामलों में इन सभी आरोपियों की जमानत का मार्ग तो जरूर खुल सकता है। इससे संकेत तो मिलने लगे हैं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस नेतत्व की मुसीबत बढ़ने जा रही है।
खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सवालों के घेरे में हैं। उन्हें हर सवाल का जवाब देना होगा। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या यह सच नहीं है कि एनआईए कांग्रेस आलकमान और यूपीए नेतत्व के इशारे पर भड़ाना जैसे गवाह पर दबाव बना रही थी कि ताकि स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को फंसाया जा सके।
‘भगवा आतंकवाद’ की परिभाषा को प्रचारित करने में जुटी रही कांग्रेस कहीं न कहीं इस मामले में कमजोर नजर आ रही है। कांग्रेस के प्रवक्ताओं के जवाब ठोस तरीके से इस पर नहीं आ पा रहे हैं।
पूरे मामले के कोर्ट में होने की बात कह कांग्रेसी नेता इससे पल्ला झाड़कर यही संकेत दे रहे हैं कि उनकी पार्टी की मंशा इस मामले में उजागर हो गई है। कांग्रेस की इस हरकत के चलते ही आज पाकिस्तान समझौता ब्लास्ट मामले में हिन्दू आतंकवाद की बात कहता है। कांग्रेस की इस हरकत के चलते पूरी दुनिया में हिन्दू कौम को बदनाम किया गया। यह सीधे-सीधे देशद्रोह का मामला है और सरकार इस मामले को गहराई में जाकर जांच करे।
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