Thursday, 21 April 2016

उन दिनों को याद करें जब कांग्रेस ने चौतरफा हिंदुओं को बदनाम करने की मुहिम चलाई थी हिंदू की वैश्विक बदनामी का वह मिशन था जिसमें दिग्विजय सिंह से लेकर राहुल गांधी तक ने प्रचार किया था कि भारत में ‘भगवा आतंकवाद’ भी है।
साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित, अभिनव भारत और उसकी मालेगांव साजिश का हुआ होहल्ला भी याद करें ! मतलब ‘हिंदू आतंकवाद’ की प्रायोजित कालिख उसे याद कर इशरत जहां मामले के ताजा खुलासे के साथ सोचें तो लगेगा कि कांग्रेस, मनमोहन सिंह, चिदंबरम एंड पार्टी ने ही तो हिंदुओं को बदनाम करने के लिए इन चेहरों को झूठ मूठ में फंसा कर ‘हिंदू आतंकवाद’ का हल्ला पैदा करने की साजिश तो नहीं बनाई थी?
यह सवाल ‘द इकोनोमिक टाइम्स’ में कल छपी रिपोर्ट और पिछले 6-8 सालों की जांच, उसके नतीजों की हकीकत पर भी बना है। कल रपट थी कि अभिनव भारत के यशपाल भड़ाना ने मजिस्ट्रेट के आगे बयान दे कर कहा है कि स्वामी असीमानंद को फंसाने के लिए उस पर ‘दबाव’ डाला गया। दबाव के चलते उसने झूठ बोला कि जनवरी 2008 में वह फरीदाबाद की हरी पर्वत बैठक में अप्रैल की भोपाल बैठक में था। इनमें विचार हुआ था कि बम का बदला बम से लेना है।
मतलब इशरत जहां की हकीकत खुल रही है,
हिंदू आतंकवादी असीमानंद को फंसाने वाला गवाह पलट रहा है अगर यह मोदी सरकार का प्रायोजन है, तब पी. चिदंबरम, डा. मनमोहन सिंह, कांग्रेस खुल कर मैदान में क्यों नहीं आते? क्यों नहीं कहते कि इशरत जहां को निर्दोष मानने की उनकी वजह अभी भी कायम है?
इससे अधिक संगीन हकीकत भगवा आतंक का हल्ला कराने की कांग्रेसी साजिश की है। 2008 से ले कर मई 2014 तक चिदंबरम के
गृहमंत्री रहते, डा. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते अदालत के आगे हिंदू आतंकवादियों उर्फ असीमानंद, कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कोई सबूत अदालत में पेश करना तो दूर चार्जशीट तक दायर नहीं की जा सकी। हिंदू आतंकियों के होने की बात मानने वालों
को यह तो बताना चाहिए कि मनमोहन सिंह की ‘हार्ड’ सरकार और उस वक्त की एनआईए क्योंकर प्रमाण, चार्जशीट नहीं पेश कर पाई? इतना बड़ा केस जिससे मनमोहन सरकार ने पूरी दुनिया में हिंदुओं के ‘भगवा आतंकवादी’ चेहरे दिखाए, उसकी वैश्विक बदनामी कराई, उसमें भी यदि अदालत के आगे तथ्य नहीं आए और जो गवाह पेश किए गए वे बदलते गए तो दुनिया में हिंदू को बदनाम करने की सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन, चिदंबरम एंड पार्टी की जिम्मेवारी बनती है या नहीं?
क्या मीडिया को यह भंडाफोड़ नहीं करना चाहिए कि हिंदू को दुनिया में बदनाम करने के लिए सोनिया गांधी व कांग्रेस ने 2006 से 2014 के बीच कैसी साजिश रची हुई थी? हिंदू को बदनाम करने वाला भगवा आतंकवाद कितने झूठों से भरा था?
हां, यह तथ्य अब बनता है कि मनमोहन सरकार ने झूठ को सच, सच को झूठ बनवाने के लिए ‘एनआईए’ एजेंसी बनवाई। एक मोटा तथ्य जानें। 2006 में मालेगांव में बम धमाकों में 31 लोग मारे गए थे। महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते यानी एटीएस ने नौ मुस्लिम आरोपी गिरफ्तार किए। 2006 के अंत में इनके खिलाफ चार्जशीट हुई। बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया। उसने 2010 में इन्हीं आरोपियों के खिलाफ एक और चार्जशीट दाखिल की। मगर 2011 में जांच एनआईए ने अपने हाथ में ली। तभी हल्ला हुआ कि यह करतूत हिंदू कट्टरपंथियों की है।
घटना को दस साल हो गए हैं अदालत के आगे दोनों तरह के वाद हैं। मूल जांच क्या थी, क्या हुई और पहुंची कहां? इसके चपेटे में कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा इतने साल से जेल में हैं तो इसलिए कि उन पर महाराष्ट्र का माफिया रोधी मकोका एक्ट लगा हुआ है उसमें जमानत नहीं हो सकती मनमोहन सरकार, चिदंबरम ने, एनआईए सबने दम लगाया लेकिन भगवा आतंकवाद के साक्ष्य या तो बनावटी निकले हैं या गवाह दबाव वाले पाए गए। सुप्रीम कोर्ट में बताया जा चुका है कि मकोका के तहत चार्जशीट लायक साक्ष्य नहीं मिले हैं।

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