Tuesday, 19 April 2016

असीमानंद को फंसाने के लिए 

दबाव डाला गया था: भड़ाना

नई दिल्ली
‘हिंदू कट्टरवादियों’ से जुड़े मामलों में एक प्रमुख गवाह ने आरोप लगाया है कि समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में उस पर स्वामी असीमानंद सहित अन्य लोगों को फंसाने के लिए ‘दबाव’ डाला गया था।
अभिनव भारत संगठन के सदस्य यशपाल भड़ाना ने 2008 के मालेगांव मामले में एक मैजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत दर्ज कराया है। इस मामले की जांच नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) कर रही है। मैजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया गया बयान कोर्ट में स्वीकार्य होता है।
भड़ाना का बयान एनआईए के कहने पर दर्ज किया गया है और यह कई मामलों की जांच का रुख बदल सकता है। इनमें विशेष तौर पर 2008 में मालेगांव विस्फोटों का मामला भी शामिल है, जिसमें लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भड़ाना ने एनआईए को दिया अपना पुराना बयान बदलने के साथ ही यह भी कहा है कि वह भोपाल की उस मीटिंग में मौजूद नहीं था, जिसमें स्वामी असीमानंद ने ‘बम का बदला बम’ की बात कही थी।
इस बारे में संपर्क करने पर एनआईए के प्रवक्ता ने ईटी से कहा, ‘मामला अदालत में है और इसे लेकर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा।’ 2008 के मालेगांव, 2007 के समझौता एक्सप्रेस, अजमेर विस्फोटों, मक्का मस्जिद विस्फोटों की जांच कर रही एनआईए ने इससे पहले सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत असीमानंद के बयान का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि सभी विस्फोटों में ‘हिंदू कट्टरवादी संगठन’ शामिल थे।
असीमानंद ने बाद में अपना बयान बदल दिया था और उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत भी दे दी थी। आरएसएस से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम के प्रमुख असीमानंद को सीबीआई ने नवंबर 2010 में गिरफ्तार किया था और एनआईए ने समझौता विस्फोट मामले में दायर चार्जशीट में उनका नाम शामिल किया था। समझौता विस्फोट मामले की अभी पंचकूला कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में 19 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं।
हरियाणा के रहने वाले भड़ाना ने इससे पहले एनआईए को बताया था कि वह जनवरी 2008 में फरीदाबाद के हरि पर्वत में हुई मीटिंग में शामिल था, जिसमें कर्नल पुरोहित और स्वामी दयानंद पांडे ने भी हिस्सा लिया था। ये दोनों 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी हैं। भड़ाना ने यह भी कहा था कि मीटिंग में जम्मू और कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की समस्याओं पर भी चर्चा की गई थी।
स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रोहिनी सालिआन की ओर से एनडीए सरकार के उन्हें मालेगांव विस्फोट मामले में ‘नर्म’ रुख अपनाने की बात का खुलासा करने के बाद इन मामलों में एनआईए की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई थी। हालांकि, एनआईए ने इस आरोप से इनकार किया था .
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राहुल त्रिपाठी, navbharttimes
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