Friday 22 April 2016

चिदंबरम की इतनी हैसियत कांग्रेस में नहीं है की वो गांधी परिवार से पूछे बिना आतंकवादी इशरत जहाँ को एक मासूम लड़की घोषित कर सके,, इसके पीछे कोई बहुत बड़ी साजिश हुई थी, जिसकी मुख्य वजह मात्र नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार को बदनाम करना था !
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यूपीए सरकार ने अमित शाह और नरेंद्र मोदी को नाकाम करने की साजिश रची थी, लेकन चिदंबरम अब रंगे हाथों पकड़े गए हैं, उनके हस्ताक्षर के सबूत मिल गए हैं।
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार नरेंद्र मोदी पर हमला करने आए आतंकियों को बचाने की कोशिश कर रही थी। यूपीए सरकार ने जनता को भ्रमित करने की कोशिश की थी।  कि चिदंबरम ने गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठकर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया।  न्यूज चैनल टाइम्स नाउ ने सोमवार को आरटीआई में मिले जवाब के जरिए चिदंबरम के इशरत जहां मामले के एफिडेविट पर साइन करने का खुलासा किया था।
पात्रा ने मीडिया कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह केवल राजनीतिक वैमनस्य का मामला नहीं था, राजनीति में आगे बढ़ने के लिए एक मुख्यमंत्री (गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी) के जीवन को दांव पर लगा दिया। पात्रा ने कहा कि इसी राजनीति के कारण आतंकी को शहादत की ओर बढ़ा दिया। पात्रा ने कहा, ‘चिदंबरम साहब बड़े वकील हैं, उन्होंने पहले कहा कि पहले वाले एफिडेविट में इसलिए साइन नहीं किए, क्योंकि उसमें कई अस्पष्ट बातें थी, दूसरे वाले एफिडेविट में साइन किए थे। बाद में सबूत मिलने पर उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं आ रहा है। चिदंबरम साहब, आप तो बहुत बड़े वकील हैं, आप अपने साइन कैसे भूल सकते हैं? हमारा सवाल है कि पहले और दूसरे एफिडेविट के बीच के इन 45 दिनों में क्या हुआ? चिदंबरम के मन में किसने जहर घोला? देश जानना चाहता है कि वह कौन है, जिसने यह कहानी लिखी?’
संबित ने कहा, ‘आज दो और बड़े खुलासे हुए। इशरत पर 70 पेज की फाइल में 13 अप्रैल 2011 की नोटिंग है। इसमें कहा गया है कि NIA ने इशरत पर और खुलासे किए हैं, इसलिए अब कोर्ट में दाखिल सरकार के पहले और दूसरे एफिडेवट की बातों को एनआईए की खोज से मिलाकर देख लें कि कहीं सरकार का पक्ष गलत तो नहीं जा रहा है। और खुलासे में NIA ने इशरत को सूइसाइड बॉमर बताया था।’ बीजेपी प्रवक्ता ने पूछा, ‘डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ के बाद NIA ने 119 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। FBI ने भारत सरकार को लिखकर कहा था कि आपके देश में इशरत जहां नामक आत्मघाती आतंकी है, जो बमों से मंदिरों को नुकसान पहुंचा सकती है। मनमोहन जी, चिदंबरम जी और सोनिया जी ने इसे क्यों छुपा दिया?’
पात्रा ने कहा कि तत्कालीन सरकार मोदी जी, अमित शाह के लिए इतनी असहिष्णु थी कि इसमें इशरत जहां का नाम मिटाया गया, राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया। आज देश जानना चाहता है कि चिदंबरम को किसने ब्रीफ किया, कांग्रेस में कोई भी 10 जनपथ से आदेश लिए बिना कोई काम नहीं करता है।
पात्रा ने किशोर कुमार के गाने के साथ अपनी बात कही, ‘जो बाग बहार उजाड़े उसे कौन बचाए, जो पानी आग लगाए उसे कौन बुझाए, जो सरकार आतंकियों को पनाह दे उनके लोगों को कौन बचाए..।’ पात्रा ने कहा कि कांग्रेस के नेता लादेन के मारे जाने के ओसामा साहब, अफजल साहब, हाफिज सईद जी कहते थे या उनकी अध्यक्षा बाटला हाउस के बाद तीन दिन तक सो नहीं पाई थीं तो यह केवल जुबान का फिसलना नहीं था, ये फिसलन उनके मन में थी। पात्रा ने कहा, ‘मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि आपने हिंदुस्तान के लोगों के साथ खिलवाड़ किया है, आपके बुरे दिन आ गए हैं।’
इशरत जहाँ मामले में अमित शाह और मोदी को फंसाने के लिए तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने NIA की ना सिर्फ पूरी फाइल दबा दी बल्कि मामले को देख रहे जॉइंट डायरेक्टर लोकनाथ बेहरा को कुर्सी से ही हटा दिया था। इस ईमानदार अफसर को बाद में प्रताड़ित करके केरल वापस भेज दिया गया था।
इंडिया संवाद के पास उपलब्ध दस्तावेज़ बताते हैं कि 26/11 हमले और इशरत जहाँ एनकाउंटर का सच जाने के लिए NIA अफसर 2010 में ISI एजेंट डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ करने शिकागो गए थे। NIA की टीम का नेतृत्व लोकनाथ बेहेरा कर रहे थे। हेडली ने बेहेरा को बताया था कि गुजरात एनकाउंटर में मारी गयी लड़की इशरत जहाँ आतंकवादी थी और लश्कर ऐ तोइबा के मुज़म्मिल मॉड्यूल की सदस्य थी। दिल्ली लौटकर ये रिपोर्ट बेहेरा ने तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम को सौंपी थी। चिदंबरम ने रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया से साझा किये लेकिन इशरत जहाँ के खुलासे पर वो चुप रहे।
शाह और मोदी को फंसाने की कोशिश में शिंदे ने अफसर को लताड़ा।
2013 में जब अमित शाह को घेरने की कोशिश हुई तो IB के एक अफसर भी एनकाउंटर केस में फंसने लगे.भ। सीबीआई IB के इस अफसर को शाह के साथ साथ कथित फ़र्ज़ी एनकाउंटर केस में लपेटना चाहती थी। उस वक़्त मीडिया में पहली बार ये बात सामने आई कि इशरत जहाँ बेक़सूर नही बल्कि आतंकवादी है। इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री शिंदे ने फिर NIA के अफसर बेहेरा से रिपोर्ट मांगी। बेहेरा ने रिपोर्ट में लिखा कि हेडली ने इशरत जहाँ को बेक़सूर नही बल्कि लश्कर ए तैयबा का आतंकवादी बताया था। इस पर शिंदे काफी नाराज़ हुए और उन्होंने पूरी रिपोर्ट दबा दी।
इशरत जहाँ मामले ने जब तूल पकड़ा तो सीबीआई ने NIA अफसर बेहेरा से पूछताछ करने का नोटिस NIA को दिया। लेकिन शिंदे ने सीबीआई को पूछताछ की इज़ाज़त नही दी। दरअसल कांग्रेस हाई कमान अमित शाह के साथ साथ मोदी को भी इस केस में घसीटना चाहता था। इस पूरे मामले में NIA अफसर बेहेरा की गवाही रोड़ा बन रही थी। इसलिए अचानक शिंदे ने लोक नाथ बेहेरा को NIA से हटाकर उन्हें पुलिस रिसर्च ब्यूरो में ट्रांसफर कर दिया। जब शिंदे से पूँछा गया कि ये कदम उन्होंने क्यों उठाया है तो उन्होंने बेहेरा पर मीडिया को खबर लीक करने का आरोप लगा दिया।
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सोनिया की सलाहकार अहमद पटेल का था शिंदे पर दबाव
सूत्रों का कहना है कि शिंदे की इस कार्रवाई के पीछे सोनिया गांधी के राजनितिक सलाहकार अहमद पटेल का हाथ था। पटेल चाहते थे हेडली कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न किया जाए। ये रिपोर्ट अगर तब सार्वजनिक हुई होती तो शाह पर मुकद्दमा तभी खारिज हो गया होता और मोदी को फंसाने कड़ी साज़िश भी खत्म हो जाती। फिलहाल दो साल बाद वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में अब हेडली ने खुद कबूल कर लिया है कि इशरत जहाँ आतंकवादी थी और उसके लश्कर के सरगनाओं से संबंंध थे।
आगे भी कांग्रेस की आतंकवादी घटनाओं पर खुलासा जारी रहेगा।😊








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