पिछले एक वर्ष में कोयला खदान आवंटन की नीति में परिवर्तन तथा कार्यशैली में बदलाव के कारण भारत को विदेशों से तीन करोड़ टन कोयला नहीं मँगाना पड़ा, इसके बावजूद बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है... इस प्रकार मोदी सरकार ने अभी तक 28,000 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा बचा ली है... यह लक्ष्य 40,000 करोड़ तक ले जाने का है.
मोदी सरकार ने इसका श्रेय सम्बन्धित राज्य सरकारों को भी दिया है और कहा है कि उनकी मदद के बिना यह संभव नहीं था... क्योंकि भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण संबंधी औपचारिकताओं के लिए राज्य-केन्द्र मिलकर काम करते हैं, तथा रेलवे सिर्फ केन्द्र के अंतर्गत कार्य करता है... कुल मिलाकर बात यह है कि Piyush Goyal उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं, और देश को कोयला एवं बिजली के क्षेत्र में अगले पाँच वर्ष में पूर्णरूप से आत्मनिर्भर बना देंगे.
ये बात और है कि "पन्द्रह लाख दो, पन्द्रह लाख दो... टाईप भिखारी" और "प्लेन में घूम-घूमकर आज़ादी माँगने वाले छिछोरे" सिर्फ फूहड़ हरकतें करते रहेंगे...
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