चौथी क्लास में तीन बार फेल ने वो कर दिखाया
रायपुर. दुर्ग के सिरसा के किसान अशोक चंद्राकर चौथी क्लास में तीन बार फेल हो गए, तो 12 साल की उम्र में सब्जी बेचनी शुरू की। वे गली-गली घूमकर सब्जी बेचा करते थे। आज उनके पास 100 एकड़ जमीन है और रेंट के खेतों को मिलाकर कुल 900 एकड़ में खेती करते हैं। उन्होंने करीब 700 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दिया है।
आज अशोक सालाना 10 करोड़ की सब्जियां देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई करते हैं। 1973 में जन्मे अशोक का पढ़ाई में मन लगा नहीं, इसलिए उन्होंने काम में मन लगाया। उनके माता-पिता गांव के ही एक घर में काम किया करते थे। अशोक ने 14 साल की उम्र में नानी से एक खेत बटाई पर लेकर सब्जी उगानी शुरू की। इसे वे खुद घूम-घूमकर चरोदा, सुपेला भिलाई, चंदखुरी की गलियों में बेचते। इसी पैसे से पहले तीन, फिर चार, पांच आगे चलकर दस एकड़ खेत रेघा में ले लिया। उनका कारोबार बढ़ने लगा। अशोक के पास आज सौ एकड़ की मालिकाना जमीन सिरसा, तर्रा सहित कई जगहों पर है। इसके अलावा नगपुरा, सुरगी, मतवारी, देवादा, जंजगीरी, सिरसा जैसे गांवों में बटाई की जमीन है, जिस पर सब्जियां उगाई जा रही हैं। इसमें नगपुरा में सबसे अधिक दो सौ एकड़ पर टमाटर लगा है। आज उनके पास 25 से ज्यादा ट्रैक्टर व दूसरी गाड़ियां हैं। आधुनिक मशीनें हैं, जो दवा छिड़काव से लेकर सब्जियों को काटने का काम करती हैं। अशोक के मुताबिक आजकल लोग शार्टकट के चक्कर में रहते हैं, अगर आप किसी प्लान पर लगातार चलते हैं और इंतजार करते हैं, तो आपको रिजल्ट जरूर मिलेंगे। मेहनत का कोई ऑप्शन हो ही नहीं सकता। कल तक मैं दो-दो हजार के लिए तरसता था और आज 15-15 हजार रुपए वेतन दे रहा हूं।
आज अशोक सालाना 10 करोड़ की सब्जियां देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई करते हैं। 1973 में जन्मे अशोक का पढ़ाई में मन लगा नहीं, इसलिए उन्होंने काम में मन लगाया। उनके माता-पिता गांव के ही एक घर में काम किया करते थे। अशोक ने 14 साल की उम्र में नानी से एक खेत बटाई पर लेकर सब्जी उगानी शुरू की। इसे वे खुद घूम-घूमकर चरोदा, सुपेला भिलाई, चंदखुरी की गलियों में बेचते। इसी पैसे से पहले तीन, फिर चार, पांच आगे चलकर दस एकड़ खेत रेघा में ले लिया। उनका कारोबार बढ़ने लगा। अशोक के पास आज सौ एकड़ की मालिकाना जमीन सिरसा, तर्रा सहित कई जगहों पर है। इसके अलावा नगपुरा, सुरगी, मतवारी, देवादा, जंजगीरी, सिरसा जैसे गांवों में बटाई की जमीन है, जिस पर सब्जियां उगाई जा रही हैं। इसमें नगपुरा में सबसे अधिक दो सौ एकड़ पर टमाटर लगा है। आज उनके पास 25 से ज्यादा ट्रैक्टर व दूसरी गाड़ियां हैं। आधुनिक मशीनें हैं, जो दवा छिड़काव से लेकर सब्जियों को काटने का काम करती हैं। अशोक के मुताबिक आजकल लोग शार्टकट के चक्कर में रहते हैं, अगर आप किसी प्लान पर लगातार चलते हैं और इंतजार करते हैं, तो आपको रिजल्ट जरूर मिलेंगे। मेहनत का कोई ऑप्शन हो ही नहीं सकता। कल तक मैं दो-दो हजार के लिए तरसता था और आज 15-15 हजार रुपए वेतन दे रहा हूं।
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