Thursday, 28 April 2016

FCRA के आंकड़ों के मुताबिक़ विदेशों से आने वाले चन्दे का 90% हिस्सा क्रिश्चियन NGOs को मिल रहा था,क्यों ??

भारतीय रेलवे के बाद सबसे अधिक गैर-कृषि
भूमि "चर्च" के पास है,फिर भी FCRA के आंकड़ों
के मुताबिक़ विदेशों से आने वाले चन्दे का 90%
हिस्सा क्रिश्चियन NGOs को मिल रहा था,क्यों ??

"आधिकारिक रूप से" भारत में ईसाईयों की संख्या
3% बताई जाती है (जबकि अनधिकृत रूप से,छिपे हुए,
छद्म हिन्दू नामों से रह रहे ईसाईयों की संख्या मिलाकर
यह कम से कम 10% है),लेकिन फिर भी "चर्च" का बजट
भारत की नौसेना के बराबर है...
इतना पैसा "लालच" देने के लिए नहीं तो क्या भटे सेंकने के लिए है ?भारतीय रेलवे के बाद सबसे अधिक गैर-कृषि भूमि "चर्च" के पास है,फिर भी FCRA के आंकड़ों के मुताबिक़ विदेशों से आने वाले चन्दे का 90% हिस्सा क्रिश्चियन NGOs को मिल रहा है,क्यों ? कनाडा निवासी वॉट्स दम्पति “सेवेन्थ-डे एडवेंटिस्ट चर्च” के दक्षिण एशिया प्रभारी हैं।
1997 में जिस समय इन्होंने इस चर्च के दक्षिण एशिया का प्रभार संभाला,उस समय 103 वर्षों के कार्यकाल में भारत में इसके सदस्यों की संख्या दो लाख पच्चीस हजार ही थी लेकिन सिर्फ़ 5 साल में अर्थात 2002 तक ही वॉट्स दम्पति ने भारत में इसके सदस्यों की संख्या 7 लाख तक पहुँचा दी 

इन्होंने गरीब भारतीयों के लिये इतना जबरदस्त काम किया,  कि सिर्फ़ एक दिन में ही ओंगोल (आंध्रप्रदेश) में 15018 लोगों  ने धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपना लिया।
वॉट्स दम्पति का लक्ष्य 10,000 चर्चों के निर्माण का है,और जल्द ही वे इस जादुई आँकड़े को छूने वाले हैं तथा उस समय एक भव्य विजय दिवस मनाया जायेगा।
असल में इस महान काम में देरी सिर्फ़ इसलिये हुई,क्योंकि इनके सबसे बड़े मददगार और “हमारी महारानी” के खासुलखास व्यक्ति,अर्थात “भारत रत्न” एक और दावेदार  सेमुअल रेड्डी की हवाई दुर्घटना में मौत हो गई।
फ़िर भी वॉट्स दम्पति को पाँच राज्यों के ईसाई मुख्यमंत्रियों  का पूरा समर्थन हासिल है और वे अपना परोपकार कार्य निरन्तर  जारी रखे हैं।
इनकी मदद के लिये अमेरिका स्थित मारान्था वॉलंटियर्स भी हैं जिन्होंने भारत में दो साल में 750 चर्च बनाने तथा ओरेगॉन स्थित फ़ार्ली परिवार,जिन्होंने एक चर्च प्रतिदिन के हिसाब से 1000 चर्च बनाने का संकल्प लिया है।
इनका यह महान कार्य(?) जल्द ही पूरा होगा,साथ ही भारत में इनकी स्थानीय मदद के लिये इनके कब्जे वाला 80% बिकाऊ मीडिया और हजारों असली-नकली NGOs भी हैं।
श्री एवं श्रीमती वॉट्स की मेहनत और “राष्ट्रीय कार्य” का फ़ल उन्हें दिखाई भी देने लगा है,क्योंकि उत्तर-पूर्व के राज्यों मिजोरम,  नागालैण्ड और मणिपुर में पिछले 25 वर्षों में ईसाई जनसंख्या में 200% का अभूतपूर्व उछाल आया है।
त्रिपुरा जैसे प्रदेश में जहाँ आज़ादी के समय एक भी ईसाई नहीं था,60 साल में एक लाख बीस हजार हो गये हैं,(हालांकि त्रिपुरा में कई सालों से वामपंथी शासन है,लेकिन इससे चर्च की गतिविधि पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
क्योंकि वामपंथियों के अनुसार सिर्फ़ “हिन्दू धर्म” ही दुश्मनी रखने योग्य है,बाकी के धर्म तो उनके परम दोस्त हैं) इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश में सन् 1961 की जनगणना में सिर्फ़ 1710 ईसाई थे जो अब बढ़कर एक लाख के आसपास हो गये हैं तथा चर्चों की संख्या भी 780 हो गई है।
एक दृष्टि रॉन (रोनॉल्ड) वॉट्स साहब के सम्पर्कों पर भी डाल लें,ताकि आपको विश्वास हो जाये कि आपका “भविष्य” एकदम सही हाथों में है…
1) रॉन वाट्स के खिलाफ़ बिजनेस वीज़ा पर अवैध रूप से भारत में दिन गुजारने और कलेक्टर द्वारा देश निकाला दिये जाने के बावजूद जबरन भारत में टिके रहने के आरोप हैं,लेकिन उन्हें भारत से कौन निकाल सकता है,जब “महारानी”जी से उनके घरेलू सम्बन्ध हों… क्या कहा…विश्वास नहीं होता ? खुद ही पढ़ लीजिये…
http://www.scribd.com/…/RON-WATTS-AND-SONIA-GANDHI-OPERATE-…
2) रॉन वॉट्स साहब को ऐरा-गैरा न समझ  लीजियेगा,इनकी पहुँच सीधे चिदम्बरम साहबके घर तक भी है…चिदम्बरम साहब की श्रीमती नलिनी चिदम्बरम,रॉन वॉट्स की वकील हैं,अब ऐसे में चिदम्बरम साहब की क्या हिम्मत है कि वे वॉट्स को देश निकाला दें।
 आप खुद ही इनके रिश्तोंके बारे में पढ़ लीजिये…
3) इन साहब की कार्यपद्धति के बारे में विस्तार से जानने के लिये यहाँ देखें…

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