एक रोमन कैथलिक महिला एडविनो अन्टोनियों माइनों जिसको भारत में सोनिया गांधी नाम से प्रचारित किया गया उसके आदेश पर एक पूरी साजिश के तहत इस देश की बहुसंख्यक आबादी हिंदुओं को आतंकवादी घोषित करने की कोशिश हुई।
आज जिस तरह से इशरत जहां और कर्नल पुरोहित के मामले में कच्चे चिट्ठे खुल रहे हैं,कांग्रेस का आतंकी प्रेम एक बार फिर जगज़ाहिर हो रहा है।दुनिया भर में फैले इस्लामी आतंकवाद को धर्म से न जोड़ने की सलाह देने वाले कांग्रेसी दिन रात "हिन्दू आतंकवाद" कहने में गर्व महसूस कर रहे थे।जिस तरह इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ हिन्दुओं का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरणनिति और वोटबैंक की निति के खिलाफ आक्रोशित हो रहा था,कांग्रेस ने एक चाल चली लोगों का ध्यान बटाने के लिए हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद का हौवा जन्म दिया, जबकि पाकिस्तान के गृह मंत्रालय और अमेरिका के एफबीआई ने समझौता एक्सप्रेस में लश्कर का हाथ बताया था।
लश्कर-ए-तैय्यबा के एक बड़े आतंकी पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पारित किया गया। लश्कर के जिस आतंकी पर प्रतिबंध लगाया गया था और उसका नाम था आरिफ कसमानी।
अब देखिए कसमानी के बारे में संयुक्त राष्ट्र ने क्या लिखा आरिफ कसमानी लश्कर ए तैय्यबा का चीफ कॉर्डिनेटर है, जो लश्कर के दूसरे आतंकी संगठनों के साथ रिश्तों को बढ़ावा देता है। आरिफ कसमानी ने लश्कर ए तैय्यबा के साथ मिलकर कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है। इन वारदातों में एक है भारत के पानीपत के पास फरवरी 2007 में हुआ समझौता धमाका।
कसमानी को दाऊद इब्राहिम से भी मदद मिलती रही है और वो लश्कर और अल कायदा के लिए पैसे भी जुटाता रहा है। पैसे मिलने के ऐवज में अल कायदा ने कसमानी को फरवरी 2007 के समझौता धमाके के लिए सपोर्ट स्टाफ मुहैया कराया था।
ध्यान दीजिए ये संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव था। जहां एक तरफ भारत में अभिनव भारत से जुड़े हिन्दू लोगों की गिरफ्तारियां हो रही थीं, वहीं सुरक्षा परिषद समझौता धमाके के लिए लश्कर के आतंकी आरिफ कसमानी को जिम्मेदार ठहरा रही थी।
सोचिए किसके इसारे पर निर्दोष हिन्दू जेल मे डाले जा रहे थे?
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