Monday 18 April 2016

कुत्ते रास्ता क्यों नहीं भूलते

कभी खुले आकाश में उड़ते पक्षी तो कभी हमारे पालतू जानवर, अपने दिशा के बोध से हमेशा ही हमें चौंकाते आए हैं. वैज्ञानिकों को पता चला है कि आखिर कैसे बहुत दूर निकल जाने के बावजूद ये जानवर घर वापसी का रास्ता ढूंढ लेते हैं.
जानवरों को कम न समझना
धरती के उत्तर-दक्षिण अक्ष की सीध में रहते हैं व्यवस्थित
आमतौर पर जानवरों में ऐसी बहुत सी खूबियां होती हैं जो इंसानों में नहीं पाई जाती, जैसे कि कुत्तों में पाई जाने वाली सुनने और सूंघने की विलक्षण क्षमता. इस शोध से उनकी खूबियों की सूची में चुंबकीय विवेक भी जुड़ गया है जिससे कुत्ते विद्युतचुंबकीय तरंगों का बोध भी कर पाते हैं. वैज्ञानिकों की इसी टीम ने 2008 में गूगल अर्थ के चित्रों का अध्ययन कर पता लगाया था कि गाय और बैल जैसे मवेशी चरते या सुस्ताते समय धरती की उत्तर-दक्षिण अक्ष की सीध में रहते हैं. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसी ही संवेदना उन प्रवासी पक्षियों और अन्य प्रजातियों में भी होती होगी जो बहुत दूर का सफर कर वापस लौट आते हैं.
बेगाल बताती हैं, "ऐसे बहुत से किस्से सामने आते हैं जिनमें कहा जाता है कि कुत्तों ने सैकड़ों किलोमीटर की दूरी से वापस अपने घर का रास्ता ढूंढ लिया. इसको ऐसे समझा जा सकता है कि शायद वे दिशा समझने के लिए धरती के चुंबकीय क्षेत्र का ही इस्तेमाल करते हैं."
बेगाल कहती हैं कि मल त्याग करते समय कुत्ते के दिमाग में क्या चलता है यह अभी 'कोरी अटकलें' भी हो सकती हैं. या फिर हो सकता है कि इस बात में वाकई दम हो. पहाड़ की चढ़ाई करने वाले पैदल यात्री भी अपना नक्शा उत्तर दिशा की तरफ करके देखते हैं जिसके लिए उनके कम्पास का स्थाई होना जरूरी है. उसी तरह शोध में कुत्ते भी सिर्फ तभी ऐसा कर पाए जब धरती का चुंबकीय क्षेत्र स्थाई था.
कुत्ते ढ़ंढ लेते हैं बहुत दूर से भी वापसी का रास्ता
जर्मनी और चेक गणराज्य के शोधकर्ताओं ने कुत्तों के भीतर काम कर रहे एक प्राकृतिक कम्पास का पता लगाया है. यह 'आंतरिक कम्पास' कुत्तों को उनकी वापसी का रास्ता खोजने में मदद करता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुत्ते चलते चलते जब मल मूत्र के लिए रुकते हैं, तो वे धरती के अक्ष के उत्तर-दक्षिण दिशा में खड़े होते हैं. अगर धरती का चुंबकीय क्षेत्र स्थायी हो तो ऐसा हर बार होता है.
धरती के अक्ष से गहरा संबंध
'फ्रंटियर्स इन जूलॉजी' नाम के एक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में दस सदस्यों वाली चेक और जर्मन शोधकर्ताओं की टीम ने हिस्सा लिया. शोध में शामिल जर्मनी के डुइसबुर्ग एसेन यूनिवर्सिटी की डॉक्टर सबीने बेगाल कहती हैं कि कुत्तों की अलग अलग प्रजातियों में इस तरह की चुंबकीय संवेदनशीलता में कोई अंतर नहीं पाया गया, चाहे वह एक छोटा सा योर्कशायर टेरियर हो या एक विशालकाय सेंट बर्नार्ड, "हमने पाया कि कुत्ते उत्तर-दक्षिण अक्ष की सीध में रहने के लिए बहुत ही शानदार तरीके से व्यवस्थित होते हैं. अगर चुंबकीय क्षेत्र स्थाई हो तो मूत्र त्याग से ज्यादा वे मल त्याग करते समय उत्तर-दक्षिण दिशा की सीध में रहते हैं."
सुनने और सूंघने के साथ साथ दिशा की समझ में भी इंसान से बेहतर
शोधकर्ताओं ने ऐसे 37 लोगों की मदद ली जिनके पास कई पालतू कुत्ते थे. इन लोगों ने अपने कुल 70 कुत्तों पर लगातार दो साल तक नजर रखी और कम्पास की मदद से यह जानकारी दर्ज करते रहे कि मल मूत्र त्याग के समय उनके कुत्ते किस दिशा में रहते थे. शुरूआत में ऐसे करीब सात हजार आंकड़ों के विश्लेषण में कोई साफ निष्कर्ष निकल कर सामने नहीं आया. बेगाल बताती हैं कि जब शोधकर्ताओं ने सिर्फ उन आंकड़ों पर गौर किया जब विद्युतचुंबकीय उतार-चढ़ाव कम थे तब, "उनके बीच शानदार पारस्परिक संबंध दिखाई दिया."

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