Monday, 18 April 2016

यह है 1200 साल पुराना माता का शक्तिपीठ , शिखर पर लगा है 3 टन सोना

भारत देश में बहुत से मंदिर और देवालय हैं, यहां हर मंदिर की कोई ना कोई विशेषता होती है औऱ हर मंदिर अपने इतिहास औऱ स्थापित्य के लिए जाना जाता है। इसी कड़ी में हम आपको आज गुजरात के अम्बाजी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है और यह 51 शक्तिपीठो में गिना जाता है।

मंदिर के गर्भग्रह में नही है कोई प्रतिमा

यह मंदिर पालनपुर से लगभग 65 कि.मी,आबू पर्वत से 45 कि.मी, आबू रोड से 20 किमी, श्री अमीरगढ़ से 42 कि.मी, कडियाद्रा से 50 कि॰मी॰ दूरी पर गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरासुर पर्वत पर स्थित है।
मंदिर के गर्भगृह में मां की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। यहां मां का एक श्री-यंत्र स्थापित है। इस श्री-यंत्र को कुछ इस प्रकार सजाया जाता है कि देखने वाले को लगे कि मां अम्बे यहां साक्षात विराजमान हैं। इस यंत्र को कोई भी सीधे आंखों से देख नहीं सकता एवं इसकी फ़ोटोग्राफ़ी का भी निषेध है। वर्ष की दोनों नवरात्र में यहां का पूरा वातावरण शक्तिमय रहता है।

शिखर पर 358 स्वर्ण कलश हैं सुसज्जित

अंबाजी मंदिर लगभग बारह सौ साल पुराना है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार का काम 1975 से शुरू हुआ था और तब से अब तक जारी है। श्वेत संगमरमर से निर्मित यह मंदिर बेहद भव्य है। मंदिर का पुराना स्वरुप उतना आकर्षक नहीं था। नए स्वरुप में वास्तु का विशेष ध्यान रखा गया। मंदिर का नया आर्किटेक्चर लोगों को आकर्षित करता है।
अम्बा जी मंदिर
अम्बा जी मंदिर भास्कर.कॉम
मंदिर का शिखर संगमरमर की एक शिला से बना है। शिखर 103 फीट ऊंचा है। यहां पर 358 स्वर्ण कलश सुसज्जित हैं जो मंदिर की खुबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इन कलशों में करीब 3 टन सोना लगा है। मंदिर का एलीवेशन 61 फीट का है

तीन किलोमीटर की दूरी पर है गब्बर नामक पहाड़

मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर गब्बर नामक पहाड़ है। इस पहाड़ पर भी देवी माँ का प्राचीन मंदिर स्थापित है। माना जाता है यहाँ एक पत्थर पर माँ के पदचिह्न बने हैं। पदचिह्नों के साथ-साथ माँ के रथचिह्न भी बने हैं। अम्बाजी के दर्शन के उपरान्त श्रद्धालु गब्बर जरूर जाते हैं पहले 999 सीढ़ियां चढ़कर गब्बर पहाड़ पर पहुंचा जाता था। अब यहां पर रोप-वे की सुविधा भी उपलब्ध है।
अम्बाजी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार संपन्न हुआ था। वहीं भगवान राम भी शक्ति की उपासना के लिए यहाँ आ चुके हैं। हर साल भाद्रपदी पूर्णिमा के मौके पर यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं।

नवरात्रि पर है विशेष आकर्षण

नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र पर्व में श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहाँ माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस समय मंदिर प्रांगण में गरबा करके शक्ति की आराधना की जाती है। समूचे गुजरात से कृषक अपने परिवार के सदस्यों के साथ माँ के दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं।
व्यापक स्तर पर मनाए जाने वाले इस समारोह में ‘भवई’ और ‘गरबा जैसे नृत्यों का प्रबंध किया जाता है। साथ ही यहाँ पर ‘सप्तशती’ (माँ की सात सौ स्तुतियाँ) का पाठ भी आयोजित किया जाता है।

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