Wednesday, 18 January 2017

आज जब बड़ी बड़ी इमारतों के निर्माण की बात आती गई तो ज्यादातर वामपंथी इतिहासकार यही कहते है की ये निर्माण ''इस्लामिक शिल्पकला'' के है क्योकि इस्लामिक शिल्पकला भारतीय शिल्पकला से ज्यादा समृद्ध थी ! पर मेरा नजरिया है की ''इस्लामिक शिल्पकला'' कोई कला थी ही नही बल्कि इस्लाम में तोड़फोड़-नष्ठ-भ्रष्ठ की कला के सिवा कोई कला है ही नहीं ! इतिहास उठा कर देख लीजियेगा ! 

जबकि भारतीय शिल्पकला बहुत ही समृद्ध थी और इस कला के प्रणेता/जनक ''विश्वकर्मा जी'' थे ! इसी कला की बिरासत ये रामेश्वरम का मंदिर है
जो आज से 1740 वर्षों पूर्व निर्मित हुआ था ! इसके सभी 1212 सतंभ 100% समान आकार के है । तथा अंत में एक छोटेसे केंद्र (डॉट) में मिलते है ।

भारतीय शिल्प कला भवन निर्माण से लेकर आभूषणों की बारीक नक्काशी तक अद्भुत है। भारत में बने भवन ईमारतों को भारतीय कारीगरों ने बनाया है। मुस्लिम तो सिर्फ चुराने में माहिर हैं या फिर तोड़ने में । मार काट, लूट खसौट करनें से समय मिलता तो कुछ करते ।
बाकी तो छौडे, सोमनाथ कितनी बार बनाया ? लूटेरों नें ।।

भारत के मंदिर और किले हिन्दू शिल्प कला के बेजोड़ नमूने है।

इस देश के सबसे बड़े गद्दार यदि है तो वो बामपंथी ही है जिन्होंने इतिहास का वो हाल किया जिसकी पराकाष्ठा कही नहीं मिलती।अजंता एलोरा की गुफावो के बारे में बोलते है कि ये एलियन द्वारा बनाया गया था।जहाँ हजम करने में दिक्कत हो तो उसको एलियन का नाम दे दिया।

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