Tuesday 3 January 2017

बंगाल के लिए कुछ कीजिए, वरना पराई हो जाएगी विवेकानंद की धरती....


सच पूछिए तो हम सबको बंगाल, बंगालियों के लिए नहीं अपने लिए चाहिए… वृहद हिन्दू समाज के लिए चाहिए… माँ कालिका के दर्शन के लिए चाहिए… गंगासागर के पवित्र जल के लिए चाहिए.
इसलिए, बंगाली हिन्दुओं की सभी बुराइयों को मानते और जानते हुए भी हमें बंगाल में उनकी रक्षा करने के लिए आगे आना ही होगा…
सोचिए यदि यही हाल रहा तो… कुछ वर्षों पश्चात, हमें चार-धाम की यात्रा में गंगासागर जाने के लिए भी वीज़ा लेना पड़ेगा.., कलकत्ते की माँ कालिका का दर्शन यूँ सुलभ नहीं रहेगा… विवेकानंद की धरती पराई हो जाएगी.
एक बार शांतिदूतों का पूर्ण राज्य स्थापित हो गया तो हो सकता है कि यह गंगासागर और कलकत्ता की काली जैसे स्थान सिर्फ इतिहास की पुस्तकों में सिमट जाएं… हम अपने बच्चों को पुस्तकों में दिखाएँ… या हो सकता है कि वह भी संभव न हो…
आप में से कितने लोग अब हिंगलाज माता के दर्शन हेतु पाकिस्तान जा पाते हैं…. भगवान राम के पुत्र लव का नगर ‘लाहौर’ कितनों ने देखा है?
ननकाना साहिब का गुरुद्वारा जाना अब कितना मुश्किल है? पेशावर के प्रसिद्ध शिव मंदिर में अब कौन जाता है?
‘हम सनातन हैं, हमारा कभी अंत नहीं होगा’… ऐसे वाक्यों द्वारा, हम अपनी दयनीयता को छिपाते हैं, अपनी दुर्दशा को झुठलाने का असफल प्रयास करते हैं.
यह वाक्य भी हमारा नहीं है…. यह भी इकबाल से उधार लिया हुआ है… वही इकबाल जिसे पाकिस्तान के प्रमुख निर्माताओं में गिना जाता है.
‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’ से ज्यादा भ्रामक और छल भरा वाक्य दुनिया में कोई और हो ही नहीं सकता.
अपने मुँह मियां मिट्ठू बनते रहिये पर सच यह है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हिन्दुत्व की लाश सड़ांध मार रही है और देश के भीतर कश्मीर में अपने अंतिम संस्कार की प्रतीक्षा कर रही है.
यही समय है, बंगाल को कश्मीर बनने से रोकना होगा. आगे आइये… जो जहाँ भी हैं वहीँ से कुछ करे… मोर्चे निकालें… हस्ताक्षर अभियान चलायें… सोशल मीडिया पर अभियान चलाएं…
मै

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