Saturday, 21 January 2017

mediya

 
पैसा कमाया सिंध में सिंधीयो ने, 1947 में जब धर्म सुरक्षित न रहा तो सब छोड़कर भागना पड़ा सिंध से...
पैसा कमाया कश्मीर में पंडतो ने, बाद में केसर के खेत छोड़ कर भागना पड़ा कश्मीर से...
जूट व्यापारियों ने खूब पैसा बनाया बंगाल में, बाद में मालूम पड़ा की बंगाल तो उधर रह गया ये तो पूरब पाकिस्तान (1971 से बांग्लादेश) है तो भागना पड़ा बांग्लादेश से...
पैसा कमाओ अच्छी बात है लेकिन धर्म सुरक्षा में भी लगाओ... वरना सारा कमाया छोड़ भागने को तैयार रहो...
वंदेमातरम्  ...
Hindu Jaagran
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मुश्किलों से कैसे संघर्ष करके इन्सान सफल होता है उसका जीता जगता उदाहरण चेन्नई की पैट्रीशिया नारायण है .....
पेट्रीशिया नारायण की शादी मात्र 17 साल की उम्र में उनसे 13 साल बड़े शक्स से उनकी मर्जी के खिलाफ कर दी गयी थी ... पति बहुत शराबी था ..उन्हें बहुत मारता पिटता था ...इसी दरम्यान पैट्रीशिया नारायण दो बच्चो की माँ भी बन गयी .. लेकिन पति नही सुधरा .. हर रोज शराब में लिए मारता ... एक दिन उनके पति ने एक साल के बेटे को उठाकर फेकने जा रहा था ... पति के अत्याचारों से त्रस्त होकर पैत्रेशिया नारायण ने पति का घर छोड़ दिया और उससे तलाक ले लिया ...
पैट्रीशिया के इस निर्णय से उनके पिता खुश नही थे .. उन्होंने भी अपनी बेटी से सारे सम्बन्ध तोड़ दिए ... बिना घर बिना नौकरी बिना सहारे के पैट्रीशिया नारायण के उपर दो दो बच्चों की जिम्मेदारी थी .. उन्होंने लोगो के घरो में काम करना शुरू किया ...लेकिन उसमे आमदनी नही थी उपर से बच्चो को कहाँ रखकर काम पर जाए ये भी मुश्किल थी ... फिर पैट्रीशिया ने अपनी माँ से कुछ पैसे उधार लेकर मैरिना बीच पर काफ़ी का ठेला लगाया .. पहले दिन सारा खर्चा काटकर मात्र 50 पैसे का ही मुनाफा हुआ ..लेकिन वो निराश नही हुई ...
उन्होंने अपने ठेले पर चाय काफी के साथ नाश्ता बेचना भी शुरू किया .. वो बेहद टेस्टी नाश्ता बनाती थी .. जिससे उनके ठेले पर भीड़ बढने लगी ..
थोड़ी दूर पर तमिलनाडू सरकार का स्लम क्लियेरेस बोर्ड का ऑफिस था .. उस ऑफिस के कुछ अधिकारी उनके ठेले पर बने नाश्ते के स्वाद और क्वालिटी से बेहद खुश थे ... और स्लम क्लियरेंस बोर्ड ने उन्हें अपना कैंटीन चलाने का ऑफर दिया ... ये पल पैट्रीशिया के जिन्दगी का टर्निग प्वाइंट था ... उन्होंने बड़ी मेहनत और लगन से कैंटीन चलाया ...
वो सुबह पांच बजे से नौ बजे तक मैरिना बिच और ठेला लगाती थी ..फिर नौ बजे से तीन बजे तक कैंटीन चलाती थी .. फिर वो वापस मैरिना बीच पर ठेला लगाती थी ..
फिर उन्हें आठ और ऑफिसों और कई स्कुलो से कैंटीन चलाने का ऑफर मिला .. उन्होंने कुछ आदमी और रखे और अपना काम बढाया ..
इस वक्त तक उनकी आमदनी भी काफी बढ़ गयी थी वो हप्ते में १ लाख रूपये तक कमाने लगी
1998 में उन्हें चेन्नई के रेस्टोरेंट संगीता ग्रुप से पार्टनर का ऑफर मिला .. इस मुकाम तक पैट्रीशिया को पूरा तमिलनाडु एक महिला उधमी में तौर पर जानने लगा था .. उन्होंने कई रेस्ट्रोरेन्ट खोले ... अपनी बेटी की अच्छे घर में शादी की .. चेन्नई के पॉश एरिया में बंगला बनवाया ... लेकिन दो साल बाद ही एक दुखद दुर्घटना ने उन्हें बुरी तरह तोड़ दिया .. एक कार एक्सीडेंट में उनके बेटी और दामाद की दुःखद मृत्यु हो गयी .. वो कुछ सालो के लिए बिजनस से दूर हो गयी ... लेकिन उनके बेटे ने उन्हें सहारा दिया और उन्हें इस आघात से उबरने में मदद दिया ...
फिर पैट्रीशिया नारायण ने अपनी बेटी संदीपा के नाम पर संदीपा नाम से रेस्टोरेंट की पूरी श्रृंखला खोली ..आज उनके कुल 20 रेस्ट्रोरेन्ट है और कई एयरलाइन्स में कोंट्राक्ट है और कुल 2000 का स्टॉफ उनके पास है और उनकी हर रोज की आमदनी दो लाख रूपये है

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