Friday, 6 January 2017

इस हिन्दू सम्राट ने अरबों को इस तरह खदेड़ा कि 400 साल तक भारत की ओर नहीं मुड़े थे अरब अन्य राष्ट्रों समेत हिन्दू बहुल भारत की धरती पर हिन्दुओ के “इतिहास” के साथ हमेशा अन्याय किया गया हैं। न जाने, हिन्दुओं का इतिहास मिटाने और छिपाने के कितने ही प्रयास किये गए। मगर सच कभी छिपता नहीं! 

महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, पुष्यमित्र शुंग, राजा दाहिर के नाम तो अक्सर सुनने को मिल जाते हैं, मगर वीर बप्पा रावल के नाम को शायद ही कोई जनता हो! बप्पा रावल एक ऐसे हिन्दू सम्राट रहे हैं, जिनके नाम भर मात्र से दुश्मनों के हाथ पाँव ठन्डे पड़ जाते थे। जब भारत पर 734 ईसवी में अरबों ने आक्रमण किया, तब राजस्थान में एक ऐसा योद्धा पैदा हुए जिन्होंने उन्हें मार उन्होंने अरबी, तुर्क और फारसी मुस्लिमों के दिल में इतनी दहशत भर दी थी कि मुसलमानों ने अगले 400 साल तक हिंदुस्तान की ओर आँख उठा के नहीं देखा।  ऐसे योद्धा थे मेवाड़ वंश के संथापक, कालभोज के राजकुमार ‘बाप्पा रावल’! साथ ही शिव के एकलिंग रूप के भक्त और चितौड़ के किले के निर्माता!

उनके पिता महेंद्र रावल द्वितीय की आक्रमणकारियों के हत्या की थी और उनकी माता जी अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए सती हो गयी थी। बप्पा रावल का पालन पोषण उनके कुलपुरोहित ने बड़े प्यार से किया और एकलिंग जी की भक्ति के साथ साथ समस्त युद्ध लालाओ में निपुण बनाया। बप्पा रावल ने अपना खोया हुआ राज्य मात्र 21 साल की उम्र में वापस ले लिया था और एक कुशल शासक के रूप में अपने को स्थापित किया। 

बाद में जब अरब, तुर्कों और फारसियो ने आक्रमण किया तो बप्पा रावल ने न केवल उन्हें युद्ध में हराया, बल्कि अरबो को वापस उनके देश तक खदेड़ा। ऐसा था बप्पा रावल का खौफ कि मुसलमानों ने अगले 400 साल भारत की ओर आँख उठा कर देखने तक की हिम्मत नहीं की।मार के वापस उनके देश तक खदेड़ा था। 
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दशमेश पिता गुरू गोविंद सिंह जी सैनिको में उत्साह भरने के लिये जो भाषण देते थे, उनका संग्रह 'चंड़ी दी वार' कहलाता है । उसमें लिखे दोहे पर सेक्युलर गौर करें :-
मिटे बाँग सलमान सुन्नत कुराना । जगे धमॆ हिन्दुन अठारह पुराना ॥
यहि देह अँगिया तुरक गहि खपाऊँ । गऊ घात का दोख जग सिऊ मिटाऊँ ॥
देही शिवा बर मोहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं ।
न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं ॥
--अनुवाद--
बाँग(अजान),सुन्नत(खतना)कुरान मिट जाये हिन्दू धर्म का जागरण होकर अट्ठारह पुराण आदर को प्राप्त हों।इस देह के अंगों से ऐसा काम हो कि सारे तुर्कों को मारकर खत्म कर दूँ और गोवध का दुष्कृत्य संसार से नष्ट कर दूँ।
हे परमशक्ति माँ(शिवा) ऐसा वरदान दो कि मैं अपने कर्मपथ से कभी विचलित न हो पाऊँ।शत्रु से लड़ने में कभी न डरूँ और जब लड़ूं तब उन्हें परास्त कर अपनी विजय करूँ।।सत् श्री अकाल।।

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