अरून शुक्ला के साथ Mukesh Sharma
सुभाष चन्द्र बोस :-- कुछ कही - कुछ अनकही (श्रद्धा सुमन )
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1 …दूसरे विश्व युद्ध में जब विमानों से नेताजी के ठिकानो पर बम वर्षा होती थी तो नेता जी बाहर निकल कर विमानों कि ओर देखा करते थे ! उनसे अंदर आने का अनुरोध करने पर वो कहते थे कि --> " अंग्रेज अभी वो बारूद नहीं बना पाय जो सुभाष को मार दे "
2 ……एक सभा के दौरान जब वो लोगो को सम्बोधित कर रहे थे तब अचानक बारिश होने लगी ,,एक जवान दौड़कर नेता जी के ऊपर छाता तान दिया ताकि वोभीगे नहीं ,,नेताजी ने छाता छीनकर फेक दिया ये कहते हुए कि --> " सुभाष कागज़ का पुर्जा नहीं जो पानी में गल जाएगा "
3..... नेताजी प्रशिक्षित सैनिक नहीं थे फिर भी मिल्ट्री के कायदे कानून किसी अच्छे जनरल कि तरह जानते थे ! हिटलर उनके इस गुण से बहुत प्रभावित था !
4..... नेता जी से अंग्रेज कितना खौफ खाते थे आप इस बात से ही समझ सकते है कि उनको 11 बार गिरफ्तार किया गया था !
5 …… आखरी बार राजद्रोह के आरोप में गिरप्तार होने पर उन्होंने अनशन किया ,जिस पर उनको जेल से मुक्त करके घर पर नजरबन्द कर दिया गया ,,,जहाँ से उन्होंने कुछ दिन में दाढ़ी मूंछ बढ़ा कर
17.1.1941 कि रात्रि करीब पौने 1 बजे मौलवी जियाउद्दीन के रूप में पहरेदारो को चकमा देकर चुपचाप निकल गए और देश से बाहर जाकर आजाद हिन्द सेना के गठन का काम शुरू किया !!
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1 …दूसरे विश्व युद्ध में जब विमानों से नेताजी के ठिकानो पर बम वर्षा होती थी तो नेता जी बाहर निकल कर विमानों कि ओर देखा करते थे ! उनसे अंदर आने का अनुरोध करने पर वो कहते थे कि --> " अंग्रेज अभी वो बारूद नहीं बना पाय जो सुभाष को मार दे "
2 ……एक सभा के दौरान जब वो लोगो को सम्बोधित कर रहे थे तब अचानक बारिश होने लगी ,,एक जवान दौड़कर नेता जी के ऊपर छाता तान दिया ताकि वोभीगे नहीं ,,नेताजी ने छाता छीनकर फेक दिया ये कहते हुए कि --> " सुभाष कागज़ का पुर्जा नहीं जो पानी में गल जाएगा "
3..... नेताजी प्रशिक्षित सैनिक नहीं थे फिर भी मिल्ट्री के कायदे कानून किसी अच्छे जनरल कि तरह जानते थे ! हिटलर उनके इस गुण से बहुत प्रभावित था !
4..... नेता जी से अंग्रेज कितना खौफ खाते थे आप इस बात से ही समझ सकते है कि उनको 11 बार गिरफ्तार किया गया था !
5 …… आखरी बार राजद्रोह के आरोप में गिरप्तार होने पर उन्होंने अनशन किया ,जिस पर उनको जेल से मुक्त करके घर पर नजरबन्द कर दिया गया ,,,जहाँ से उन्होंने कुछ दिन में दाढ़ी मूंछ बढ़ा कर
17.1.1941 कि रात्रि करीब पौने 1 बजे मौलवी जियाउद्दीन के रूप में पहरेदारो को चकमा देकर चुपचाप निकल गए और देश से बाहर जाकर आजाद हिन्द सेना के गठन का काम शुरू किया !!
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