अरून शुक्ला के साथ Mukesh Sharma
WTO की सेवाक्षेत्र का समझौता Agreement on Services :
समझौते में सेवा की परिभाषा : उत्पादन को छोड़कर जो कुछ भी होता है वो सभी सेवा है !
सेवा क्षेत्र का समझौते की दो वर्ग है :
1. वित्तीय सेवाएं : - सभी बैंकें, सभी बिमा कंपनी, सरकारी सहकारी पथ संस्थाएं, सहकारी बैंक, निजी बैंक, सरकारी कर्मचारियों का भविष्य निधी, शेयर बाज़ार में खरीद बेच, ... कुल 29 सेवाएं!
2. गैर वित्तीय सेवाएं : - वकालत का पेशा, प्रोफेसर, लेक्चरर, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, गोशाला, दुकाने, रेस्तरां, होटल, टेलीकम्युनिकेशन (मोबाइल), .. कुल 64 सेवाएं!
इस समझौते का तीसरा आर्टिकल कहता है :
i) यह समझौता लागु होने के बाद माने 1 जनवरी 2005 के बाद, दुनिया के सभी देशो को जो भी इसके सदस्य है अपनी सारी सीमाए ‘Foreign Service Providers’ के लिए खोलनी पड़ेगी| ‘Foreign Service Providers’ का मतलब विदेशी बैंकें, विदेशी बीमा कंपनी, विदेशी चार्टर्ड अकाउंटेंट की फार्म, विदेशी वकालत की फार्म, विदेशी होटल, विदेशी हॉस्पिटल, विदेशी डॉक्टर, विदेशी विश्वविद्यालय, विदेशी कॉलेज .. जो कुछ भी विदेश से आता है उन सबके लिए दरवाजा खोलिए!
ii) कोई भी देश बाहर से आनेवाले विदेशी Service Providers को किसी भी तरह की पावंदी नही लगाएगा, माने विदेशी बैंक, विदेशी बीमा कंपनी इत्यादि अगर आके कुछ काम करना चाहे तो भारत सरकार उनको रोकेगी नही|
iii) किसी भी ‘Foreign Service Companies को या Providers को ‘National Treatment’ देना पड़ेगा| माने भारत देश की सरकार जितनी सुविधाए भारत की बैंकों, बीमा कंपनी को देती है वो सारी सुविधाए विदेशी बैंकों, बीमा कंपनी को देनी पड़ेगी|
iv) जो विदेशी Service Providers किसी भी देश में जायेंगे उनके जो मुनाफा है उसपर सरकार का कोई नियंत्रण नही होगा|
समझौते में सेवा की परिभाषा : उत्पादन को छोड़कर जो कुछ भी होता है वो सभी सेवा है !
सेवा क्षेत्र का समझौते की दो वर्ग है :
1. वित्तीय सेवाएं : - सभी बैंकें, सभी बिमा कंपनी, सरकारी सहकारी पथ संस्थाएं, सहकारी बैंक, निजी बैंक, सरकारी कर्मचारियों का भविष्य निधी, शेयर बाज़ार में खरीद बेच, ... कुल 29 सेवाएं!
2. गैर वित्तीय सेवाएं : - वकालत का पेशा, प्रोफेसर, लेक्चरर, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, गोशाला, दुकाने, रेस्तरां, होटल, टेलीकम्युनिकेशन (मोबाइल), .. कुल 64 सेवाएं!
इस समझौते का तीसरा आर्टिकल कहता है :
i) यह समझौता लागु होने के बाद माने 1 जनवरी 2005 के बाद, दुनिया के सभी देशो को जो भी इसके सदस्य है अपनी सारी सीमाए ‘Foreign Service Providers’ के लिए खोलनी पड़ेगी| ‘Foreign Service Providers’ का मतलब विदेशी बैंकें, विदेशी बीमा कंपनी, विदेशी चार्टर्ड अकाउंटेंट की फार्म, विदेशी वकालत की फार्म, विदेशी होटल, विदेशी हॉस्पिटल, विदेशी डॉक्टर, विदेशी विश्वविद्यालय, विदेशी कॉलेज .. जो कुछ भी विदेश से आता है उन सबके लिए दरवाजा खोलिए!
ii) कोई भी देश बाहर से आनेवाले विदेशी Service Providers को किसी भी तरह की पावंदी नही लगाएगा, माने विदेशी बैंक, विदेशी बीमा कंपनी इत्यादि अगर आके कुछ काम करना चाहे तो भारत सरकार उनको रोकेगी नही|
iii) किसी भी ‘Foreign Service Companies को या Providers को ‘National Treatment’ देना पड़ेगा| माने भारत देश की सरकार जितनी सुविधाए भारत की बैंकों, बीमा कंपनी को देती है वो सारी सुविधाए विदेशी बैंकों, बीमा कंपनी को देनी पड़ेगी|
iv) जो विदेशी Service Providers किसी भी देश में जायेंगे उनके जो मुनाफा है उसपर सरकार का कोई नियंत्रण नही होगा|
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