*** तुलसी एक 'दिव्य पौधा' ***
भारतीय संस्कृति में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व है और इस पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। ऎसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता उस घर में भगवान भी रहना पसंद नहीं करते। माना जाता है कि घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा कलह और दरिद्रता दूर करता है। इसे घर के आंगन में स्थापित कर सारा परिवार सुबह-सवेरे इसकी पूजा-अर्चना करता है। यह मन और तन दोनों को स्वच्छ करती है। इसके गुणों के कारण इसे पूजनीय मानकर उसे देवी का दर्जा दिया जाता है। तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है।
* लिवर (यकृत) संबंधी समस्या: तुलसी की 10-12 पत्तियों को गर्म पानी से धोकर रोज सुबह खाएं। लिवर की समस्याओं में यह बहुत फायदेमंद है।
* पेटदर्द होना: एक चम्मच तुलसी की पिसी हुई पत्तियों को पानी के साथ मिलाकर गाढा पेस्ट बना लें। पेटदर्द होने पर इस लेप को नाभि और पेट के आस-पास लगाने से आराम मिलता है।
* पाचन संबंधी समस्या : पाचन संबंधी समस्याओं जैसे दस्त लगना, पेट में गैस बनना आदि होने पर एक ग्लास पानी में 10-15 तुलसी की पत्तियां डालकर उबालें और काढा बना लें। इसमें चुटकी भर सेंधा नमक डालकर पीएं।
* बुखार आने पर : दो कप पानी में एक चम्मच तुलसी की पत्तियों का पाउडर और एक चम्मच इलायची पाउडर मिलाकर उबालें और काढा बना लें। दिन में दो से तीन बार यह काढा पीएं। स्वाद के लिए चाहें तो इसमें दूध और चीनी भी मिला सकते हैं।
* खांसी-जुकाम : करीब सभी कफ सीरप को बनाने में तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं। तुलसी की कोमल पत्तियों को थोडी- थोडी देर पर अदरक के साथ चबाने से खांसी-जुकाम से राहत मिलती है। चाय की पत्तियों को उबालकर पीने से गले की खराश दूर हो जाती है। इस पानी को आप गरारा करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
* सर्दी से बचाव : बारिश या ठंड के मौसम में सर्दी से बचाव के लिए तुलसी की लगभग 10-12 पत्तियों को एक कप दूध में उबालकर पीएं। सर्दी की दवा के साथ-साथ यह एक न्यूट्रिटिव ड्रिंक के रूप में भी काम करता है। सर्दी जुकाम होने पर तुलसी की पत्तियों को चाय में उबालकर पीने से राहत मिलती है। तुलसी का अर्क तेज बुखार को कम करने में भी कारगर साबित होता है।
* श्वास की समस्या : श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।
* गुर्दे की पथरी : तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो गई हो तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह महीने में फर्क दिखेगा।
* हृदय रोग : तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।
* तनाव : तुलसी की पत्तियों में तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।
* मुंह का संक्रमण : अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।
* त्वचा रोग : दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है।
तुलसी की ताजा पत्तियों को संक्रमित त्वचा पर रगडे। इससे इंफेक्शन ज्यादा नहीं फैल पाता।
* सांसों की दुर्गध : तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह खासा कारगर साबित होती है।
* सिर का दर्द : सिर के दर्द में तुलसी एक बढि़या दवा के तौर पर काम करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
* आंखों की समस्या : आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।
* कान में दर्द : तुलसी के पत्तों को सरसों के तेल में भून लें और लहसुन का रस मिलाकर कान में डाल लें। दर्द में आराम मिलेगा।
* ब्लड-प्रेशर को सामान्य रखने के लिए तुलसी के पत्तों का सेवन करना चाहिए।
* तुलसी के पांच पत्ते और दो काली मिर्च मिलाकर खाने से वात रोग दूर हो जाता है।
* कैंसर रोग में तुलसी के पत्ते चबाकर ऊपर से पानी पीने से काफी लाभ मिलता है।
* तुलसी तथा पान के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर देने से बच्चों के पेट फूलने का रोग समाप्त हो जाता है।
* तुलसी का तेल विटामिन सी, कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर होता है।
* तुलसी का तेल मक्खी- मच्छरों को भी दूर रखता है।
* बदलते मौसम में चाय बनाते हुए हमेशा तुलसी की कुछ पत्तियां डाल दें। वायरल से बचाव रहेगा।
* शहद में तुलसी की पत्तियों के रस को मिलाकर चाटने से चक्कर आना बंद हो जाता है।
* तुलसी के बीज का चूर्ण दही के साथ लेने से खूनी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।
* तुलसी के बीजों का चूर्ण दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में वृध्दि होती है।
- तुलसी भोजन को शुद्ध करती है, इसी कारण ग्रहण लगने के पहले भोजन में डाल देते हैं जिससे सूर्य या चंद्र की विकृत किरणों का प्रभाव भोजन पर नहीं पड़ता।
- मृत व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, धार्मिक पद्धति के अनुसार उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो, ऐसा माना जाता है।
- तुलसी रक्त अल्पता के लिए रामबाण दवा है। नियमित सेवन से हीमोग्लोबीन तेजी से बढ़ता है, स्फूर्ति बनी रहती है।
- तुलसी के सेवन से टूटी हड्डियां शीघ्रता से जुड़ जाती हैं।
- तुलसी का पौधा दिन रात आक्सीजन देता है, प्रदूषण दूर करता है।
- घर बनाते समय नींव में घड़े में हल्दी से रंगे कपड़े में तुलसी की जड़ रखने से उस घर पर बिजली गिरने का डर नहीं होता।
- तुलसी की सेवा अपने हाथों से करें, कभी चर्म रोग नहीं होगा।
- खाना बनाते समय सब्जी पुलाव आदि में तुलसी के रस का छींटा देने से खाने की पौष्टिकता व महक दस गुना बढ़ जाती है।
उपयोग में सावधानी बरतें-
- तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए गर्मी निकालने के लिये। इसे दही या छाछ के साथ लें, इसकी उष्ण गुण हल्के हो जाते हैं।
- तुलसी अंधेरे में ना तोड़ें, शरीर में विकार आ सकते हैं। कारण अंधेरे में इसकी विद्युत लहरें प्रखर हो जाती हैं।
- तुलसी के सेवन के बाद दूध भूलकर भी ना पियें, चर्म रोग हो सकता है।
- तुलसी रस को अगर गर्म करना हो तो शहद साथ में ना लें। कारण गर्म वस्तु के साथ शहद विष तुल्य हो जाता है।
- तुलसी के साथ दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार, खट्टे फल ये सभी का सेवन करना हानिकारक है।
- तुलसी के पत्ते दांतो से चबाकर ना खायें, अगर खायें हैं तो तुरंत कुल्लाकर लें। कारण इसका अम्ल दांतों के एनेमल को खराब कर देता है।
तुलसी सेवन का तरीका
- इसे प्रातः खाली पेट लेने से लाभ होता है।
- इसके पत्तों को सुखाना हो तो छाया में सुखाएं।
- फायदे को देखते हुए एक साथ अधिक मात्रा में ना लें।
- बिना उपयोग तुलसी के पत्तों को तोड़ना उसे नष्ट करने के बराबर है।
तुलसी से स्वास्थ्य लाभ
- श्याम तुलसी(काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है।
- तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है।
- तुलसी के चार-पांच ग्राम बीजों का मिश्री युक्त शर्बत पीने से आंव ठीक रहता है।
- तुलसी के पत्तों को चाय की तरह पानी में उबाल कर पीने से आंव (पेंचिस) ठीक होती है।
- अदरक या सोंठ, तुलसी, कालीमिर्च, दालचीनी थोड़ा-थोडा सबको मिलाकर एक ग्लास पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो शक्कर नमक मिलाकर पी जाएं। इससे फ्लू , खांसी, सर्दी, जुकाम ठीक होता है।
- कभी-कभी किसी व्यक्ति में अधिक उत्तेजन (पागलपन) आ जाता है, ऐसे में लगातार तुलसी की पत्तियां सूंघे, मसलकर चबाएं, इसके रस को लें, सारे शरीर पर लगाएं, इससे पागलपन की उत्तेजना ठीक होने में लाभ मिलता है।
- तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रातः खाली पेट सेवन करें, उच्च रक्तचाप ठीक होता है।
» कुष्ठ रोग में तुलसी की पत्तियां रामबाण सा असर करती हैं।खायें तथा पीसकर लगायें भी
- तुलसी के पत्तों का रस एक्जिमा पर लगाने, पीने से एक्जिमा में लाभ मिलता है।
- तुलसी के हरे पत्तों का रस (बिना पानी में डाले) गर्म करके सुबह शाम कान में डालें, कम सुनना, कान का बहना, दर्द सब ठीक हो जाता है।
- तुलसी के रस में कपूर मिलाकर हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।
- कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फायदा होता है।
- 10-12 तुलसी के पत्ते तथा 8-10 काली मिर्च के चाय बनाकर पीने से खांसी जुकाम, बुखार ठीक होता है।
- तुलसी के सूखे पत्ते ना फेंके. ये कफ नाशक के रूप में काम में लाये जा सकते हैं।
- तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से खांसी जाती है।-» तुलसी के पत्ते 10, काली मिर्च 5 ग्राम, सोंठ 15 ग्राम, सिके चने का आटा 50 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम, इन सबको पान व अदरक में घोंट लें तथा एक एक ग्राम की गोलियां बना लें। जब भी खांसी हो सेवन करें।
- तुलसी व अदरक का रस एक एक चम्मच, शहद एक चम्मच, मुलेठी का चूर्ण एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम चाटें, यह खांसी की अचूक दवा है।
रोज सुबह तुलसी की पत्तियों के रस को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। तुलसी की केवल पत्तियां ही लाभकारी नहीं होती। तुलसी के पौधे पर लगने वाले फल जिन्हें अमतौर पर मंजर कहते हैं, पत्तियों की तुलना में कहीं अघिक फायदेमंद होता है। विभिन्न रोगों में दवा और काढे के रूप में तुलसी की पत्तियों की जगह मंजर का उपयोग भी किया जा सकता है। इससे कफ द्वारा पैदा होने वाले रोगों से बचाने वाला और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला माना गया है। किंतु जब भी तुलसी के पत्ते मुंह में रखें, उन्हें दांतों से न चबाकर सीधे ही निगल लें। इसके पीछे का विज्ञान यह है कि तुलसी के पत्तों में पारा धातु के अंश होते हैं। जो चबाने पर बाहर निकलकर दांतों की सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे दंत और मुख रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु नष्ट करता है। नई खोज से पता चला है इसमें कीनोल, एस्कार्बिक एसिड, केरोटिन और एल्केलाइड होते हैं। तुलसी पत्र मिला हुआ पानी पीने से कई रोग दूर हो जाते हैं। इसीलिए चरणामृत में तुलसी का पत्ता डाला जाता है। तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं। तुलसी पर किए गए प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में यह लाभकारी है। इससे रक्तकणों की वृद्धि होती है। तुलसी ब्र्म्ह्चर्य की रक्षा करने एवं यह त्रिदोषनाशक है।
भारतीय संस्कृति में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व है और इस पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। ऎसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता उस घर में भगवान भी रहना पसंद नहीं करते। माना जाता है कि घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा कलह और दरिद्रता दूर करता है। इसे घर के आंगन में स्थापित कर सारा परिवार सुबह-सवेरे इसकी पूजा-अर्चना करता है। यह मन और तन दोनों को स्वच्छ करती है। इसके गुणों के कारण इसे पूजनीय मानकर उसे देवी का दर्जा दिया जाता है। तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है।
* लिवर (यकृत) संबंधी समस्या: तुलसी की 10-12 पत्तियों को गर्म पानी से धोकर रोज सुबह खाएं। लिवर की समस्याओं में यह बहुत फायदेमंद है।
* पेटदर्द होना: एक चम्मच तुलसी की पिसी हुई पत्तियों को पानी के साथ मिलाकर गाढा पेस्ट बना लें। पेटदर्द होने पर इस लेप को नाभि और पेट के आस-पास लगाने से आराम मिलता है।
* पाचन संबंधी समस्या : पाचन संबंधी समस्याओं जैसे दस्त लगना, पेट में गैस बनना आदि होने पर एक ग्लास पानी में 10-15 तुलसी की पत्तियां डालकर उबालें और काढा बना लें। इसमें चुटकी भर सेंधा नमक डालकर पीएं।
* बुखार आने पर : दो कप पानी में एक चम्मच तुलसी की पत्तियों का पाउडर और एक चम्मच इलायची पाउडर मिलाकर उबालें और काढा बना लें। दिन में दो से तीन बार यह काढा पीएं। स्वाद के लिए चाहें तो इसमें दूध और चीनी भी मिला सकते हैं।
* खांसी-जुकाम : करीब सभी कफ सीरप को बनाने में तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं। तुलसी की कोमल पत्तियों को थोडी- थोडी देर पर अदरक के साथ चबाने से खांसी-जुकाम से राहत मिलती है। चाय की पत्तियों को उबालकर पीने से गले की खराश दूर हो जाती है। इस पानी को आप गरारा करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
* सर्दी से बचाव : बारिश या ठंड के मौसम में सर्दी से बचाव के लिए तुलसी की लगभग 10-12 पत्तियों को एक कप दूध में उबालकर पीएं। सर्दी की दवा के साथ-साथ यह एक न्यूट्रिटिव ड्रिंक के रूप में भी काम करता है। सर्दी जुकाम होने पर तुलसी की पत्तियों को चाय में उबालकर पीने से राहत मिलती है। तुलसी का अर्क तेज बुखार को कम करने में भी कारगर साबित होता है।
* श्वास की समस्या : श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।
* गुर्दे की पथरी : तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो गई हो तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह महीने में फर्क दिखेगा।
* हृदय रोग : तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।
* तनाव : तुलसी की पत्तियों में तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।
* मुंह का संक्रमण : अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।
* त्वचा रोग : दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है।
तुलसी की ताजा पत्तियों को संक्रमित त्वचा पर रगडे। इससे इंफेक्शन ज्यादा नहीं फैल पाता।
* सांसों की दुर्गध : तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह खासा कारगर साबित होती है।
* सिर का दर्द : सिर के दर्द में तुलसी एक बढि़या दवा के तौर पर काम करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
* आंखों की समस्या : आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।
* कान में दर्द : तुलसी के पत्तों को सरसों के तेल में भून लें और लहसुन का रस मिलाकर कान में डाल लें। दर्द में आराम मिलेगा।
* ब्लड-प्रेशर को सामान्य रखने के लिए तुलसी के पत्तों का सेवन करना चाहिए।
* तुलसी के पांच पत्ते और दो काली मिर्च मिलाकर खाने से वात रोग दूर हो जाता है।
* कैंसर रोग में तुलसी के पत्ते चबाकर ऊपर से पानी पीने से काफी लाभ मिलता है।
* तुलसी तथा पान के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर देने से बच्चों के पेट फूलने का रोग समाप्त हो जाता है।
* तुलसी का तेल विटामिन सी, कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर होता है।
* तुलसी का तेल मक्खी- मच्छरों को भी दूर रखता है।
* बदलते मौसम में चाय बनाते हुए हमेशा तुलसी की कुछ पत्तियां डाल दें। वायरल से बचाव रहेगा।
* शहद में तुलसी की पत्तियों के रस को मिलाकर चाटने से चक्कर आना बंद हो जाता है।
* तुलसी के बीज का चूर्ण दही के साथ लेने से खूनी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।
* तुलसी के बीजों का चूर्ण दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में वृध्दि होती है।
- तुलसी भोजन को शुद्ध करती है, इसी कारण ग्रहण लगने के पहले भोजन में डाल देते हैं जिससे सूर्य या चंद्र की विकृत किरणों का प्रभाव भोजन पर नहीं पड़ता।
- मृत व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, धार्मिक पद्धति के अनुसार उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो, ऐसा माना जाता है।
- तुलसी रक्त अल्पता के लिए रामबाण दवा है। नियमित सेवन से हीमोग्लोबीन तेजी से बढ़ता है, स्फूर्ति बनी रहती है।
- तुलसी के सेवन से टूटी हड्डियां शीघ्रता से जुड़ जाती हैं।
- तुलसी का पौधा दिन रात आक्सीजन देता है, प्रदूषण दूर करता है।
- घर बनाते समय नींव में घड़े में हल्दी से रंगे कपड़े में तुलसी की जड़ रखने से उस घर पर बिजली गिरने का डर नहीं होता।
- तुलसी की सेवा अपने हाथों से करें, कभी चर्म रोग नहीं होगा।
- खाना बनाते समय सब्जी पुलाव आदि में तुलसी के रस का छींटा देने से खाने की पौष्टिकता व महक दस गुना बढ़ जाती है।
उपयोग में सावधानी बरतें-
- तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए गर्मी निकालने के लिये। इसे दही या छाछ के साथ लें, इसकी उष्ण गुण हल्के हो जाते हैं।
- तुलसी अंधेरे में ना तोड़ें, शरीर में विकार आ सकते हैं। कारण अंधेरे में इसकी विद्युत लहरें प्रखर हो जाती हैं।
- तुलसी के सेवन के बाद दूध भूलकर भी ना पियें, चर्म रोग हो सकता है।
- तुलसी रस को अगर गर्म करना हो तो शहद साथ में ना लें। कारण गर्म वस्तु के साथ शहद विष तुल्य हो जाता है।
- तुलसी के साथ दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार, खट्टे फल ये सभी का सेवन करना हानिकारक है।
- तुलसी के पत्ते दांतो से चबाकर ना खायें, अगर खायें हैं तो तुरंत कुल्लाकर लें। कारण इसका अम्ल दांतों के एनेमल को खराब कर देता है।
तुलसी सेवन का तरीका
- इसे प्रातः खाली पेट लेने से लाभ होता है।
- इसके पत्तों को सुखाना हो तो छाया में सुखाएं।
- फायदे को देखते हुए एक साथ अधिक मात्रा में ना लें।
- बिना उपयोग तुलसी के पत्तों को तोड़ना उसे नष्ट करने के बराबर है।
तुलसी से स्वास्थ्य लाभ
- श्याम तुलसी(काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है।
- तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है।
- तुलसी के चार-पांच ग्राम बीजों का मिश्री युक्त शर्बत पीने से आंव ठीक रहता है।
- तुलसी के पत्तों को चाय की तरह पानी में उबाल कर पीने से आंव (पेंचिस) ठीक होती है।
- अदरक या सोंठ, तुलसी, कालीमिर्च, दालचीनी थोड़ा-थोडा सबको मिलाकर एक ग्लास पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो शक्कर नमक मिलाकर पी जाएं। इससे फ्लू , खांसी, सर्दी, जुकाम ठीक होता है।
- कभी-कभी किसी व्यक्ति में अधिक उत्तेजन (पागलपन) आ जाता है, ऐसे में लगातार तुलसी की पत्तियां सूंघे, मसलकर चबाएं, इसके रस को लें, सारे शरीर पर लगाएं, इससे पागलपन की उत्तेजना ठीक होने में लाभ मिलता है।
- तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रातः खाली पेट सेवन करें, उच्च रक्तचाप ठीक होता है।
» कुष्ठ रोग में तुलसी की पत्तियां रामबाण सा असर करती हैं।खायें तथा पीसकर लगायें भी
- तुलसी के पत्तों का रस एक्जिमा पर लगाने, पीने से एक्जिमा में लाभ मिलता है।
- तुलसी के हरे पत्तों का रस (बिना पानी में डाले) गर्म करके सुबह शाम कान में डालें, कम सुनना, कान का बहना, दर्द सब ठीक हो जाता है।
- तुलसी के रस में कपूर मिलाकर हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।
- कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फायदा होता है।
- 10-12 तुलसी के पत्ते तथा 8-10 काली मिर्च के चाय बनाकर पीने से खांसी जुकाम, बुखार ठीक होता है।
- तुलसी के सूखे पत्ते ना फेंके. ये कफ नाशक के रूप में काम में लाये जा सकते हैं।
- तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से खांसी जाती है।-» तुलसी के पत्ते 10, काली मिर्च 5 ग्राम, सोंठ 15 ग्राम, सिके चने का आटा 50 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम, इन सबको पान व अदरक में घोंट लें तथा एक एक ग्राम की गोलियां बना लें। जब भी खांसी हो सेवन करें।
- तुलसी व अदरक का रस एक एक चम्मच, शहद एक चम्मच, मुलेठी का चूर्ण एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम चाटें, यह खांसी की अचूक दवा है।
रोज सुबह तुलसी की पत्तियों के रस को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। तुलसी की केवल पत्तियां ही लाभकारी नहीं होती। तुलसी के पौधे पर लगने वाले फल जिन्हें अमतौर पर मंजर कहते हैं, पत्तियों की तुलना में कहीं अघिक फायदेमंद होता है। विभिन्न रोगों में दवा और काढे के रूप में तुलसी की पत्तियों की जगह मंजर का उपयोग भी किया जा सकता है। इससे कफ द्वारा पैदा होने वाले रोगों से बचाने वाला और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला माना गया है। किंतु जब भी तुलसी के पत्ते मुंह में रखें, उन्हें दांतों से न चबाकर सीधे ही निगल लें। इसके पीछे का विज्ञान यह है कि तुलसी के पत्तों में पारा धातु के अंश होते हैं। जो चबाने पर बाहर निकलकर दांतों की सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे दंत और मुख रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु नष्ट करता है। नई खोज से पता चला है इसमें कीनोल, एस्कार्बिक एसिड, केरोटिन और एल्केलाइड होते हैं। तुलसी पत्र मिला हुआ पानी पीने से कई रोग दूर हो जाते हैं। इसीलिए चरणामृत में तुलसी का पत्ता डाला जाता है। तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं। तुलसी पर किए गए प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में यह लाभकारी है। इससे रक्तकणों की वृद्धि होती है। तुलसी ब्र्म्ह्चर्य की रक्षा करने एवं यह त्रिदोषनाशक है।
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