Friday, 31 January 2014

विकृति यह है के “ हम भारतवासी आर्य कहीं बाहर से आयें


 —हमारे देश मे मैकॉले के द्वारा जो विषय तै किये गए उनमे से एक था इतिहास विषय| जिसमे मैकौले ने यह कहा के भारतवासियों को उनका सच्चा इतिहास नहीं बताना है क्योंकि उनको गुलाम बनाके रखना है, इसलिए इतिहास को विकृत करके भारत मे पड़ाया जाना चाहिए| तो भारत के इतिहास पूरी तरह से उन्होंने विकृत कर दिया|

सबसे बड़ी विकृति जो हमारे इतिहास मे अंग्रेजो ने डाली जो आजतक ज़हर बन कर हमारे खून मे घूम रही है, वो विकृति यह है के “ हम भारतवासी आर्य कहीं बाहर से आयें|” सारी दुनिया मे शोध हो जुका है के आर्य नाम की कोई जाति भारत को छोड़ कर दुनिया मे कहीं नही थी; तो बाहार से कहाँ से आ गए हम ? फिर हम को कहा गया के हम सेंट्रल एशिया से आये मने मध्य एशिया से आये| मध्य एशिया मे जो जातियां इस समय निवास करती है उन सभी जातियों के DNA लिए गए, DNA आप समझते है जिसका परिक्षण करके कोई भी आनुवांशिक सुचना ली जा सकती है| तो दक्षिण एशिया मे मध्य एशिया मे और पूर्व एशिया मे तीनो स्थानों पर रेहने वाली जातिओं के नागरिकों के रक्त इकठ्ठे करके उनका DNA परिक्षण किया गया और भारतवासियो का DNA परिक्षण किया गया| तो पता चला भारतवासियो का DNA दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और पूर्व एशिया के किसी भी जाति समूह से नही मिलता है तो यह कैसे कहा जा सकता है की भारतवासी मध्य एशिया से आये, आर्य मध्य एशिया से आये ?

इसका उल्टा तो मिलता है की भारतवासी मध्य एशिया मे गए, भारत से निकल कर दक्षिण एशिया मे गए, पूर्व एशिया मे गए और दुनियाभर की सभी स्थानों पर गए और भारतीय संस्कृति, भारतीय सभ्यता और भारतीय धर्म का उन्होंने पूरी ताकत से प्रचार प्रसार किया| तो भारतवासी दूसरी जगह पे जाके प्रचार प्रसार करते है इसका तो प्रमाण है लेकिन भारत मे कोई बाहार से आर्य नाम की जाति आई इसके प्रमाण अभीतक मिले नही और इसकी वैज्ञानिक पुष्टि भी नही हुई| इतना बड़ा झूट अंग्रेज हमारे इतिहास मे लिख गए, और भला हो हमारे इतिहासकारों का उस झूट को अंग्रेजों के जाने के 65 साल बाद भी हमें पड़ा रहे है|

अभी थोड़े दिन पहले दुनिया के जेनेटिक विशेषज्ञ जो DNA RNA आदि की जांच करनेवाले विशेशाज्ञं है इनकी एक भरी परिषद् हुई थी और वो परिषद् का जो अंतिम निर्णय है वो यह कहता है के “ आर्य भारत मे कहीं बाहर से नही आये थे, आर्य सब भारतवासी ही थे जरुरत और समय आने पर वो भारत से बाहर गए थे|”

अब आर्य हमारे यहाँ कहा जाता है श्रेष्ठ व्यक्ति को, जो भी श्रेष्ठ है वो आर्य है, कोई ऐसा जाति समूह हमारे यहाँ आर्य नही है| हमारे यहाँ तो जो भी जातिओं मे श्रेष्ठ व्यक्ति है वो सब आर्य माने जाते है, वो कोई भी जाति के हो सकते है, ब्राह्मण हो सकते है, क्षत्रिय हो सकते है, शुद्र हो सकते है, वैश्य हो सकते है| किसी भी वर्ण को कोई भी आदमी अगर वो श्रेष्ठ आचरण करता है हमारे यहाँ उसको आर्य कहा जाता है, आर्य कोई जाति समूह नही है, वो सभी जाति समूह मे से श्रेष्ठ लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति है| ऊँचा चरित्र जिसका है, आचरण जिसका दूसरों के लिए उदाहरण के योग्य है, जिसका किया हुआ, बोला हुआ दुसरो के लिए अनुकरणीय है वो सभी आर्य है|

हमारे देश मे परम श्रधेय और परम पूज्यनीय स्वामी दयानन्द जैसे लोग, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चन्द्र बोसे, उधम सिंह, चंद्रशेखर, अश्फ़ाकउल्ला खान, तांतिया टोपे, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, कितुर चिन्नम्मा यह जितने भी नाम आप लेंगे यह सभी आर्य है, यह सभी श्रेष्ठ है क्योंकि इन्होने अपने चरित्र से दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किये हैं| इसलिए आर्य कोई हमारे यहाँ जाति नहीं है| राजा जो उच्च चरित्र का है उसको आर्य नरेश बोला गया, नागरिक जो उच्च चरित्र के थे उनको आर्य नागरिक बोला गया, भगवान श्री राम को आर्य नरेश कहा जाता था, श्री कृष्ण को आर्य पुत्र कहा गया, अर्जुन को कई बार आर्यपुत्र का संबोधन दिया गया, युथिष्ठिर, नकुल, सहदेव को कई बार आर्यपुत्र का सम्बोधन दिया गया, या द्रौपदी को कई जगह आर्यपुत्री का सम्बोधन है| तो हमारे यहाँ तो आर्य कोई जाति समूह है ही नही, यह तो सभी जातियों मे श्रेष्ठ आचरण धारण करने वाले लोग, धर्म को धारण करने वाले लोग आर्य कहलाये है| तो अंग्रेजों ने यह गलत हमारे इतिहास मे डाल दिया|

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