Monday 3 August 2015

आतंकवादी कभी रुस की तरफ रुख क्यों नहीं करते


याकूब मेमन:- चार्टर्ड अकॉउंटेन्ट
अल बगदादी:- पी. एच.डी
अल जवाहिरी:- सर्जन
ओसामा बिन लादेन:- सिविल इंजीनियर
हाफिज सईद :- प्रोफेसर
अफजल गुरु - प्रोफेसर


फिर भी सेकुलर कहते हैं कि शिक्षा की कमी से भटके हुए लोग हैं ये...??

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काश कोई सेकुलर याकूब की बीबी के वजाय कलाम साहब के भाई को सांसद बनाने की सिफारिश करता!!!
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एक मार्मिक संवाद
प्रस्तुति: फरहाना ताज
‘‘तुम्हारा भाई अखबार बेचता था और राष्ट्रपति बन गया था। तुम अभी भी टूटे छाते ठीक करते हो?’’
‘‘मेरे भाई ने मिसाइलें बनाई और देश को सुरक्षा का छाता दिया और मैं छाते ठीक करके लोगों के सिर को सुरक्षा दे रहा हूं।’’
‘‘लेकिन लोग तो आतंकी याकूब की बीवी को सांसद बनाने की वकालत कर रहे हैं, वह बने या नहीं आप तो बन ही सकते थे?’’
‘‘संसद में विद्वान होने चाहिए, मेरे जैसे कारीगर नहीं, मेरे जैसे इंसान कारखानों की शोभा होते हैं संसद की नहीं। मेरे लिए मेरी दूकान किसी संसद से कम नहीं, क्योंकि यह दूकान पवित्र भारत भूमि पर है।’’
‘‘उन्होंने वसियत तो बनाई होगी, बड़ा भाई होने से आप तो वैसे भी करोडपति बन गए होंगे, फिर दूकान का दिखावा क्यों?’’
‘‘वे सब चल-अचल संपत्ति जो उनके नाम थी, मेरी ही सलाह पर देश के कल्याणकारी कार्यो के लिए देश के नाम कर गए हैं, इससे अच्छी वसियत और क्या हो सकती थी!’’
एक इंटरव्यू के आधार पर.....
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गाँधी : भारतवासियों! शत्रु से प्यार करो और उस पर पूर्ण विश्वास रखो।
सावरकर : शत्रु पर प्यार या विश्वास भूल से भी मत करो।
गाँधी : अहिंसा का रास्ता अपनाओ। कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे करो।
सावरकर : आत्मरक्षा हिंसा नहीं कहलाता। मूर्ख हिन्दुओं! एक गला कटा तो आगे करने के लिए दूसरा गला बचेगा ही नहीं।
गाँधी : मैं एक हिन्दू हूँ और हिन्दुओं के सभी भगवान शांति का सन्देश देते हैं।
सावरकर : तुम खोखले हिन्दू हो। प्रभु श्रीराम के हाथ में धनुष है तो श्रीकृष्ण के हाथ में सुदर्शन चक्र है।सज्जनों की रक्षार्थ ईश्वर को भी शस्त्र धारण करने पड़ते हैं।
गाँधी : शस्त्र उठाना नितांत अनुचित है। शत्रु से लड़ने की बजाय उसके दुर्गुणों से लड़ो।
सावरकर : युद्ध में गुण-अवगुण नहीं तलवारें टिकी रहती हैं और जीतती भी हैं। सीमायें तलवारों से निर्धारित की जाती है गुणों-अवगुणों से नहीं।
गांधी : तलवारें तो होनी ही नहीं चाहिए। ह्रदय परिवर्तन पर विश्वास रखो और शत्रु का दिल जीत लो।
सावरकर : जो आपकी हत्या करने की ठान चुका हो उसका दिल जीता नहीं जा सकता। हे हिन्दुओं! अफज़ल खान का ह्रदय परिवर्तन संभव नहीं था तभी तो शिवाजी को उसका ह्रदय चीरना ही पड़ा।
अब आप ही चुनें कि इनमें से आपको कौन सा रास्ता सही लगता है..
गांधी या फिर सावरकर
...आखिर आप स्वयं ही आपके जीवन के शिल्पकार हैं।




आतंकवादी कभी रुस की तरफ रुख क्यों नहीं करते
जबकि रूस इस्लाम के खिलाफ कई कार्य करता रहता है

एक बार सोवियत के 8 अफसरों को 10 आतंवादियों ने पकड लिया और अगवा कर सोवियत रूस की सरकार को पैगाम भेजा की हमारे 2 लोग जो तुम्हारे कब्जे में हैं उन्हें छोड़ दो वरना हम इन लोगों को मार देंगे,
सरकार का जवाब न मिलता देख उन्होंने एक अफसर को मारकर उसका सिर सोवियत रुस को भेज दिया और कहा "जल्दी छोड़ दो वरना सारे लोगों के सिर कलम कर तुम्हे भेज दिया जायगा"
दुसरे दिन सुबह सुबह उन आतंकवादियों को सोवियत की सरकार की तरफ से जवाब में अपने परिवार के एक एक सदस्य का सिर मिला और साथ में धमकी की "हिंसा पर मत उतरो वरना तुम्हारे सारे परिवार वालों को हम बिना धड़ के तुम्हारे पास भेज देंगे।"
आतंकवादियों ने तुरंत अफसरों को छोड़ा और खुद को सरकार के हवाले कर दिया"

ये वो कहानी है जिसकी वजह से आज भी आतंकवादी रूस से खौफ खाते हैं
भारत को भी सीख लेनी होगी, आतंक का जवाब मीठी वाणी और आतंक का कोई धर्म नहीं होता ये कहने से आतंक नहीं हटेगा, आतंक को उसकी भाषा में जवाब देना होगा

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