Tuesday 1 December 2015

vande mataram

                   बेंगलूर से पिता सुमेरमल जैन (58) को लेकर राजस्थान के मेड़तारोड़ के लिए यशवंतपुर-बीकानेर एक्सप्रेस में बैठे पंकज जैन सफर की शुरूआत के साथ ही चिंता में थे। रविवार सुबह चार बजे ट्रेन मेड़तारोड़ पहुंची और पांच मिनट ठहरने के बाद रवाना हो जाती।   इतनी देर में पंकज को अपने लकवाग्रस्त पिता और सामान को नीचे उतारना था। इस उधेड़बुन में ट्रेन की गति के साथ ही पंकज ही नहीं साथ चल रहीं मां और बहन की परेशानी भी बढ़ती जा रही थी।    इस बीच किसी रिश्तेदार को फोन लगाया तो उन्होंने सुझाव दिया कि  रेलमंत्री सुरेश प्रभु को ट्वीट कर अपनी परेशानी बताओ।
                पंकज ने शनिवार शाम साढ़े छह बजे अपनी बात ट्वीट के जरिये रेलमंत्री तक पहुंचाई। तुरंत रेलमंत्री का जवाब आया, आपको परेशानी नहीं होगी। रात साढ़े आठ बजे आबूरोड़ में टीटी उनकी बर्थ तक आए और कहा कि मेड़तारोड़ में पूरे इंतजाम मिलेंगे, आप जरा भी चिंतित नहीं हों। ट्रेन निर्धारित समय से करीब एक घंटे देर से मेड़तारोड़ के तीन नंबर प्लेटफार्म पर पहुंची। पंकज ने जैसे ही लपककर कोच का गेट खोला तो सामने स्टेशन मास्टर, एक कुली और व्हीलचेयर के साथ मददगार तैयार खड़े थे।
             सभी ने मिलकर लकवाग्रस्त सुमेरमल जैन को नीचे उतारा। इस दौरान ट्रेन दस मिनट तक रुकी रही। मुख्य गेट तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना होता है। स्टेशन मास्टर और उनकी टीम उनके साथ रही।

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