हिन्दू मुस्लिम एकता एक अंसभव कार्य हैं भारत से समस्त मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना और हिन्दुओं को वहां से बुलाना ही एक हल है. यदि यूनान तुर्की और बुल्गारिया जैसे कम साधनों वाले छोटे छोटे देश यह कर सकते हैं तो हमारे लिए कोई कठिनाई नहीं.
साम्प्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहासास्पद होगा. विभाजन के बाद भी भारत में साम्प्रदायिक समस्या बनी रहेगी. पाकिस्तान में रुके हुए अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा कैसे होगी? मुसलमानों के लिए हिन्दू काफिर सम्मान के योग्य नहीं है. मुसलमान की भातृ भावना केवल मुसमलमानों के लिए है. कुरान गैर मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है , इसी लिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है.
मुसलामनों की निष्ठा भी केवल मुस्लिम देश के प्रति होती है. इस्लाम सच्चे मुसलमानो हेतु भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट संबधी मानने की आज्ञा नहीं देता. संभवतः यही कारण था कि मौलाना मौहम्मद अली जैसे भारतीय मुसलमान भी अपेन शरीर को भारत की अपेक्षा येरूसलम में दफनाना अधिक पसन्द किया. कांग्रेस में मुसलमानों की स्थिति एक साम्प्रदायिक चौकी जैसी है.
गुण्डागर्दी मुस्लिम राजनीति का एक स्थापित तरीका हो गया है. इस्लामी कानून समाज सुधार के विरोधी हैं. धर्म निरपेक्षता को नहीं मानते. मुस्लिम कानूनों के अनुसार भारत हिन्दुओं और मुसलमानों की समान मातृभूमि नहीं हो सकती. वे भारत जैसे गैर मुस्लिम देश को इस्लामिक देश बनाने में जिहाद आतंकवाद का संकोच नहीं करते.
- प्रमाण सार डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय , खण्ड १५१
हमेशा एक बात याद रखें बाबा साहेब संविधान के सेक्युलर होने के घोर विरोधी थे.
- शिवानी मिश्रा की फेसबुक पोस्ट से साभार
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