Wednesday, 13 April 2016

NIT स्टूडन्ट "सत्यम" की कलम से .. पूरा अनालिसिस .. !

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"आँखों में आंसू लिए और रुंधे हुए गले से एक बार कहना चाहता हूँ …. तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहे न रहें।
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आज का दिन एन आई टी श्रीनगर में ख़ूनी रहा।
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मैच को लेकर जो भी एनआईटी श्रीनगर में हुआ था, उसके बाद जो कश्मीरी प्रोफ़ेसर थे वो लोग हमें हमारे कैरिएर को लेकर डरा रहे थे, कि वो हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे| हम ने यहाँ पर जो भी किया उसके पहले हमारी प्राथमिकता ये थी की हम यहाँ पढने आये थे, हमारे कुछ सपने हैं जो हमारे परिवार से भी जुड़े हैं जिनको पूरा करने हम आये हैं| तो प्रोफेसर्स की इन धमकियों से हम काफी डर गए थे की अब हमारा क्या होगा| जिसके लिए उस दिन के बाद हमने अपनी कुछ मांगो को लेकर लगातार तीन दिन हमने हड़ताल की। लेकिन कॉलेज प्रशासन मीडिया को मेनगेट के अन्दर आने ही नहीं दे रहा था| वो वही से उन्हें यह कहकर वापस भेज दे रहे थे की सबकुछ ठीक ठाक है क्लासेस चल रही हैं और सिचुएशन नार्मल है | लेकिन रियलिटी तो कुछ और ही है, अंदर हम लगातार हो रही बारिश में भीग भीग कर हड़ताल कर रहे थे पर कोई पूछने वाला नहीं था, और हमें हमारे हॉस्टल गेट से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था| हमारे हड़ताल में कोई ये तक नहीं पूछने आया की आखिर हम चाहते क्या हैं| हमारा मुद्दा ये था की मानव संसाधन विकाश मंत्रालय से कोई अधिकारी आये और हम उनके सामने अपनी बात को रख सके जो की हमारी खुद की और हमारे भविष्य की सुरक्षा से सम्बंधित था|
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मैं आपको बता दू की हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है कश्मीर में मीडिया का न होना। कुछ हैं उसमे से कुछ या तो हमारे खिलाफ लिखने वाले हैं और कुछ जो लिखना चाहते हैं उन्हें हम तक आने ही नहीं दिया जा रहा था| आज तक कोई भी मीडिया हमारे तक नहीं आई है। न्यूज़ पेपर्स में या न्यूज़ चैनल्स पर जो भी दिखाया गया है वो सब हमारे द्वारा सोशल साइट्स पर डाली गयी वीडियो या फिर इनफार्मेशन का नतीजा है|
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ऐसे ही आज भी हम हड़ताल पर बैठे हुए थे, शाम 3 बजे हमें सुचना मिली की मेनगेट पर कोई न्यूज़ चैनेल वाले आये हैं और हमसे मिलना चाहते हैं, बस इतना सुनना था की जितने भी गैर कश्मीरी छात्र थे सभी मेनगेट की तरफ चले आये| लगभग सभी लोग इकठ्ठा हो गए, क्योकि हम चाहते थे की जल्दी से जल्दी हमारी बात ऊपर तक पहुचे और उसका हल निकले जिससे की हमारी पढाई लिखाई शुरू हो सके | जम्मू और कश्मीर पुलिस और इंडियन आर्मी लगातार हमारे कैंपस में बने हुए हैं| जब हम लोग मेनगेट पहुचे तो पता चला वह कोई मीडिया नहीं आई हुई थी, हमें गलत सूचना मिली थी अचानक भीड़ को देख कश्मीरी पुलिस एक्टिव हो उठी वो हमें पीछे की ओर धकेलने लगी| हमने कहा की हम मीडिया से मिलने आये थे पर उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी हमने प्रोटेस्ट किया तो तुरंत हम पर लाठीचार्जे कर दिया| हम लोग हजारो की संख्या में थे, भागने लगे तो कोई फिसला, किसी की पीठ पर लाठी पड़ी वो वही गिर गया और उस 1 को पांच पांच लोगों ने मिलकर पीटा| और हम लोगों को दौड़ा लिया गया| इस भगदड़ में लगभग 40 को खूब पीटा गया| लाठी से किसी के सर में मारा, तो किसी के हाथ में, किसी के पैर में मारा तो किसी के गर्दन में, किसी को मारने से चोट लगी कोई गिरकर चोट खा गया| जो जहा गिरा उसको वहां तब तक पीटा गया जब तक की इनका मन नहीं भर गया| मै भाग रहा था तब तक मेरा चप्पल मेरे पैर से निकल गया मुड़कर चप्पल के पास देखा तो वहां से बस दो कदम पीछे गिराकर एक बन्दे को पीट रहे थे, उसके सर से खून निकल रहा था फिर भी उसे पीट रहे थे| हम भागते भागते हॉस्टल तक आये और कश्मीर पुलिस – हाय हाय और WE WANT – MHRD के नारे लगाने लगे| और नारे लगाते लगाते जब फिर से हॉस्टल कैंपस से बाहर कॉलेज कैंपस में आये तो फिर से हमारे ऊपर लाठीचार्ज किया गया| इसबार तो पहले से भी ज्यादा बेरहमी से पीटा गया, एक विकलांग लड़का जो की मेस से चाय पीकर वापस जा रह था उसे भी पीट दिया | मारते मारते हमारे हॉस्टल में घुस गए उसके बाद वहां उन्हें जो जो मिला सबको पीटते चले गए| लाठियां जहाँ मारी वहां जिन्दगी भर के लिए निसान दे दिया | हर तरफ से बस यही दिखाई दे रहा था की कोई लंगड़ाता हुआ आ रहा है और कोई रोता हुआ आ रहा है , कोई उठा कर लाया जा रहा है | इस तरह से आज का दिन हमारी जिंदगी के लिए खुनी साबित हो गया| लगभग 50 से ज्यादा बन्दों को चोटे आई जिनमे से तीन आईसीयु में भर्ती हैं, एक लड़के का दोनों हाथ टूट गया, एक लड़के का एक पैर और एक हाथ टूट गया | कितनों के पीठ में खतरनाक घाव आये हैं, किसी की आँख सूजी हुई है तो कोई चल नहीं पा रह है। किसी भी कानून में ये नहीं लिखा की लाठीचार्ज में कमर के ऊपर मारा जाये | हमने इंडियन आर्मी से उनके ख़ामोशी का कारन पूछा तो उन्होंने बताया ऊपर से आर्डर नहीं हैं | फिर भी हमने इंडियन आर्मी जिंदाबाद के नारे लगाये |जल्दबाजी में एम्बुलेस आयी, माइनर चोट वालों को कॉलेज हॉस्पिटल में और गंभीर चोट वालों को JLN हॉस्पिटल में ले जाया गया| अभी थोड़ी देर पहले मैंने जी न्यूज़ के द्वारा दिखाया गया न्यूज़ देखा जिसमे दिखाई गयी चीजे सही तो हैं पर वास्तविकता के हद से कम हैं।, उन्होंने तो बस हमारे द्वारा नेट पे डाली गयी बस एक विडियो दिखाई है जबकि उससे पता नहीं कितने ज्यादा दिल दहलाने वाले वीडियोज मौजूद हैं जिसमे अबोध छात्रों को बर्बरता पूर्वक पीटा जा रहा है|
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आखिर हमारी गलती क्या है, यही की हम देश के अपमान को नहीं सह सके, यही की हमने तिरंगे को झुकने नहीं दिया | हमने देश का विरोध करने वालों का, खुद को खतरे में रखते हुए भी सामना किया | बदले में हमें क्या मिला…….. घाव|
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कुछ लोग JNU में देशविरोधी नारे लगाते हैं वो हीरो बन जाते हैं , हमने यहाँ की संवेदनशील परिस्थति में भी देशद्रोहियों का विरोध किया तो हम पर लाठियां बरसी |
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JNU में तो बस देशविरोधी नारा लगा था और मीडिया कवरेज ने उसे जबरदस्त मुद्दा बनाया , यहाँ तो हमारी जान पर बन आई और कोई मीडिया नहीं , कोई लिखने वाला नहीं हम पर, आखिर क्या कर रही है वो सर्कार जो हमारी मदद कर सकती है| हम खुद ट्वीट कर कर के खुद को ट्रेंड में ले आये ताकि हमारा मामला सभी तक पहुचे | हम खुद के मीडिया बने | लिखने वालों ने तो JNU में कंडोम और सिगरेट के टुकड़ों की संख्या तक का पता लगा लिया था| वहां मीडिया अन्दर जा सकती थी पुलिस ने तीन दिन तक बाहर खडा इंतज़ार किया था गिरफ़्तारी के लिए और यहाँ पर मीडिया बाहर और पुलिस छात्रों पर लाठियां भांज रही है | हमने शायद कुछ अच्छा किया और अभी तक हम जो चाहते थे वो नहीं हो सका पर बदले में मिली चोट | पर कही न कही खुद को हम खुसनसीब मानते हैं की अपने देश के काम आ सके , विरोध करने वालों का खुलकर सामना किया |
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माँ भारती तू रहे सुरक्षित, हम तो कैसे भी रह लेंगे | रोज हॉस्टल में काफी शोर होता था, पर आज काफी शांत है | ये सन्नाटा अपने आप में बहुत बड़े डर को दबाये हुए है, आज इतना खतरनाक हुआ तो आगे और क्या हो सकता है | पर हम रुकेंगे नहीं जब तक हमारे डिमांड पूरे नहीं होते हड़ताल जारी रहेगी |
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मैं अपने इस पोस्ट को पढने वाले सभी लेखनी के धुरंधरों से अनुरोध करना चाहूँगा की हमारे बारे में भी लिखे और इसी तरह से ही सही इस मुद्दे पर कुछ अच्छा हो इस प्रकार का दबाव डालें |
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लव यू इंडिया ………………..वन्देमातरम
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सत्यम .., NIT श्रीनगर
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